स्मृति से सवाल- अमेठी ने साढ़े 11 महीने इंतजार किया?:अब कब आएंगी, मुस्कुराकर दिया जवाब- मेरा नाता टूटा ही कब था

लोकसभा चुनाव हारने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी सोमवार को पहली बार अमेठी पहुंचीं। वह 355 दिन बाद अमेठी आईं। स्मृति ने यहां अहिल्या बाई होल्कर जयंती पर आयोजित एक जनसभा को संबोधित किया। स्मृति ईरानी ने कहा- मैं मजदूर हूं, मुझे अमीरों की बस्ती से क्या? उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर की कविता भी पढ़ी- "मैं मजदूर हूं, मुझे देवों की बस्ती से क्या!
गणितवार धरा पर मैं स्वर्ग बनाऊं।
अंबर में जितने तारे, उतने वर्षों से
मेरे पुरखों ने धरती का रूप संवारा।
धरती को सुंदरतम करने की ममता में
बिता चुके कई पीढ़ियां, वंश हमारा।
और आने वाली सदियों में
मेरे वंशज धरती का उद्धार करेंगे।
मैं मजदूर हूं!" कहा- हमारा रिश्ता खून का भले न हो, संघर्ष का है
स्मृति ईरानी ने कहा- मुझे इस मंच पर अतिथि बनाया गया। मैं कहना चाहती हूं कि मेरा यहां से रिश्ता पुराना है। यह रिश्ता खून का भले न हो, लेकिन संघर्ष का है। पसीने का है, सम्मान का है। आज का यह दिन मेरे लिए विशेष केवल इसलिए नहीं है कि हम देवी अहिल्याबाई होल्कर को नमन करने एकत्र हुए हैं। बल्कि इसलिए भी विशेष है क्योंकि आज ही के दिन साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने ‘प्रधान सेवक’ के रूप में राष्ट्र की सेवा की शपथ ली थी। कहा- अमेठी के लोगों ने मुझे दीदी बनाया
स्मृति ने कहा- 2014 में पहली बार जब मैं यहां आई थी, तब मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए 22 दिन थे। उस दिन मुझे लोगों ने दीदी बनाया था। अब 11 साल बाद मुझे लोग पूर्व सांसद की दृष्टि से नहीं, बहन की दृष्टि से देखते हैं। मैं याद दिला दूं कि 2014 में जब में आई थी, तब हमारी सरकार नहीं थी। उनसे सवाल किया गया कि अमेठी ने साढ़े 11 महीने आपका इंतजार किया? क्या फिर इतना लंबा इंतजार करना पड़ेगा।इस पर स्मृति ने हंसते हुए कहा- बिल्कुल नहीं, चिंतामणि जी। अब तो आपके घर के बगल में ही रहते हैं। स्मृति को देखकर बेटी खोने वाले पिता रोने लगे
इससे पहले, सोमवार सुबह 10 बजे स्मृति दिल्ली से लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचीं। यहां कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया। हालांकि, स्मृति ने किसी से ज्यादा बात नहीं की। वह सीधे सड़क मार्ग से अमेठी रवाना हो गईं। सबसे पहले अमेठी के जगदीशपुर में उस परिवार में पहुंचीं, जिसके 3 लोगों की मौत रविवार को गंगा नदी में डूबने से हो गई थी। स्मृति ने परिवार को ढांढस बंधाया। स्मृति को देखकर हादसे में पिता को खोने वाली बेटी फफककर रो पड़ी। स्मृति ने उसे गले लगा लिया। अमेठी में अपने सभी कार्यक्रम खत्म करने के बाद स्मृति ईरानी लखनऊ के रास्ते नई दिल्ली रवाना हो गईं। स्मृति ने अमेठी में घर बनवाया, चुनाव हारने के बाद पहली बार पहुंचीं
2014 में स्मृति को भाजपा ने पहली बार राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए अमेठी भेजा। वह चुनाव स्मृति राहुल से करीब एक लाख वोट से हार गईं। हार के बाद भी स्मृति ने अमेठी को नहीं छोड़ा। 2019 के चुनाव में इसका असर दिखा और स्मृति ने गांधी परिवार के गढ़ रहे अमेठी में राहुल गांधी को हराया। वह पहली बार सांसद चुनी गईं। सांसद बनते ही स्मृति ने ‘दीदी आपके द्वार’ कैंपेन शुरू किया। BJP कार्यकर्ता उन्हें दीदी कहने लगे। स्मृति ने मेदन मवई गांव में घर बनवाया। 22 फरवरी, 2024 को यहां गृहप्रवेश की पूजा कराई और यहां की वोटर बन गईं। तब कहा था- अब यहीं रहेंगी। लेकिन, 2024 के चुनाव में समीकरण बदले। कांग्रेस ने अमेठी से किशोरी लाल शर्मा को उतार दिया। इसमें स्मृति ईरानी को करारी हार मिली। रिजल्ट अनाउंस होने के बाद से घर नहीं आई थीं। ठीक एक साल बाद आज घर पहुंचीं और यहां कार्यकर्ताओं से मिलीं। स्मृति के दौरे से जुड़े अपडेट्स के लिए लाइव ब्लॉग से गुजर जाइए...