मंदिर श्री गंगा जी में 111 साल प्राचीन स्वर्ण कलश में रखे गंगाजल का पूजन, नवीन पोशाक धारण कराई

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दशमी पर गुरुवार को गोविंददेवजी मंदिर सहित अन्य मंदिरों में गंगा दशहरा मनाया गया। गोविंददेवजी मंदिर में उत्सव गंगा दशमी के तहत ठाकुरजी और राधा-रानी को धवल वस्त्रों में 15 मिनट जलयात्रा कराई गई। दोपहर 12:30 से 12:45 बजे तक भक्तों ने जल यात्रा झांकी के दर्शन किए। ग्रीष्म ऋतु के पुष्पों से शृंगार किया गया। खरबूजे, तरबूज, जामुन और आम आदि ऋतु फलों का भोग लगाया गया। गोविंददेव जी मंदिर के पीछे स्थित देवस्थान विभाग के राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार श्रेणी मंदिर श्री गंगा जी में लगभग 111 साल से एक स्वर्ण कलश में गंगाजल सुरक्षित रखा है। गंगा दशहरे पर गुरुवार को गंगा मैया की मूर्ति और इस कलश की विधिवत पूजा और शृंगार किया गया। पुजारी ने गंगा पूजन किया। इसके बाद भजन कार्यक्रम हुए। नवीन पोशाक धारण कराई। शाम को फूल बंगला झांकी और दीपमालाएं सजाई गईं। जरी के वस्त्रों की ओट में है सोने का कलश मंदिर में मूर्ति विग्रह के पास ही जरी के वस्त्रों की ओट में सोने का कलश है। इसमें 111 साल से गंगाजल सुरक्षित रखा है। पूर्व महाराजा माधव सिंह ने जब गंगोत्री में गंगा माता मंदिर निर्माण कराया था, उस समय से ही वहां से लाया गया जल ही इस स्वर्ण कलश में सुरक्षित है। इसके मुंह पर देवस्थान विभाग ने मोहर लगवा कर गंगाजल को सुरक्षित रखा हुआ है। कलश के नीचे रखी चांदी और सोने की छोटी कलात्मक शीशियों में भी उसी समय का गंगाजल सुरक्षित है। इन्हें भी विभाग ने सील बंद किया हुआ है।