कोटा में एग्रीकल्चर सुपरवाइजर की संदिग्ध परिस्थितियों मौत:परिवार बोला- ब्लड चढ़ाने के बाद बिगड़ी तबीयत; डॉक्टर बोले- कार्डियक अरेस्ट की आशंका

कोटा में सरकारी हॉस्पिटल में थैलीसीमिया से पीड़ित एग्रीकल्चर सुपरवाइजर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। बारां जिले के केलवाड़ा थाना क्षेत्र के दोंता गांव निवासी प्रिंस मेहता (25) रूटीन ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए अस्पताल आया था। ब्लड चढ़ाने के कुछ घंटों बाद उसकी हालत अचानक बिगड़ने लगी और डॉक्टरों के प्रयास के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका। डॉक्टरों का पक्ष वरिष्ठ चिकित्सक का कहना है कि प्रारंभिक जांच में कार्डियक अरेस्ट की आशंका जताई गई है। हालांकि मौत के सटीक कारणों का पता जांच के बाद ही चल पाएगा। परिवार ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। प्रिंस कृषि विभाग समरानिया में एग्रीकल्चर सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत था और नियमित रूप से ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए अस्पताल आता था। ब्लड चढ़ाने के दौरान बिगड़ी तबीयत
चाचा राजमल मेहता ने बताया- "प्रिंस लंबे समय से थैलीसीमिया से ग्रसित था। शुक्रवार सुबह साढ़े 5 बजे पिता कन्हैयालाल के साथ बाइक से कोटा के जेके लोन हॉस्पिटल पहुंचा। दोपहर 12 बजे उसे ब्लड चढ़ाया गया। दोपहर 3 बजे अचानक तबीयत बिगड़ने लगी। डॉक्टरों ने एमबीएस में रेफर किया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।" परिवार का इकलौता बेटा था प्रिंस
राजमल ने बताया- "प्रिंस परिवार में सबसे बड़ा था। दो छोटी बहनें हैं। पिता खेती करते हैं। साल 2022 में उसकी जॉब लगी थी। वो बिल्कुल स्वस्थ था और शुक्रवार को खुद बाइक चलाकर आया था। गलत ब्लड चढ़ने से तबीयत बिगड़ी और मौत हो गई। मौत के कारणों की जांच के लिए पोस्टमॉर्टम करवा रहे हैं।" डॉक्टर बोले- पूरी मॉनिटरिंग की गई
मेडिसिन विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मृदुला प्रजापति ने बताया- "हॉस्पिटल में 400-500 थैलीसीमिया पेशेंट ब्लड चढ़ाने आते हैं। ब्लड क्रॉस मैच के बाद ही चढ़ाया जाता है। प्रिंस का ब्लड चढ़ाते समय सीनियर रेजिडेंट मौजूद था। केवल 20-30 ML ब्लड बाकी था कि अचानक सांस चढ़ने लगी। तुरंत CPR दिया, वेंटिलेटर पर लिया, फिर एमबीएस शिफ्ट किया। 2-3 घंटे मैनेज करने के बाद भी वो रिवाइव नहीं हुआ।"