केंद्रीय मंत्री बोले- प्रकृति से सांमजस्य बैठाकर काम करना होगा:कहा- OBC को आरक्षण तब मिला, जब कांग्रेस सत्ता से बाहर थी

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव मंगलवार को जोधपुर में थे। उन्होंने विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस के उपलक्ष्य पर अरिड फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (AFRI) में ‘मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने की रणनीति’ विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमें प्रकृति ने सबकुछ दिया है। प्रकृति की हर चीज मानव के लिए उपयोगी है, लेकिन मानव की बनाई बहुत सी चीजें प्रकृति को नुकसान पहुंचा रही हैं। रेफ्रीजरेटर इसका उदाहरण है। उन्होंने कहा कि हमें प्रकृति से सांमजस्य बैठाकर काम करना होगा। इसके साथ ही उन्होंने सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण को लेकर किए जा रहे कार्यों की भी जानकारी दी। आफरी का सोशल इम्पैक्ट दिखे
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने आफरी को लेकर कहा कि इसका सोशल इम्पैक्ट दिखना चाहिए। देश के कई हिस्सों में कई अन्य संस्थानों ने अच्छा कार्य किया है। उन्होंने कहा कोयम्बटूर इसका एक अच्छा उदाहरण है। यादव ने कहा कि 32 साल में आफरी में गैप आ गया है तो उसे अब दूर करने के प्रयास किए जाएं। इसके साथ ही उन्होंने बच्चों के लिए मरुस्थलीय पौधों का पार्क बनाने और एक नर्सरी डेवलप करने की भी सलाह दी। यादव ने कहा कि पार्क में भ्रमण से मरुस्थलीय पौधे के बारे में बच्चों को जानकारी मिल पाएगी। यादव ने पत्रकारों से भी बातचीत की। उन्होंने कांग्रेस पर जातिगत जनगणना को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में जातिगत सर्वेक्षण को कराने में 165 करोड़ रुपए खर्च हुए थे और अब फिर कराने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का ओबीसी समुदाय के हितों के साथ विश्वासघात करने का इतिहास रहा है। काका कालेलकर आयोग की रिपोर्ट को नजरअंदाज किया। कांग्रेस ने मंडल आयोग की सिफारिशों का भी विरोध किया था। ओबीसी को आरक्षण तभी मिला जब कांग्रेस सत्ता से बाहर थी। अरावली की मरुस्थलीकरण रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका
कार्यशाला को केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जोधपुर पौधों के संरक्षण की भूमि हैं। यहां के लोगों ने वृक्षों को बचाने के लिए अपना बलिदान दिया है। मरुस्थलीकरण रोकने के लिए अरावली की पर्वतमाला और वनक्षेत्र की मुख्य भूमिका है। वैश्विक थीम 'भूमि को पुर्नस्थापित करें, अवसरों को खोलें' पर केंद्रित इस वर्ष इसकी वैश्विक थीम 'भूमि को पुर्नस्थापित करें, अवसरों को खोलें' पर केंद्रित रखी गई।। कार्यशाला का उद्देश्य भूमि पुनर्स्थापना के माध्यम से जलवायु सहनशीलता, जैव विविधता और सतत ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना है। वहीं, वर्कशॉप में 2030 तक भारत की ‘भूमि क्षरण तटस्थता’ प्राप्त करने की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता एवं उसकी प्रगति की समीक्षा, सूखा पूर्व चेतावनी प्रणाली और सतत भूमि उपयोग हेतु केंद्र और राज्य एजेंसियों के बीच समन्वय को मजबूत करने पर चर्चा की गई। कार्यशाला मरुस्थलीकरण और सूखे जैसी महत्वपूर्ण चुनौतियों से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर रणनीतियों के आदान-प्रदान, नवाचारों के प्रदर्शन और नीतिगत समन्वय को मजबूती प्रदान में मदद मिलेगी। देशभर से जुटें वैज्ञानिक, नीति निर्माता व वन अधिकारी
कार्यशाला में देशभर के वैज्ञानिक, नीति निर्माता, वन अधिकारी और नागरिक समाज संगठन एक मंच पर जुटे। यह पहल संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम सम्मेलन (UNCCD) के अंतर्गत भारत की सक्रिय भूमिका को सुदृढ़ करती है और सतत विकास लक्ष्य 15 - धरती पर जीवन (Life on Land) की प्राप्ति में महत्वपूर्ण योगदान देती है।