मंदिर परिधि में शराब दुकान की परमिशन दी, महिलाएं विरोध में उतरीं तो आबकारी निरीक्षक ने दूसरी जगह दुकान खोलने का आदेश निकाला

शहर में गोविंदरावजी के रास्ते में मंदिर परिधि में शराब दुकान की लोकेशन मंजूर करने और फिर विरोध के बाद निरस्त करने के मामले में आबकारी विभाग ही सवालों के घेरे में आ गया है। मंदिर परिधि से केवल 120 मीटर में शराब दुकान खोलने के विरोध में स्थानीय महिलाओं ने विरोध में मोर्चा खोला था। लगातार विरोध के बाद आबकारी निरीक्षक ने लाइसेंसधारी को दूसरी जगह लोकेशन तलाश करने के लिए पत्र लिखा, जबकि आबकारी निरीक्षक इस आदेश के लिए सक्षम अधिकारी नहीं था, लाइसेंसधारी को विभाग की इसी चूक का लाभ मिला और हाई कोर्ट से स्टे मिल गया। विभागीय कार्रवाई पर सवाल यह है कि आबकारी विभाग को दुकान अन्यत्र शिफ्ट करनी थी तो सक्षम अधिकारी ने लाइसेंसधारी को आदेश क्यों नहीं जारी किया? कोर्ट से स्टे आदेश के बाद अब विभाग दुकान की लोकेशन नहीं बदल सकता, जबकि शराब दुकान के विरोध में स्थानीय महिलाओं का धरना जारी है। यह है मामला... जिला आबकारी विभाग ने चांदपोल स्थित गोविंदरावजी के रास्ते में श्री सीताराम जी मंदिर के पास लाइसेंसधारी अंजू कंवर को शराब की दुकान की लोकेशन स्वीकृत कर दी। आबकारी नियम 1956 के नियम 75(2) के तहत देवस्थान विभाग में रजिस्टर्ड मंदिर से 200 मीटर तक शराब दुकान खोलने की मंजूरी नहीं मिल सकती। यह मंदिर 120 मीटर में ही स्थित है। मंदिर परिसर के पास शराब दुकान खोलने पर स्थानीय महिलाओं मोर्चा खोल दिया और धरने पर बैठ गई। 28 अप्रैल को रास्ता रोककर आंदोलन किया। विरोध बढ़ता देख आबकारी निरीक्षक अशोक मीणा ने लाइसेंस को दूसरी जगह लोकेशन तलाश करने का निर्देश दिए, जबकि आबकारी निरीक्षण इसके लिए सक्षम अधिकारी नहीं था। नियमानुसार जिला आबकारी अधिकारी को आदेश निकालना चाहिए था। गोविंद राव जी रास्ता विकास समिति का कहना है कि आबकारी विभाग अधिकारियों ने जानबूझकर सक्षम अधिकारी से लोकेशन बदलने का आदेश नहीं निकाला ताकि लाइसेंसधारी को कोर्ट से स्टे मिल सके और स्टे की आड़ में शराब दुकान चलती रहे। जबकि नियमानुसार जिला आबकारी अधिकारी को आदेश निकालना चाहिए था।