खबर हटके- आसमान से गिरा पत्थर, ₹34 करोड़ में बिकेगा:जुलाई-अगस्त में ज्यादा तेजी से घूमेगी धरती; जानिए दिनभर की 5 रोचक खबरें

खबर हटके- आसमान से गिरा पत्थर, ₹34 करोड़ में बिकेगा:जुलाई-अगस्त में ज्यादा तेजी से घूमेगी धरती; जानिए दिनभर की 5 रोचक खबरें
क्या आपने कभी सोचा है कि आसमान से गिरा कोई पत्थर हीरे से भी ज्यादा महंगा हो सकता है। ये है- मंगल ग्रह का एक पत्थर जो ₹34 करोड़ में नीलाम होगा। वहीं वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस साल जुलाई-अगस्त के महीने में धरती और तेजी से घूमेगी, जिससे हमारे दिन थोड़े छोटे हो जाएंगे। ऐसी ही कुछ रोचक खबरें जो बीते दिन दुनिया में चर्चा में रहीं। आइए जानते हैं… पृथ्वी पर मंगल ग्रह का एक बड़ा पत्थर पाया गया है, जो इस महीने के आखिर में ₹34 करोड़ तक में बिक सकता है। यह मंगल ग्रह का अब तक का सबसे बड़ा टुकड़ा है, जिसे NWA 16788 उल्कापिंड के नाम से जाना जाता है। इसकी नीलामी 16 जुलाई को न्यूयॉर्क के सोथबी नाम के मशहूर नीलामीघर ऑफिस में होगी। दरअसल ये कहानी शुरू होती है नवंबर 2023 से। नाइजर के अगाडेज इलाके में एक वैज्ञानिक को अनोखा पत्थर मिला। इसका वजन 24 किलो था। यह मंगल ग्रह से गिरने वाले उल्कापिंडों की तुलना में बहुत बड़ा है। इस चट्टान की कीमत 17 करोड़ से 34 करोड़ रुपये (50,000 से 70,000 पाउंड) के बीच तय की गई है। अब तक पृथ्वी पर 77 हजार उल्कापिंड गिरे, जिसमें मंगल ग्रह के केवल 400 उल्कापिंड हैं। इसीलिए इसकी नीलामी इतनी खास है। मंगल ग्रह के पत्थर की नीलामी से की वैज्ञानिक नाखुश एक तरफ जहां कुछ लोग इस उल्कापिंड की नीलामी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, वहीं कुछ वैज्ञानिक इस दुर्लभ चट्टान की नीलामी पर अपनी नाराजगी जता रहे हैं। स्कॉटलैंड के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में प्रोफेसर स्टीव ब्रुसेट ने दुख जाहीर किया। उन्होंने कहा- यह शर्म की बात होगी अगर यह उल्कापिंड सार्वजनिक अध्ययन और आनंद के लिए संग्रहालय में प्रदर्शित होने के बजाय किसी अमीर व्यक्ति की तिजोरी में समा जाए। आपने सुना होगा कि धरती घूमती है, और इसी से दिन-रात होते हैं। लेकिन अब वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस साल जुलाई और अगस्त के महीनों में धरती थोड़ी और तेजी से घूमेगी। इससे हमारे दिन थोड़े छोटे हो जाएंगे। धरती के रोटेशन और टाइम पर नजर रखने वाली वेबसाइट ‘timeanddate.com’ ने नई रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक, 2025 में 9 जुलाई, 22 जुलाई और 5 अगस्त के दिन सबसे छोटे होने की संभावना है। हालांकि, ये बदलाव इतना छोटा होगा कि आप इसे महसूस भी नहीं कर पाएंगे, क्योंकि ये सिर्फ मिलीसेकंड में मापा जाएगा। जैसे, 5 अगस्त को दिन एवरेज से करीब 1.51 मिलीसेकंड छोटा होने का अनुमान है। दिलचस्प बात ये है कि धरती अपनी धुरी पर साल में 365 से ज्यादा बार घूमती है। लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था। कई कैलकुलेशंस से पता चला है कि पहले धरती को सूरज का एक चक्कर लगाने में 490 से 372 दिन लगते थे। क्यों तेज हो रही धरती की रफ्तार? वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तेजी के पीछे 4 प्रमुख कारण हो सकते