EC बोला- पोलिंग सेंटर की फुटेज सार्वजनिक नहीं कर सकते:इससे वोटर को खतरा; राहुल बोले- जिससे जवाब चाहिए, वो सबूत मिटा रहा

चुनाव आयोग ने शनिवार को कहा कि वोटिंग सेंटर्स की वेबकास्टिंग की CCTV फुटेज शेयर करना सही नहीं है। इससे वोटर्स, ग्रुप की पहचान करना आसान हो जाएगा। वोट देने वाले और वोट न देने वाले दोनों ही असामाजिक तत्वों के दबाव, भेदभाव और धमकी का शिकार हो सकते हैं। आयोग ने कहा- CCTV फुटेज सार्वजनिक करना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के कानूनी प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन होगा। आयोग का ये जवाब लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में धांधली होने के दावे पर CCTV फुटेज शेयर करने की मांग पर आया है। आयोग ने उदाहरण देते हुए कहा- किसी विशेष राजनीतिक दल को किसी विशेष बूथ पर कम वोट मिलते हैं, तो वो CCTV फुटेज के जरिए बड़ी ही आसानी से पहचान कर सकेगा कि किसने उन्हें वोट दिया और किसने नहीं। इसके बाद वोट न देने वालों को परेशान किया जा सकता है। इससे पहले शनिवार दोपहर राहुल गांधी ने अपनी X पोस्ट में लिखा- वोटर लिस्ट? Machine-readable फॉर्मेट नहीं देंगे। CCTV फुटेज? कानून बदलकर छिपा दी। चुनाव की फोटो-वीडियो? अब 1 साल नहीं, 45 दिनों में ही मिटा देंगे। जिससे जवाब चाहिए था - वही सबूत मिटा रहा है। साफ दिख रहा है- मैच फिक्स है, और फिक्स किया गया चुनाव, लोकतंत्र के लिए जहर है। मतदाताओं में भ्रम की स्थिति पैदा हुई दरअसल, चुनाव आयोग ने तय किया है कि अब चुनावों के दौरान खींची गई फोटो, CCTV फुटेज, वेबकास्टिंग और वीडियो रिकॉर्डिंग सिर्फ 45 दिनों तक ही सुरक्षित रखी जाएंगी। इसके बाद सारा डेटा डिलीट कर दिया जाएगा। EC ने 30 मई को सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अगर किसी निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव नतीजे को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जाती है, तो 45 दिन बाद ये सारा डेटा नष्ट कर दिया जाए। फैसला फुटेज के दुरुपयोग और सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही भ्रामक जानकारियों को रोकने के लिए लिया गया है। EC का कहना है कि हाल ही में कुछ गैर-उम्मीदवारों ने चुनावी वीडियो को तोड़-मरोड़कर गलत नैरेटिव फैलाने की कोशिश की, जिससे मतदाताओं में भ्रम की स्थिति पैदा हुई। कांग्रेस ने आयोग के इस नियम का विरोध किया है। पार्टी ने कहा कि पहले एक साल तक इस डेटा को सेफ रखा जाता था, ताकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में कभी भी इसकी जांच हो सके। आयोग का यह नियम पूरी तरह से लोकतंत्र के खिलाफ है। इसे तुरंत वापस लेना चाहिए। आयोग बोला- फुटेज का यूज गलत नैरेटिव के लिए होता था इससे पहले 20 दिसंबर 2024 को केंद्र सरकार ने चुनाव नियम बदलकर पोलिंग स्टेशन के CCTV, वेबकास्टिंग और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग को सार्वजनिक करने से रोक दिया था। चुनाव आयोग ने कहा कि वोटिंग और मतगणना जैसे चुनावी चरणों की रिकॉर्डिंग का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। यह काम आंतरिक निगरानी और पारदर्शिता के लिए किया जाता है, लेकिन इन रिकार्डिंग्स का इस्तेमाल गलत नैरेटिव के लिए भी किया जाता रहा है। इसलिए इन्हें लंबे समय तक रखने का कोई औचित्य नहीं रह गया है। अब तक चुनाव से जुड़ी रिकॉर्डिंग एक साल तक संभाल कर रखी जाती थी, ताकि जरूरत पड़ने पर कोई कानूनी जांच हो सके। दिसंबर 2024 में भी नियमों में बदलाव हुआ था
केंद्र सरकार ने 20 दिसंबर को पोलिंग स्टेशन के CCTV, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट्स को पब्लिक करने से रोकने के लिए चुनाव के नियमों में बदलाव किया था। अधिकारियों ने बताया कि AI के इस्तेमाल से पोलिंग स्टेशन के CCTV फुटेज से छेड़छाड़ करके फेक नैरेटिव फैलाया जा सकता है। बदलाव के बाद भी ये कैंडिडेट्स के लिए उपलब्ध रहेंगे। अन्य लोग इसे लेने के लिए कोर्ट जा सकते हैं। चुनाव आयोग की सिफारिश पर कानून मंत्रालय ने द कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल- 1961 के नियम में बदलाव किया था। हालांकि कांग्रेस ने चुनाव से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट्स पब्लिक करने से रोकने के नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। कांग्रेस बोली- मोदी सरकार लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म कर रही कांग्रेस ने चुनाव आयोग के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि यह कदम लोकतंत्र और पारदर्शिता के खिलाफ है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि 'चुनाव आयोग और मोदी सरकार मिलकर लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म करने में लगे हैं। पहले दस्तावेजों को जनता से छिपाया गया, अब रिकॉर्ड ही मिटाए जा रहे हैं। आयोग को यह आदेश तुरंत वापस लेना चाहिए।' --------------------------------------- ये खबर भी पढ़ें... अब 15 दिन में वोटर आईडी कार्ड देगा चुनाव आयोग, नई प्रोसेस रजिस्ट्रेशन और कार्ड करेक्शन पर भी लागू अब वोटर लिस्ट में किसी भी अपडेट के 15 दिनों के अंदर लोगों को उनके वोटर आईडी कार्ड दे दिए जाएंगे। चुनाव आयोग ने बुधवार को कहा है कि उसने वोटर आईडी कार्ड देने के लिए नई प्रक्रिया शुरू की है, जिसमें नए रजिस्ट्रेशन या मौजूदा वोटर की जानकारी में बदलाव शामिल हैं। इसके अलावा वोटर्स को SMS भी मिलेंगे, जिससे उन्हें उनके कार्ड का अपडेट मिलता रहेगा। पूरी खबर पढ़ें..