मूवी रिव्यू- हाउसफुल 5:कॉमेडी का बवाल, सस्पेंस का धमाल, पैसा वसूल, लेकिन फिल्म थोड़ी सी लंबी

अक्षय कुमार, अभिषेक बच्चन और रितेश देशमुख के अलावा करीब एक दर्जन स्टार्स से सजी फिल्म 'हाउसफुल 5' आज रिलीज हो चुकी है। साजिद नाडियाडवाला के प्रोडक्शन हाउस की इस फिल्म को तरुण मनसुखानी ने डायरेक्ट किया है। इस फिल्म की लेंथ 2 घंटा 45 मिनट है। दैनिक भास्कर ने इस फिल्म को 5 में से 3.5 स्टार की रेटिंग दी है। फिल्म की कहानी कैसी है? फिल्म की शुरुआत होती है एक रॉयल शिप पर, जहां UK के अरबपति रंजीत डोबरियाल की 100वें जन्मदिन पर मौत हो जाती है। उसकी वसीयत कहती है कि सारी दौलत जॉली को जाएगी, लेकिन ट्विस्ट ये है कि एक नहीं, बल्कि तीन जॉली सामने आ जाते हैं। DNA टेस्ट की तैयारी होती है, लेकिन तभी डॉक्टर की हत्या हो जाती है। अब असली जॉली कौन है और हत्यारा कौन, फिल्म का सस्पेंस यहीं से शुरू होता है। मजेदार बात ये है कि इस बार फिल्म के दो अलग-अलग क्लाइमैक्स बनाए गए हैं। हाउसफुल 5A और हाउसफुल 5B, जो ऑडियंस को अलग-अलग ending का मजा देते हैं। स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है? अक्षय कुमार ने एक बार फिर साबित कर दिया कि कॉमिक टाइमिंग में उनका कोई जवाब नहीं। रितेश देशमुख और अभिषेक बच्चन भी अपने अपने हिस्से की मस्ती लेकर आए हैं। कॉमेडी के साथ अभिषेक बच्चन चौंकाते हुए भी नजर आएंगे। सोनम बाजवा, जैकलिन, नरगिस फाखरी ने कॉमेडी के बजाय स्क्रिप्ट को ग्लैमर से ज्यादा सजाया है। स्पोर्टिंग कास्ट में श्रेयस तलपड़े, चंकी पांडे, जॉनी लीवर, डिनो मोरिया, चित्रांगदा सिंह जैसे चेहरे familiar feel देते हैं। लेकिन असली ‘icing on the cake’ हैं। जैकी श्रॉफ की बाबा, संजय दत्त की भिडू और नाना पाटेकर की दगड़ू के रूप में एंट्री पर ताली बजती है। वहीं, निगेटिव रोल में फरदीन खान का अलग अंदाज दिखा है तो बॉबी देओल की भी फिल्म में एंट्री शानदार है। फिल्म का डायरेक्शन कैसा है? तरुण मनसुखानी का निर्देशन कुछ जगहों पर फिल्म को फ्रैंचाइजी से ऊपर ले जाने की कोशिश करता है,और कुछ सीन्स में थोड़ा थकाता भी है। लेकिन ट्विस्ट वाला आइडिया और दो क्लाइमैक्स वाला कॉन्सेप्ट फ्रेश लगता है। फरहाद सामजी की राइटिंग कई जगह हंसाती है, कई जगह cringe भी करवा देती है। लेकिन अक्षय जैसे एक्टर्स की डिलीवरी इसे संभाल लेती है। कुछ बोरिंग सीन्स की वजह से फिल्म लंबी लगती है अगर उन्हें हटा दिया जाता तो फिल्म और भी Crisp और एंटरटेनिंग हो सकती थी। फिल्म का म्यूजिक कैसा है? गानों की बात करें तो लालपरी और फुगड़ी पहले ही ट्रेंडिंग है, बाकी गाने उतना इम्पैक्ट नहीं डालते। हां, बीच-बीच में गाने अचानक आ जाते हैं जिससे फिल्म की pace धीमी पड़ती है। बैकग्राउंड स्कोर सीन्स के मूड से हिसाब से सेट होता है, जो कॉमेडी और सस्पेंस दोनों को पकड़ता है। फाइनल वर्डिक्ट, देखे या नहीं? अगर आप अक्षय- रितेश की timing, quirky characters, glamorous visuals और unpredictable end का मजा लेना चाहते हैं, तो ये फिल्म आपकी वीकेंड की डोज बन सकती है। क्लाइमैक्स सस्पेंस वाला hilarious है, लेकिन एक नया ट्विस्ट लेकर आएगा। यानी की एक नई एंट्री जिसके लिए आपको सिनेमाहाल में जाना पड़ेगा।