एक साथ दिखें आंसू और आक्रोश:वक्फ भूमि से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई, अपने घर टूटते देख महिलाएं रो पड़ी, पुलिस जाब्ता लेकर पहुंचे थे तहसीलदार

एक साथ दिखें आंसू और आक्रोश:वक्फ भूमि से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई, अपने घर टूटते देख महिलाएं रो पड़ी, पुलिस जाब्ता लेकर पहुंचे थे तहसीलदार
झुंझुनूं शहर में ऐतिहासिक दरगाह कमरूद्दीनशाह की जमीन पर प्रशासनिक कार्रवाई के तहत अतिक्रमण हटाए गए। जैसे ही बुलडोजर ने अपना काम शुरू किया मौके पर मौजूद लोगों का गुस्सा और दुख उमड़ पड़ा। महिलाओं की सिसकियाँ और बच्चों की चीखें, टूटते घरों की आवाज़ों के साथ मिलकर एक हृदयविदारक दृश्य पैदा कर रही थीं। 339 में से 5 अतिक्रमण हटाए गए: कोर्ट के आदेशों का हवाला तहसीलदार महेंद्र मुंड ने बताया कि दरगाह कमरूद्दीन शाह की यह भूमि वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आती है और हाई कोर्ट ने इस पर हुए सभी अवैध अतिक्रमणों को हटाने का स्पष्ट आदेश दिया था। उन्होंने जानकारी दी, "हमें 339 अतिक्रमण चिन्हित कर उनके लिए नोटिस जारी किए गए हैं। आज उन्हीं मकानों पर कार्रवाई की गई जो मौके पर खाली थे।" तहसीलदार ने यह भी स्पष्ट किया कि कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि किसी को बेघर न किया जाए। जिनके पास वैकल्पिक आवास हैं और फिर भी अतिक्रमण किया है, उनके खिलाफ भी कार्रवाई जारी रहेगी। रोती रही महिलाएं, नहीं रुका बुलडोजर एक महिला अपनी झोपड़ी के बाहर रो-रोकर प्रशासन से गुहार लगाती रही, "मत तोड़ो साहब, मेरा घर मत तोड़ो… अगर तोड़ना है तो सबका तोड़ो… मैंने पैसे देकर ली थी ये जमीन।" करीब 15 मिनट तक महिला लगातार अधिकारियों से घर न तोड़ने की विनती करती रही, लेकिन प्रशासनिक अमला अपने आदेशों के अनुपालन में अडिग रहा। पुलिसकर्मियों ने महिला को हटाया और मकान को ढहा दिया गया। यह केवल एक महिला की कहानी नहीं थी; मौके पर कई ऐसे लोग मौजूद थे जो अपनी गाढ़ी कमाई से खरीदी गई जमीन पर "अधिकार" जताते नजर आए। सैकड़ों लोग जुटे, गुस्से और गम में डूबे कार्रवाई की खबर फैलते ही आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए। कुछ प्रशासन के पक्ष में थे, तो अधिकतर प्रभावितों के समर्थन में। माहौल कई बार तनावपूर्ण होता दिखा, लेकिन भारी पुलिस बल की मौजूदगी के कारण स्थिति नियंत्रण में रही। हमने पैसे देकर घर बनाए, फिर भी तोड़ दिए पीड़ित आरिफ नाम के एक युवक ने अपनी आपबीती सुनाई, "हम गरीब मजदूर हैं। दिन भर मजदूरी करते हैं, तभी चूल्हा जलता है। कई सालों की कमाई से ये आशियाना खड़ा किया था। हमने किसी की जमीन नहीं छीनी। पैसे देकर ली थी। फिर भी आज प्रशासन ने हमारा घर तोड़ दिया। हम इसके खिलाफ कोर्ट जाएंगे।” आरिफ की आवाज में टूटे हुए सपनों का दर्द साफ झलक रहा था।