7 राजनीतिक नियुक्तियां, सालभर बाद भी मंत्री का दर्जा नहीं:बिश्नोई बोले– सरकार जाने क्यों नहीं दिया दर्जा, भडाणा बोले– सरकार पर टिप्पणी ठीक नहीं

7 राजनीतिक नियुक्तियां, सालभर बाद भी मंत्री का दर्जा नहीं:बिश्नोई बोले– सरकार जाने क्यों नहीं दिया दर्जा, भडाणा बोले– सरकार पर टिप्पणी ठीक नहीं
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता से ठीक पहले भजनलाल सरकार ने सैनिक कल्याण बोर्ड सहित 7 बड़ी राजनीतिक नियुक्तियां की थीं। इनमें नागौर के पूर्व सांसद सीआर चौधरी, जसवंत सिंह बिश्नोई जैसे बड़े नेताओं के नाम शामिल थे। साल भर से ये नेता केवल नाम के अध्यक्ष बने हुए हैं। मंत्री का दर्जा तक नहीं दिया है। काम करने के लिए सरकार ने दफ्तर तो दे दिया है लेकिन पर्याप्त स्टाफ नहीं है। दैनिक भास्कर ने सियासी तौर पर अहम 7 नियुक्तियों की पड़ताल की है। उनके कार्य क्या है, कार्यालय औऱ स्टाफ की क्या स्थिति है और मंत्री का दर्जा अभी तक क्यों नहीं मिला? इस दौरान बातचीत में मंत्री का दर्जा मिलने का दर्द भी छलका। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पूर्व सांसद जसवंत सिंह ने बीजेपी के टिकट के लिए जोधपुर से दावेदारी जता दी थी। वहीं जोधपुर से पहले से ही केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी। ऐसे में आचार संहिता से पहले जसवंत सिंह बिश्नोई को जीव जंतु कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर भजनलाल सरकार ने डैमेज कंट्रोल किया था। मंत्री का दर्जा नहीं मिलने को लेकर भास्कर ने जसवंत सिंह बिश्नोई से बात की- भास्कर : एक साल हो गया मंत्री पद का दर्जा क्यों नहीं मिला? जसवंत सिंह : ये तो सरकार जानें कि अभी तक मंत्री का दर्जा क्यों नहीं मिला? मुझे और सीआर चौधरी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देना था, जबकि पांच अन्य सियासी नियुक्ति प्राप्त नेताओं को राज्य मंत्री का दर्जा मिलना है।अभी तक नहीं मिला है। भास्कर : क्या जीव जंतु कल्याण बोर्ड में पर्याप्त स्टाफ है? जसवंत सिंह बिश्नोई : जैसे-तैसे खींच रहे है। स्टाफ की कमी है। बस चल रहा है। भास्कर : दफ्तर कहां है, महीने में कितने दिन बैठते हैं जसवंत सिंह : पशुपालन निदेशालय में दफ्तर है। महीने में 7-8 दिन दफ्तर बैठता हूं। जयपुर से बाहर होने की स्थिति में नहीं बैठ पाता हूं। कामकाज पूरा निपटाता हूं। जीव जंतु कल्याण बोर्ड के कार्य ओमप्रकाश भडाणा प्रदेश ओबीसी मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व निभा चुके हैं। भडाणा ने अजमेर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने के लिए दावेदारी भी की थी। इससे पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने भडाणा को प्रदेश की कार्यकारिणी में शामिल करते हुए प्रदेश महामंत्री का दायित्व दिया। संगठन में महत्वपूर्ण दायित्व मिलने के बाद भडाणा को भजनलाल सरकार में देवनारायण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया। पढ़िए क्या कहते हैं भडाणा… भास्कर : देवनारायण बोर्ड में पर्याप्त स्टाफ है? कार्यालय कहां पर है? ओमप्रकाश भडाणा : सचिव की नियुक्ति नहीं हुई है, बाकी स्टाफ पर्याप्त है। सचिवालय स्थित एसओजी बिल्डिंग में देवनारायण बोर्ड का ऑफिस है। भास्कर : दफ्तर कितने दिन बैठते हैं? ओमप्रकाश भडाणा : महीने में 10-15 दिन तो दफ्तर में ही बैठता हूं। कामकाज निपटाता हूं। योजनाएं तय समय पर पूरी हाें, यहीं फोकस रहता है। भास्कर: अभी तक मंत्री पद का दर्जा नहीं मिला? ओमप्रकाश भडाणा : ये राज्य सरकार का काम है कि मंत्री का दर्जा कब देती है। काम तो कर ही रहे हैं। 