हैं। पहला, धरती के कोर (अंदरूनी हिस्से) के अंदर होने वाली गतिविधि के चलते घूमने की गति पर असर पड़ रहा। दूसरा, पिघलते ग्लेशियरों से धरती के मास का बंटवारा भी एक वजह है। तीसरा, एल नीनो और ला नीना जैसी मौसमी घटनाएं, जो दुनिया भर में मास को फिर से बांटती हैं। और चौथा, तीन तारीखों पर चंद्रमा धरती के इक्वेटर से अधिकतम दूरी पर होगा। यह कहानी है 19 साल के ईथन गुओ की, जो एक अनोखा रिकॉर्ड बनाने और एक नेक काम करने के लिए निकला था। उसका सपना था अकेले ही अपने छोटे से सेसना प्लेन से दुनिया के सातों महाद्वीपों पर उड़ान भरने वाला पहला पायलट बनना। इसके साथ ही, वह कैंसर रिसर्च के लिए 1 मिलियन डॉलर (लगभग ₹8.3 करोड़) जुटाना चाहता था। इसका मोटिवेशन उसे चचेरे भाई को 2021 में कैंसर का पता चलने से मिली थी। ईथन अपने इस सफर को ऑनलाइन डॉक्यूमेंट करता था। इससे उसकी बड़ी फैन फॉलोइंग बन गई थी। अपनी अंटार्कटिका की यात्रा से पहले ही, उसने 100 दिनों से ज्यादा का सफर तय कर लिया था और छह महाद्वीपों का चक्कर लगा चुका था। चुपके से पहुंचा किंग जॉर्ज आइलैंड ईथन का सफर तब बीच में रुक गया जब वो अंटार्कटिका पहुंचा। साउथ अमेरिका के अधिकारियों के मुताबिक, ईथन प्रशांत महासागर को पार करते हुए चिली पहुंचा और फिर अंटार्कटिका की ओर बढ़ गया। इस दौरान उसने एक बड़ी गलती कर दी। बिना किसी इजाजत के किंग जॉर्ज आइलैंड के लिए उड़ान भर दी। इसके बाद चिली की पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। ब्रिटेन में खतरनाक अपराध में इस्तेमाल हुए चाकुओं से 27 फुट ऊंची मूर्ति बनी। इसे इंग्लैंड के ऑस्टवेस्टरी के ब्रिटिश आयरनवर्क सेंटर में रखा गया है। यह मूर्ति एल्फी ब्रैडले नाम के ब्रिटिश मूर्तिकार ने बनाया है। इसे 'नाइफ एंजेल' के नाम से जाना जाता है। मूर्ति को बनाने में कुल एक लाख चाकुओं और ब्लेड का इस्तेमाल हुआ है। इसका मकसद लोगों को चाकू से होने वाले अपराधों के प्रति जागरूक करना है। माना जाता है कि हर चाकू की अपनी एक दर्दनाक कहानी है। अपराध के शिकार 80 परिवारों ने चाकुओं पर अपना संदेश उकेरा। आजकल प्लास्टिक हमारी जिंदगी का ऐसा हिस्सा बन गया है कि इससे पीछा छुड़ाना मुश्किल है। प्लास्टिक के बेहद छोटे कण, जिन्हें माइक्रोप्लास्टिक्स कहते हैं। अब इंसानों और जीव-जंतुओं के लिए बहुत बड़ी मुसीबत बन चुके हैं। ये छोटे-छोटे प्लास्टिक के टुकड़े हमारे फेफड़ों, लिवर, किडनी, खून और यहां तक कि दिमाग तक में पाए जा चुके हैं। हाल ही में एक नई रिसर्च सामने आई, जिसमें बताया गया कि 10 में से 6 लोगों के प्राइवेट पार्ट में प्लास्टिक के कण मिले। वैज्ञानिकों ने 22 पुरुष और 29 महिलाओं के सिमन की टेस्टिंग की। इंसानों पर माइक्रोप्लास्टिक्स का प्रभाव स्पष्ट नहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि माइक्रोप्लास्टिक्स का इंसानों पर प्रभाव पूरी तरह समझा नहीं गया है। हालांकि, जानवरों पर हुए अध्ययनों में ये देखा गया है कि ये कण जहां जमा होते हैं, वहां सूजन, डीएनए को नुकसान, हार्मोन में गड़बड़ी और सेल्स को जल्दी बूढ़ा कर देती हैं। तो ये थी आज की रोचक खबरें, कल फिर मिलेंगे कुछ और दिलचस्प और हटकर खबरों के साथ… खबर हटके को और बेहतर बनाने के लिए हमें आपका फीडबैक चाहिए। इसके लिए यहां क्लिक करें...