मां बोलीं- शुभांशु मेरा बेटा पहले, एस्ट्रोनॉट बाद में:उसे देखे 1 साल हो गया; पिता ने कहा- वह हनुमानजी का भक्त, सही-सलामत लौटेगा

'भोलेनाथ से कृपा मांगते हैं, प्रभु श्रीराम से आशीर्वाद मांगते हैं और बजरंगबली से बल-शक्ति की गुहार है। हम सनातनी हैं, भगवान पर पूरा विश्वास है। बेटे की अंतरिक्ष मिशन की सफल लॉन्चिंग के बाद अब उसकी वापसी का इंतजार है। भगवान शंकर, प्रभु श्रीराम और हनुमानजी सभी की पूजा और आराधना कर उसकी सकुशल वापसी की प्रार्थना करते हैं।' यह कहना है लखनऊ के अलीगंज में रहने वाले एसडी शुक्ला का, जो एस्ट्रोनॉट शुभांशु के पिता हैं। बेटे शुभांशु की सफल रवानगी के बाद जब दैनिक भास्कर ने उनसे बात की, तो उन्होंने बताया कि आज बहुत बड़ा दिन है। लॉन्चिंग को देखने के लिए घर से बेटे के स्कूल CMS के LDA ब्रांच आए थे। यहीं पर पूरे परिवार ने बेटे की सफल लॉन्चिंग देखी। बचपन से अध्यात्म में था लगाव
बेटे शुभांशु के बारे में पिता कहते हैं- शुभांशु बजरंगबली के भक्त हैं। बचपन से ही उनकी पूजा करते आए हैं। अब भी उनकी भक्ति में लीन रहते हैं। साथ में गीता का पाठ भी करते हैं। बचपन से ही उनमें अध्यात्म का भाव था। शुरू से ही सभी देवी-देवताओं के लिए उनके मन में श्रद्धा थी, जो आज भी बरकरार है। मिशन पूरा कर जल्द घर लौटे बेटा
एसडी शुक्ला कहते हैं- भगवान से यही कामना है कि 14 दिन के बाद मेरा बेटा मिशन पूरा करके घर लौटे। इसके लिए लगातार प्रभु से प्रार्थना कर रहे हैं और यही उनसे कामना है। बेटे शुभांशु की बात पर उनका गला भर आता है। वह बताते हैं- मुझे बेटे पर बहुत गर्व है। ऐसे बेटे ने हमारे घर में जन्म लिया। खुद को बहुत गौरवान्वित कर रहा हूं। कोई भी काम हो, बेटे का नाम हमेशा आगे रहा है। उसने अपना नाम रोशन किया है। पत्नी की तरह मेरी भी भावनाएं, पर उन्हें काबू किया
लॉन्चिंग के समय पत्नी के ज्यादा भावुक होने के सवाल पर एसडी शुक्ला कहते हैं- हम सभी बेहद भावुक थे। मां और पिता दोनों के ही मन में वही भावनाएं थीं। मेरा भी मन बेहद भावुक था, लेकिन मैंने खुद की भावनाओं को काबू किया। मां बोलीं- कभी नहीं सोचा था कि इतनी ऊंचाई पर जाएगा
मां आशा शुक्ला ने कहा- मिशन की लॉन्चिंग के दौरान थोड़ा डर लगा था। बेटा 14 दिन के लिए अंतरिक्ष में गया है। अपना मिशन पूरा करके लौटेगा। मां-बाप का आशीर्वाद उसके साथ है। हमने कभी सोचा नहीं था कि बेटा इतनी ऊंचाई तक जाएगा। मां के लिए तो वह बेटा ही है
शुभांशु की मां कहती हैं- पूरे देश के लिए ये बहुत बड़ा पल है। मेरे लिए तो बेटा है, इसलिए मां होने के नाते थोड़ी देर मेरे मन के भाव अलग होंगे। लेकिन, सभी की खुशी देखकर बहुत संतुष्टि मिलती है। बहुत अच्छा लगता है कि आज पूरा देश बेटे पर नाज कर रहा है। एक साल से ज्यादा समय से है दूर
मां कहती हैं- बेटे से मिले हुए एक साल से ज्यादा का समय हो गया। वह सालभर से अमेरिका में है। इस दौरान फोन पर ही बातचीत होती थी। लेकिन, अब मन करता है कि वो जल्द लौट आए। हालांकि, वो तो समय से ही लौटेगा। पहले तो आ नहीं सकता, मिशन पूरा करके ही आएगा। लेकिन, जल्द ही वो लौट आए, भगवान से यही कामना है। ससुर बोले- पहली ही मुलाकात में दामाद टैलेंटेड लगा
