रॉयलटी के नाम ठगी:संगीत सेरेमनी रुकवा लाखों वसूल रहे, जबकि धार्मिक-सामाजिक और शादी एक्ट के दायरे में नहीं

रॉयलटी के नाम ठगी:संगीत सेरेमनी रुकवा लाखों वसूल रहे, जबकि धार्मिक-सामाजिक और शादी एक्ट के दायरे में नहीं
प्रदेश में राजधानी सहित कई शहरों में होने वाली शादियों में रॉयल्टी के नाम पर ठगी का खेल चल रहा है। एक संगठित गिरोह चलते समारोह में पहुंचकर कॉपी राइट सोसायटी एक्ट की धौंस जमाकर संगीत सेरेमनी रुकवाता है और लाखों रुपए वसूलता है। इसमें होटल, रेस्टोरेंट, रिजोर्ट और मैरिज गार्डन वाले भी शामिल हैं। कॉपी राइट सोसायटी के नाम पर जैसे ही म्यूजिक राइट्स मैनेजमेंट कंपनी नोवेक्स कम्युनिकेशन्स, पीपीएल व आईपीआरएस के लोग पहुंचते हैं, होटल प्रबंधन समारोह रोक देते हैं और जिनके घर शादी है, उन्हें मामला निपटाने की सलाह देते हैं। वसूली के लिए आए लोग पुलिस तक बुला लेते हैं। पिछले दिनों में जयपुर में चार-पांच बड़ी शादियों में ऐसा हुआ है। होटल प्रबंधन भी उनका साथ देता नजर आया। जब तक आयोजनकर्ता ने मनमाने एक्ट के तहत पैसे नहीं दिए, तब तक इवेंट शुरू नहीं हुआ। भास्कर ने जब इस एक्ट को लेकर पड़ताल की तो पता चला कि धार्मिक-सामाजिक और शादियों में गाना-बजाना कॉपीराइट कानून का उल्लंघन नहीं है और कोई भी ऐसी गतिविधियों के लिए रॉयल्टी नहीं ले सकता। 70 हजार से 5 लाख रु. तक वसूली कॉपी राइट सोसायटी के नाम से समारोह में पहुंचने वाले गिरोह के लोग न तो सरकारी अथॉरिटी से अधिकृत होते हैं और ना ही इनके पास किसी म्यूजिक कंपनी, सरकारी या सिंगर का लिखित आदेश होता है। सिर्फ एक आईडी होती है, जिसे दिखाकर मोटी रकम वसूलते हैं। मेहमानों की संख्या के आधार पर 70 हजार से 5 लाख तक वसूलते हैं। होटल व्यवसायी और इवेंट आर्गनाइजर सीएम से करेंगे शिकायत होटल व्यवसायी पवन गोयल ने बताया कि पिछले दिनों मानसरोवर स्थित एक पांच सितारा होटल में हो रही शादी में भी ये पहुंच गए थे। आयोजकों को शर्मिंदगी के चलते पैसा देना पड़े। सीएम से शिकायत कर उचित कार्रवाई करवाएंगे। दिल्ली रोड स्थित एक होटल में तीनों कंपनियों के लोग पहुंच गए थे। दो लाख रुपए देने पड़े। इससे डरे इवेंट आर्गनाइजर अब पहले ही रुपए दे रहे हैं। म्यूजिक कंपनियों से एग्रीमेंट, कोर्ट केस कर सकते हैं; इस संबंध में पीपीएल के मैनेजर, आईपीआरएस के शुभम पंचोली और नोवेक्स के संदीप सिंह भदौरिया ने सरकार के आदेश का हवाला देते हुए बताया कि हमारा म्यूजिक कंपनियों से एग्रीमेंट हैं, जो उसे अपने गानों के पब्लिक परफॉर्मेंस राइट्स देते हैं। इसके बाद होटल, इवेंट प्लानर, शादी आयोजकों और डीजे वालों से लाइसेंस फीस ली जाती है। अगर इजाजत नहीं ली गई हो, तो कोर्ट में केस कर सकते हैं। एडवोकेट सुरेंद्रसिंह राठौड़ व एडवोकेट अनिल चौधरी ने बताया कि कॉपी राइट सोसायटी एक्ट के नाम पर अवैध वसूली करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है। गिरफ्तारी, जुर्माना और संपत्ति जब्त की जा सकती है। संगठित अपराध साबित होने पर सजा बढ़ाई जा सकती है। पीड़ितों को मुआवजा व क्षतिपूर्ति भी मिलनी चाहिए। अवैध वसूली के लिए 6 माह से 3 साल तक की सजा के साथ ही 50 हजार से 2 लाख तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है। कानूनविद बोले- ऐसी वसूली संगठित अपराध, संपत्ति जब्त हो सकती है किसी को पैसे देने की जरूरत नहीं; ऑल इंडिया टेंट डेकोरेटर वेलफेयर एसोसिएशन नई दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रवि जिंदल ने बताया कि संवर्धन उद्योग और आंतरिक व्यापार विभाग को इसकी शिकायत दी थी। जवाब में विभाग ने कहा कि कॉपी राइट एक्ट 1957 की धारा 52(1) में धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रमों जैसे शादी-ब्याह में साहित्य, नाटक, गीत व संगीत प्रस्तुति कॉपी राइट के उल्लंघन में नहीं आती है। यानी पैसे देने की जरूरत नहीं है। अगर कोई संगीत सेरेमनी के नाम पर अवैध वसूली करता है तो 0141-2388435/36 पर फोन करें भास्कर ने शादी के लिए लाइसेंसशुल्क का पूछा तो रेट लिस्ट भेज दी भास्कर रिपोर्टर ने जब संगीत सेरेमनी के लिए इस गिरोह के लोगों से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि लाइसेंस लेना होगा। तब ही आयोजन कर सकते हैं। जब शुल्क का पूछा तो रेट लिस्ट भेज दी।