पशुपालन विभाग:इन दिनों लगने हैं गलघोंटू के टीके, पर लग रहे लंपी के; बारिश से पहले हर साल लगते हैं गलघोंटू के टीके

पशुपालन विभाग:इन दिनों लगने हैं गलघोंटू के टीके, पर लग रहे लंपी के; बारिश से पहले हर साल लगते हैं गलघोंटू के टीके
पशुपालन विभाग ने पशुओं के एक वैक्सीनेशन का काम पूरा नहीं हुआ, उससे पहले अगला वैक्सीनेशन शुरू करा दिया गया है। दोनों के बीच कोई गेप रखा गया है। यह वैक्सीनेशन भी वह शुरू किया गया है, जिसकी अभी कोई आवश्यकता भी नहीं थी। जबकि जिस बीमारी के बारिश से पहले वैक्सीनेशन होना था, उस पर विभाग में कहीं कोई चर्चा तक नहीं है। असल में राष्ट्रीय पशुरोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत प्रदेशों में गाय और भैंस में खुरपका मुंहपका (एफएमडी) टीका लगाया जाता है। यह एक साल में दो बार लगता है। राष्ट्रीय कार्यक्रम में सभी प्रकार के टीकों का समय निर्धारित है। उसी के अनुसार एफएमडी का टीकाकरण 15 अप्रैल में खत्म हो जाना चाहिए था, जबकि इसके पूरा होने की तिथि ही 31 मई थी। अब स्थिति यह है कि विभाग ने लंपी का टीकाकरण का काम 2 जून से शुरू करा भी दिया है। जबकि एक टीके से दूसरे के बीच कम से कम 28 दिन का गेप होना बेहद जरूरी है। न ग्लॉव्ज, न डिपोजिट बैग असल में डिस्ट्रिक्ट मॉनिटरिंग यूनिट का काम है कि वह संबंधित पशुधन सहायक को एप्रॅन, डिस्पोजेबल सिरिंज-निडिल, बायोलॉजिकल वेस्ट डिपोजिट बैग्स, ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम, वैक्सीन कंटेनर, प्लेन प्रोटेक्टिंग ग्लास व हैंड ग्लव्स आदि उपलब्ध कराए। लेकिन वास्तविकता यह है कि वैक्सीन लगने में काम आने वाले न्यूनतम उपकरणों के अलावा ह्यूमन प्रोटेक्शन का कोई उपकरण या साधन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा। यह उनके जीवन के साथ खिलवाड़ जैसा है। लंपी के लक्षण तक नहीं विशेषज्ञों का कहना है कि गलघोंटू के बजाय लंपी का टीका लगाने का शिड्यूल जारी करना आश्चर्यजनक है, क्योंकि अभी इस बीमारी के कोई अचानक लक्षण भी सामने नहीं आए हैं। यह बीमारी रिपीट भी नहीं हो रही। कोल्ड चेन भी टूट रही केंद्र और राजस्थान सरकार की गाइडलाइन है कि 2 से 8 डिग्री पर टीकों को संरक्षित रखा जाता है। केंद्र व राज्य सरकार का कहना है कि जिन संस्थाओं में फ्रीज हों वहीं टीके सप्लाई किए जाएं। जबकि व्यवहार में डिस्ट्रिक्ट ड्रग डिपो ब्लॉक लेवल के अस्पतालों में इन टीकों को सप्लाई करते हैं, क्योंकि वहां रेफ्रीजरेटर मौजूद हैं, लेकिन वे ब्लॉक अस्पताल सबसेंटर को भी वैक्सीन दे रहे हैं। जहां कोई व्यवस्था नहीं है। यह भी उल्लेखनीय है कि वैक्सीन लगने में काम आने वाले न्यूनतम उपकरणों के अलावा ह्यूमन प्रोटेक्शन का कोई उपकरण या साधन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा।