हाईकोर्ट का एक के बदले 10 पेड़ लगाने का आदेश:कहा- विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण जरूरी, भविष्य की पीढ़ियों के लिए अहम फैसला

हाईकोर्ट का एक के बदले 10 पेड़ लगाने का आदेश:कहा- विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण जरूरी, भविष्य की पीढ़ियों के लिए अहम फैसला
राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर के सौंदर्यीकरण और सड़कों के विस्तार के लिए काटे जाने वाले पेड़ों की कटाई को लेकर अहम आदेश दिया हैं। अदालत ने कहा कि अगर पेड़ काटना जरूरी है तो सरकार एक पेड़ के बदले दस पेड़ लगाए। अदालत ने कहा कि यह आदेश सार्वजनिक हित में दिया जा रहा है ताकि भविष्य की पीढ़ियों को स्वच्छ और ऑक्सीजन युक्त वातावरण मिल सके। अदालत ने कहा कि पेड़ सालों तक समाज को मौन रूप से लाभ पहुंचाते हैं। इसलिए एक पेड़ के बदले दस पेड़ लाने की शर्त व्यापक जनहित में लगाई गई हैं। जस्टिस अनूप ढंढ की अदालत ने यह आदेश ज्ञानचंद सोनी व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया। आसपास में लगाए छायादार पौधे अदालत ने आदेश में कहा कि अगर सड़क के विस्तार और निर्माण के दौरान पौधों या पेड़ों को हटाने की आवश्यकता होती है, तो कोटपूतली नगर परिषद काटे जाने वाले पेड़ों और पौधों की गिनती करके उनकी सूची तैयार करेगा। हटाए गए प्रत्येक पेड़ या पौधे की जगह आस-पास के सार्वजनिक क्षेत्र में दस छायादार पौधे लगाएंगा। वहीं इस संबंध में न्यायालय में एक रिपोर्ट भी प्रस्तुत करेंगा। मास्टर प्लान योजनाबद्ध विकास का दस्तावेज अधिवक्ता आशीष शर्मा ने बताया कि कोटपूतली में करीब तीन साल पहले नगर परिषद ने सड़क चौड़ी करने के नाम पर वैध रूप से संपत्ति के कब्जाधारकों को बेदखल कर दिया था। मास्टर प्लान में सड़क की चौड़ाई 60 फीट से कम है, लेकिन नगर परिषद अस्सी फीट से अधिक चौड़ी सड़क बना रहा हैं। याचिकाकर्ताओं के पास भूमि के पंजीकृत विक्रय पत्र है और कुछ परिवारों के पास खेतड़ी रियासत की ओर से जारी पट्टे भी हैं। लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही हैं। इस पर फैसला देते हुए अदालत ने मास्टर प्लान को योजनाबद्ध विकास का दस्तावेज बताते हुए कहा कि यह व्यापक जनहित के लिए होता है, इसे प्राधिकरण की मर्जी या किसी व्यक्ति के हित में नहीं बदला जा सकता। अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि इस मामले में 15 दिन में कमेटी गठित की जाए, जो प्रभावितों के स्वामित्व के मामलों पर सुनवाई करे। यदि किसी के पास वैध दस्तावेज हैं और सड़क चौडी करने के लिए जमीन लेना आवश्यक है तो उसे डीएलसी रेट से भुगतान किया जाए या सरकारी योजना के तहत बदले में दूसरी भूमि आवंटित की जा सकती है।