कोटा के डॉक्टर ने देखा अहमदाबाद प्लेन क्रैश:50 मीटर की दूरी से बचे, 8 फीट की दीवार फांदी, पैर टूटा; बोले- मौत को करीब से देखा

कोटा के डॉक्टर ने देखा अहमदाबाद प्लेन क्रैश:50 मीटर की दूरी से बचे, 8 फीट की दीवार फांदी, पैर टूटा; बोले- मौत को करीब से देखा
प्लेन क्रैश की वो घटना आंखों के सामने घूमती रहती है। मैंने मौत को बहुत करीब से देखा है, लेकिन मैं सुरक्षित हूं, यह भगवान की कृपा है। ये कहना है कोटा के डॉ. पीयूष मालव का, जिन्होंने अहमदाबाद प्लेन क्रैश को महज 50 मीटर की दूरी से देखा और बाल-बाल बच गए। हादसे के समय हॉस्टल में चारों ओर धुआं ही धुआं फैल गया था। जान बचाने के लिए डॉ. पीयूष किसी तरह हॉस्टल से बाहर निकले और दौड़ते हुए बाउंड्री तक पहुंचे। वहां से बचने का एकमात्र रास्ता था- 7-8 फीट ऊंची दीवार को फांदना। बिना समय गंवाए उन्होंने दीवार फांदकर सुरक्षित ग्राउंड में छलांग लगा दी। इस कोशिश में उनका बायां पैर टूट गया, लेकिन जान बच गई। हादसे के बाद थोड़ा संभलते ही उन्होंने सबसे पहले अपनी पत्नी व पिता को फोन किया और कहा-मैं बच गया हूं। जब वे उस दिन को याद करते हैं, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। "मौत को करीब से देखा": प्लेन क्रैश में बचे कोटा के डॉ. पीयूष की जुबानी एक हफ्ते पहले ही मिली थी नई जिम्मेदारी डॉ. पीयूष मालव ने बताया कि अहमदाबाद के बीजी मेडिकल कॉलेज में प्लास्टिक सर्जरी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर एक सप्ताह पहले ही जॉइन किया था। अप्रैल में MCH पूरी करने के बाद पत्नी और दो बच्चों (9 और 4 साल) के साथ कोटा आ गए थे। जून में जॉइनिंग लेटर आया तो अकेले अहमदाबाद गए। धमाके की आवाज से शुरू हुई दहशत डॉ. पीयूष मालव ने बताया कि 12 जून की दोपहर को अतुल्यम हॉस्टल-4 के सेकंड फ्लोर पर खाना खा रहा था। अचानक जोरदार धमाका हुआ। पहले लगा कोई तेल टैंकर फटा है। विस्फोट की आवाजें जारी रहीं। बाहर निकला तो देखा वाहनों में आग लगी है, चारों ओर धुआं ही धुआं था। प्लेन का फ्यूल जलने से आग बढ़ रही थी। सांसें रोक देने वाला मंजर डॉ. पीयूष मालव ने बताया- धुआं फ्लैट में भरने लगा। खिड़कियों के शीशे टूटने लगे। सांस लेना मुश्किल हो गया। खिड़कियां खोलीं तो आग के भभके अंदर आने लगे। 10 सेकंड में निर्णय लिया और मोबाइल-चार्जर लेकर बाहर निकला। सीढ़ियों पर अंधेरा था। एक रेजिडेंट डॉक्टर की पत्नी 8 महीने के बच्चे के साथ मिली। जान बचाने की जद्दोजहद डॉ. पीयूष मालव ने बताया- बाहर निकले तो चारों तरफ आग ही आग थी। वाहन जल रहे थे, बिल्डिंग से आग की लपटें निकल रही थीं। बचने का एकमात्र रास्ता था - कॉलेज की 7-8 फीट ऊंची बाउंड्री। बिजली के पोल की मदद से पहले महिला और बच्चे को ऊपर चढ़ाया। फिर खुद कूदा, पैर में मोच आ गई। "पापा, मैं बच गया" डॉ. पीयूष मालव ने बताया- रिलैक्स होने के बाद प्लेन क्रैश का पता चला। तुरंत पत्नी और पिता को फोन कर बताया - मैं बच गया हूं। राहगीरों से लिफ्ट लेकर सिविल हॉस्पिटल पहुंचा। दो दिन बाद कोटा से मेरे दोस्त डॉ. चंदन सैनी और सुरेश मालव मुझे लेने आए। अस्पताल में उनका इलाज चल रहा डॉ. पीयूष मालव ने बताया- बाद में पता चला कि हॉस्टल से 50 मीटर दूर मैस में प्लेन क्रैश हुआ था। हॉस्टल की 5वीं मंजिल पर एक रेजिडेंट डॉक्टर की पत्नी और उसका साला हादसे में मारे गए। जिस महिला और बच्चे को डॉ. मालव ने बचाया, वे भी आग से झुलस गए और अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। ---------------- हादसे से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें.. दादा बोले-15 अगस्त को पैदा हुए थे पोते,आजाद हो गए:रातभर मेरे सीने पर सोए, फ्लाइट से किया था वीडियो कॉल; प्लेन क्रैश में हुई मौत 4 साल बाद एक साथ रहने जा रहा था परिवार:बांसवाड़ा के दंपती को परिवार अहमदाबाद एयरपोर्ट तक छोड़ने गया था; प्लेन में ली आखिरी सेल्फी टिकट नहीं मिली इसलिए 2 दिन लेट निकली खुशबू:पिता ने बेटी के साथ फोटो खींची, स्टेटस लगाया, कुछ मिनटों बाद पता लगा-प्लेन क्रैश डॉक्टर दंपती के 3-बच्चों के शव मिले:एक और MBBS स्टूडेंट का अंतिम संस्कार; अब तक राजस्थान के 14 लोगों की मौत