जयपुर में बने राम दरबार के 51 आभूषण व अस्त्र-शस्त्र:3 दिन में 54 कारीगरों ने बनाए 11 मुकुट, 4 धनुष, 2 हनुमान गदा व 33 अस्त्र-शस्त्र

सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अंग विभूषणं। आजानुभुज शर-चाप-धर, संग्राम-जित-खरदूषणं ।।...अर्थात मस्तक पर रत्नजटित मुकुट, कानों में कुण्डल, भाल पर सुन्दर तिलक और प्रत्येक अंग में सुन्दर आभूषण सुशोभित हो रहे हैं, जिनकी भुजाएं घुटनों तक लंबी है, जो धनुष-बाण लिए हुए हैं, जिन्होंने संग्राम में खर-दूषण को जीत लिया। लगभग 500 वर्ष पहले तुलसीदास जी ने राम स्तुति की रचना करते हुए श्रीराम के आभूषणों का वर्णन इस तरह किया था। त्रेता युग में अवतरित श्री राम के आभूषणों का निर्माण उस युग में किसने किया था, यह ताे ज्ञात नहीं है, लेकिन मौजूदा युग में गुरुवार काे अयोध्या में हुई राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा में सभी मूर्तियाें काे जिन आभूषणों से सुशोभित किया गया है, इनका निर्माण जयपुर व सूरत में हुआ है। ये केके ज्वैलर्स के कारीगरों ने तैयार किए हैं। जयपुर के कारीगरों ने 11 मुकुट, 4 धनुष, 2 हनुमान गदा व 33 अस्त्र-शस्त्र बनाए आभूषण निर्माण कंपनी के संचालक मनीष, संदीप व कुशल खूंटेटा ने बताया कि डिजाइन से कीमती रत्नाें की सेटिंग तक सब जयपुर के कारीगरों ने किया है। तीन दिन चार कारखानों में 54 कारीगरों ने 11 मुकुट, चार धनुष, दाे हनुमान गदा और 33 अस्त्र-शस्त्र का निर्माण किया। 24 कैरेट साेने की परत चढ़े यह आभूषण करीब 18.5 किलाे चांदी से बने हैं। इन पर नक्काशी के साथ स्टाेन सेटिंग हैं। आभूषण व अस्त्र-शस्त्र में शामिल 11 मुकुट का वजन 5.4 किलाे, चार धनुष का 5.5 किलाे, दाे हनुमान गदा का 1.2 किलाे और 33 अस्त्र-शस्त्र का 6.33 किलाे है।