शुभांशु के ससुर (फादर इन लॉ) ब्रज मोहन मिश्रा लखनऊ के जानकीपुरम में रहते हैं। वह बताते हैं- साल 2009 में बेटी कामना की शादी शुभांशु से की थी। शादी से करीब एक साल पहले 2008 में उनसे पहली बार मुलाकात हुई थी। तब वो NDA क्वालिफाई कर चुके थे। पहला प्रमोशन भी मिल गया था। बेटी भी उस समय डेंटिस्ट थी। दोनों ही टैलेंटेड थे। संत के आशीर्वाद का मिल रहा फल
ब्रज मोहन मिश्रा ने बताया- स्वामी रामकृष्ण मठ से जुड़ा हूं। बेटी की इंगेजमेंट में चंडीगढ़ से मेरे गुरु बी. अरुण स्वामी आए थे। उन्होंने तब आशीर्वाद दिया था, उस दौरान समधिन जी भी साथ में थी। उस समय शुभांशु को गुरुजी ने खूब ऊंचाई पर जाने का आशीर्वाद दिया था। आज समधिन जी कहती हैं कि मुझे लगता था कि बेटा एयरफोर्स में है, तो एयर मार्शल बन जाएगा। या बहुत ज्यादा वायुसेना अध्यक्ष बन जाएगा। लेकिन, ये उम्मीद तो गुरु जी ने भी नहीं की होगी कि वो धरती से अंतरिक्ष की यात्रा करेगा। वह अद्भुत गुरु थे, अब दिवंगत हो चुके हैं। उन्हीं के आशीर्वाद का नतीजा है कि आज दामाद इस मिशन पर गया है। प्रार्थना है कि मैंने जीवन में जो भी पुण्य किए हों, उन सभी का फल मेरे दामाद को मिल जाए। वह मिशन पूरा कर वापसी करें। मेरी बेटी ने भी भरपूर साथ दिया
ब्रज मोहन मिश्रा कहते हैं- लॉन्चिंग से पहले दामाद से बात हुई थी। उनके साथ बेटी और बच्चे भी थे। कुछ संयोग ऐसा है कि मेरे बेटे-बहू भी अमेरिका में ही हैं। फ्लोरिडा में वे सभी लोग थे। मिशन पर जाने से पहले दामाद की सभी लोगों से मुलाकात हुई थी। वह कहते हैं- शुभांशु की सफलता में बेटी कामना का भी बहुत योगदान है। उसने हर कदम पर उनका साथ दिया। बच्चों की परवरिश अकेले दम पर की। पिछले 1 साल से शुभांशु अमेरिका में हैं। इस दौरान बेटी कामना 3 बार अकेले फ्लाइट का 20 घंटे का सफर कर अमेरिका जा चुकी है। इस बात को खुद दामाद शुभांशु भी मानते हैं। बेहद सामान्य छात्र था, लेकिन मन लगाकर पढ़ता था
CMS की संस्थापक भारती गांधी कहती हैं- शुभांशु स्कूल का बेहद साधारण छात्र था, लेकिन वो मन लगाकर पढ़ाई करता था। जहां भी गया, अपने परिवार का, स्कूल का और अपने शहर लखनऊ का नाम रोशन किया। यही वजह है कि आज न केवल लखनऊ, पूरा प्रदेश और पूरा देश जश्न मना रहा है। ----------------------- ये खबर भी पढ़िए... एस्ट्रोनॉट बेटा अंतरिक्ष को रवाना हुआ तो मां रो पड़ीं : लखनऊ में शुभांशु के स्कूल से मां-पिता ने लाइव देखा लखनऊ के शुभांशु शुक्ला एक्सियम मिशन-4 के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानी ISS पर रवाना हो गए। उनके साथ तीन अन्य एस्ट्रोनॉट भी स्पेस स्टेशन जा रहे हैं। शुभांशु को LDA की CMS ब्रांच से लोगों ने स्पेस स्टेशन में जाते हुए देखा। मिशन लॉन्चिंग का लाइव टेलीकास्ट देखने के लिए बड़ी स्क्रीन लगाई गई थी। (पूरी खबर पढ़िए)