पायलट बोले- जातिगत जनगणना पर सरकार की नीयत में खोट:अधिसूचना में गायब क्यों है जातीय गणना की बात, तेलंगाना मॉडल अपनाएं

कांग्रेस महासचिव और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने जनगणना की अधिसूचना में जातीय गणना का जिक्र नहीं होने पर केंद्र की नीयत पर सवाल उठाए हैं। पायलट ने कहा- जातिगत जनगणना में हमें केंद्र की नीयत में खोट लग रहा है। जनगणना की अधिसूचना में सरकार ने जो घोषणा की वह बातें गायब हैं। जनगणना के लिए आठ से 10 हजार करोड़ का बजट चाहिए। लेकिन सरकार ने केवल 570 करोड़ का फंड रखा है। इन सबसे लग रहा है कि ये केवल जातिगत जनगणना को अटकाने के बहाने ढूंढ रहे हैं। सचिन पायलट दिल्ली कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बातचीत कर रहे थे। पायलट ने कहा- सरकार ने जनगणना को लेकर जो नोटिफिकेशन जारी किया है, वह 2027 के लिए किया है। दो साल बाद जनगणना करवाने का नोटिफिकेशन निकाला है। पहले कोविड का बहाना लेकर कई साल तक जनगणना में देरी की। अब हमें लगता है जातिगत जनगणना में कहीं ना कहीं इनकी नीयत में शक है कि ये केवल बात को टालने के लिए अपने वादा पूरा नहीं करने के लिए भूमिका बन चुके हैं। घोषणा की बातें अधिसूचना से गायब क्यों हैं? पायलट ने कहा- भारत में जनगणना बहुत पहले हो रही है। पहले की सरकारें अनुभव और संसाधन लगाकर जनगणना कराती रही हैं। अब सरकार की नीयत देखिए , जनगणना पर आठ से 10 हजार करोड़ खर्च होता है। इस सरकार ने जनगणना के लिए केवल 570 करोड़ रुपए का बजट रखा है। जिस काम के लिए आप धनराशि नहीं आवंटित कर रहे हो। जिस काम को करने के लिए मौखिक रूप से हां बोल दिया। लेकिन उसकी शुरुआत 2027 से करना चाहते हैं। जनता में बोल रहे हैं, लेकिन जो अधिसूचना है। उसमें से वो सारी बात गायब है। जातिगत जनगणना का मकसद जाति जानना नहीं,हर व्यक्ति किन हालात में रह रहा उसकी जानकारी मिलेगी सचिन पायलट ने कहा- कांग्रेस पार्टी ने जातिगत जनगणना का मुद्दा इसलिए उठाया था कि देश में किस जाति के लोग देश के किस कोने में किन हालातों में रह रहे हैं। समाज के हर तबके को सरकार की योजनाओं का कितना लाभ मिला है। सरकार की स्कीम का लाभ उठा पा रहे हैं या नहीं उठा पा रहे हैं। हम देश की वास्तविक स्थिति जान सकें कि लोग किन हालात में रह रहे हैं? कहां और काम करने की जरूरत है। कहां सफलता मिली और काम सफलता मिली है। यह पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए जाति के जनगणना बहुत जरूरी है। जातिगत जनगणना की मांग करने वालों को बीजपी और पीएम अर्बन नक्सली कहते थे, कांग्रेस के दबाव में मांग मानी पायलट ने कहा- भाजपा की सरकार और मौजूदा प्रधानमंत्री ने कई बार कहा था कि जाति का जनगणना की मांग करने वाले अर्बन नक्सल हैं। बीजेपी ने जातिगत जनगणना की मांग को सिरे से खारिज कर दिया था। संसद में जब जातिगत जनगणना पर सवाल पूछा गया तो लिखित जवाब दिया कि हम लोग ऐसा नहीं करना चाहते और ना करना चाहेंगे। तमाम विरोध के बावजूद जब भाजपा सरकार को लगा के देश जागरूक हो चुका है। इस मांग को अब बहुत दिनों तक ठुकरा नहीं सकते हैं तो अचानक सरकार ने जातिगत जनगणना को स्वीकार किया और हमारी मांग को माना। जातिगत जनगणना में तेलंगाना मॉडल अपनाया जाए
पायलट ने कहा- तेलंगाना सरकार ने जो जातिगत जनगणना की है उसका मकसद केवल जाति जानना ही नहीं है। उसमें एक्सपर्ट, एनजीओ, सोशल साइंटिस्ट, सरकारी-गैर सरकारी जानकारों को लेकर डिटेल्ड कास्ट सेंसस किया है। सरकार को तेलंगाना मॉडल पर जातिगत जनगणना करवानी चाहिए। जातिगत जनगणना की राजनीति को बंद करके सरकार को तुरंत प्रभाव से इसे करवाना करनी चाहिए। सरकार ध्यान डायवर्ट करना चाहती है
पायलट ने कहा- इन्होंने महिला आरक्षण को भी लंबी समय सीमा में बांध दिया, यह कब पूरा होगा कोई नहीं जानता। सरकार केवल ध्यान डाइवर्ट करने के लिए प्रयास कर रही है। सरकार को पर्याप्त बजट आवंटित करना चाहिए।