नाटक ने दर्शकों को किया भावुक और बनाया विवेकशील:यथार्थ सोसाइटी के कलाकारों ने रवीन्द्र मंच पर उकेरे सामाजिक यथार्थ और भावनात्मक गहराई के रंग

रवींद्र मंच पर रविवार को यथार्थ सोसाइटी की प्रस्तुति में दो प्रभावशाली नाटकों ‘सखाराम बाइंडर’ और ‘सच कहूं तो’ का मंचन हुआ। अंतरराष्ट्रीय युवा रंग निर्देशक सिकंदर खान के मार्गदर्शन में हुए इस आयोजन ने सामाजिक मुद्दों और मानवीय भावनाओं की गहराई को बेहतरीन मंचीय रूप में प्रस्तुत किया। विजय तेंदुलकर द्वारा लिखित यह नाटक एक बुक बाइंडर सखाराम की कहानी है जो विवाह संस्था को नकारते हुए सामाजिक मूल्यों को खुली चुनौती देता है। सखाराम का किरदार निभाने वाले रितिक लालानी ने अपने सहज अभिनय से चरित्र को जीवंत कर दिया। नाटक में धैर्य राणा, मोहम्मद दाऊद कुरैशी, महेश शर्मा समेत कलाकारों ने भी उम्दा प्रदर्शन किया। नाटक उन पाखंडपूर्ण सामाजिक मूल्यों को निशाने पर लेता है जिन्हें समाज सम्मान की चादर में लपेटकर जीता है। भाषा और भावों की सच्चाई से भरे संवाद दर्शकों को भीतर तक झकझोरने में सफल रहे। ‘सच कहूं तो…’ डंकन मैकमिलन की मूल रचना पर आधारित इस एकल अभिनय नाटक को राजीव बैरवा ने लिखा, निर्देशित और मंचित किया। नाटक एक छह साल के बच्चे की आंखों से उसकी अवसादग्रस्त मां के जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश को दिखाता है। आइसक्रीम, धूप, पीला रंग, टीवी देखना जैसी छोटी-छोटी खुशियों की सूची बच्चे को न केवल बचपन में ताकत देती है, बल्कि बड़े होते हुए उसकी आत्मचेतना का माध्यम भी बन जाती है। राजीव बैरवा की भावनात्मक अभिव्यक्ति और सादगी भरा अभिनय दर्शकों को कई बार भावुक कर गया। दोनों नाटकों में मेकअप मदीना बानो, वस्त्र विन्यास अफसाना बेगम, प्रकाश परिकल्पना रोहिताश योगी व राजीव बैरवा, और संगीत संचालन खुशी शर्मा का योगदान उल्लेखनीय रहा। मंच प्रबंधन में संदीप सिंह, जय सेनी और अन्य सहयोगियों की अहम भूमिका रही।