14 जून 2024 को ज्वाइन किया था। सरकार पर टिप्पणी ठीक करना ठीक नहीं है। अपने साधन का प्रयोग कर रहा हूं। मंत्री पद दर्जा देना या नहीं देना मुख्यमंत्री का कार्य है। मुख्यमंत्री गंभीरता से बात सुनते हैं। देवनारायण बोर्ड के कार्य विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की ओर से 9 अक्टूबर को प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होने के बाद राजेंद्र नायक ने बगावत कर दी थी। उन्होंने निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा कर दी थी। नायक का कहना था कि पार्टी में रहकर सेवा की लेकिन मुझे टिकट नहीं मिला। हालांकि, बाद में पार्टी ने राजनीतिक नियुक्ति का तोहफा दे दिया था। राजेंद्र नायक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी है। फिलहाल राजस्थान राज्य अनुसूचित जाति वित्त और विकास आयोग के अध्यक्ष है। पढ़िए क्या कहते हैं नायक… भास्कर : आयोग के पास पर्याप्त स्टाफ है? ऑफिस कहां पर है? राजेंद्र नायक : स्टाफ पर्याप्त है। किसी तरह की कमी नहीं है। सहकारिता मार्ग पर दफ्तर है। भास्कर : अभी तक मंत्री पद का दर्जा नहीं क्यों नहीं मिला है? राजेंद्र नायक : यह राज्य सरकार का कार्य है। सरकार चाहेगी जब ही मिलेगा। काम जारी है। अनुसूचित जाति वित्त और विकास आयोग के कार्य एक वर्ष पहले पंत कृषि भवन में किसान आयोग के अध्यक्ष का पद ग्रहण करने के बाद सीआर चौधरी ने कहा था-किसानों और पशुपालकों के सर्वांगीण विकास के लिए किसान आयोग सदैव तैयार रहेगा। एक साल बीत गया है। अब तक आयोग के अध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा नहीं मिला है। किसान आयोग के कार्य वसुंधरा राजे के करीबी माने जाने वाले पूर्व विधायक प्रेम सिंह बाजौर सैनिक कल्याण बोर्ड़ के अध्यक्ष है। सचिवालय स्थित एसओजी बिल्डिंग में सैनिक कल्याण बोर्ड का दफ्तर है। स्टाप पर्याप्त है, लेकिन शक्तियां कम है। एक साल से अधिक समय हो गया है, लेकिन मंत्री स्तर का दर्जा नहीं मिला है। उल्लेखनीय है कि भाजपा ने शेखावाटी में लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा दांव खेला। राजपूत वोट बैंक साधने के लिए वरिष्ठ भाजपा नेता प्रेमसिंह बाजौर को तीसरी बार सैनिक कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया। नीमकाथाना से दो बार विधायक भी रहे हैं। बाजौर ने वसुंधरा सरकार में भी दो बार ये पद संभाला था। सैनिक कल्याण बोर्ड के कार्य राजस्थान सरकार का उद्देश्य है कि माटी कला के पारंपरिक दस्तकारों को आधुनिक तकनीक युक्त आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाएं। उनके उत्थान के लिए विभिन्न तरह की योजनाओं को क्रियान्वित किया जाए। इसके लिए श्रीयादे माटी कला बोर्ड का गठन किया गया है। प्रहलाद राय टांक को अध्यक्ष बनाया गया है। सरकार ने दफ्तर भी दिया है, लेकिन स्टाफ पर्याप्त नहीं है। माटी कला बोर्ड के कार्य श्री विश्वकर्मा कौशल विकास बोर्ड राजस्थान के कारीगरों, शिल्पियों और तकनीकी विशेषज्ञों को एक मंच प्रदान करता है। जिससे उनकी क्षमताओं को निखारने और उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करने में मदद मिलेगी। विश्वकर्मा कौशल विकास बोर्ड का ऑफिस का उद्योग भवन में है। सरकार ने रामगोपाल सुथार को अध्यक्ष बनाया है, लेकिन एक साल से उन्हें भी मंत्री पद का दर्जा नहीं मिला है। दो को कैबिनेट और पांच को राज्यमंत्री का मिलना है दर्जा सियासी नियुक्ति प्राप्त नेताओं में से नागौर के पूर्व सांसद सीआर चौधरी और जोधपुर के पूर्व सांसद जसवंत सिंह बिश्नोई को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलना है। वहीं ओमप्रकाश भडाणा, राजेंद्र नायक, रामगोपाल सुथार, प्रहलाद टांक और प्रेम सिंह बाजौर को राज्यमंत्री का दर्जा मिलना प्रस्तावित है। जानकारों का कहना है कि इन नेताओं को फिलहाल मंत्री दर्जा के लिए इंतजार करना होगा। प्रदेश में अभी बंपर राजनीतिक नियुक्तियां होनी है। इसके बाद ही मंत्री का दर्जा मिल सकता है। राजनीतिक नियुक्तियों के लिहाज से साल 2024 खाली हाथ राजनीतिक नियुक्तियों के लिहाज से साल 2024 खाली हाथ रहा है। विभिन्न बोर्ड और निगमों के अध्यक्ष एवं चेयरमैन के पद खाली हैं। राज्य की प्रमुख भर्ती एजेंसी राजस्थान लोक सेवा आयोग कार्यवाहक अध्यक्ष के भरोसे चल रही है। आरपीएससी से 1 अगस्त को संजय श्रोत्रिय रिटायर हुए। इसके बाद से ही यहां स्थायी चेयरमैन की नियुक्ति नहीं हुई है। अतिरिक्त प्रभार आयोग के सदस्य केसी मीणा को सौंपा गया है।