राज्यपाल बागड़े बोले:भारत के प्रारंभिक इतिहासकार विदेशी, आमेर राजकुमारी से अकबर की शादी नहीं हुई, अकबरनामा में भी जिक्र नहीं

राज्यपाल बागड़े बोले:भारत के प्रारंभिक इतिहासकार विदेशी, आमेर राजकुमारी से अकबर की शादी नहीं हुई, अकबरनामा में भी जिक्र नहीं
मेवाड़ में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती की पूर्व संध्या पर बुधवार को राष्ट्रीय तीर्थ प्रताप गौरव केंद्र में संगोष्ठी हुई। मुख्य अतिथि राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े ने कहा कि मेवाड़ देश पर मर मिटने वालों की धरा है। भारत वर्ष पर जब-जब आक्रमण हुए तब मेवाड़ प्रहरी के रूप में खड़ा रहा। प्रारंभिक दौर में भारत का इतिहास विदेशियों ने लिखा। इसमें कई झूठे तथ्य अंकित किए गए। बागड़े ने जोधाबाई का नाम लिए बिना कहा कि आमेर की राजकुमारी और अकबर के बीच विवाह हुआ ही नहीं था। यह बात झूठी है। इसका अकबरनामा में भी जिक्र नहीं है। प्रताप व शिवाजी समकालीन होते तो देश की तस्वीर बदल देते राज्यपाल बागड़े ने कहा कि बप्पा रावल से महाराणा प्रताप तक और उनके बाद के शासकों ने विदेशी आक्रांताओं को खदेड़कर देश की रक्षा की। महाराणा प्रताप का संपूर्ण जीवन स्वाभिमान के लिए संघर्ष की प्रेरणा देता है। देश की अस्मिता की रक्षा के लिए उनके योगदान को युगों-युगों तक याद रखा जाएगा। प्रताप और शिवाजी महाराज राष्ट्र भक्ति के पर्याय थे। दोनों के जन्म के बीच 90 साल का अंतराल है। यदि वे दोनों समकालीन होते तो देश की तस्वीर दूसरी होती। वीरता और देशभक्ति को लेकर दोनों को समान दृष्टि से देखा जाता है। यहां तक कि शिवाजी का भौंसलेवंश तो स्वयं को मेवाड़ के सिसोदिया वंश से जोड़ता है। प्रताप स्वाभिमानी थे : राज्यपाल ने कहा- महाराणा प्रताप द्वारा अकबर को संधि की चिठ्ठी लिखने का तथ्य भी भ्रामक है। प्रताप ने कभी अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं किया। इतिहास में अकबर के बारे में ज्यादा और महाराणा प्रताप के बारे में कम पढ़ाया जाता है। वीडियो दिखाए गए, फिर भी ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल मुख्य वक्ता प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि महाराणा प्रताप भारत में स्वाभिमान की लड़ाई के पुरोधा हैं। यही लड़ाई 1857 की क्रांति का मूल है। वीर सावरकर ने देश के स्वाभिमान के संघर्ष के जो छह पृष्ठ लिखे, उसमें से एक पृष्ठ मेवाड़ के संघर्ष का है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के वीडियो तक दिखाए गए। इसके बावजूद देश में ही मौजूद कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं तो हल्दी घाटी युद्ध के दौर के बारे में कुछ अनर्गल कहा जाए तो कोई बड़ी बात नहीं है।