वर्ल्ड अपडेट्स:पाकिस्तान में ड्रोन हमले में चार बच्चों की मौत, हजारों लोगों ने सड़को पर प्रदर्शन किया

पाकिस्तान में सोमवार को एक संदिग्ध ड्रोन हमले में चार बच्चों की मौत हो गई और पांच अन्य घायल हो गए। इस हमले का शक पाकिस्तानी सेना पर जताया जा रहा है। यह हमला पाकिस्तान के मीर अली इलाके में हुआ, जो पाकिस्तानी तालिबान का गढ़ है। घटना के बाद हजारों लोगों ने बच्चों के शवों को रोड पर रखकर विरोध प्रदर्शन किया और न्याय की मांग की। हालांकि, इस हमले के पीछे कौन था, अभी इसकी जानकारी नहीं मिली है। पाकिस्तानी सेना ने इस पर अब तक कोई बयान नहीं दिया है। स्थानीय लोगों ने सरकार को चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “जब तक हमें यह नहीं पता चलता कि हमारे मासूम बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन है, हम शवों को दफन नहीं करेंगे।” यह हादसा तब हुआ जब पाकिस्तानी तालिबान के खिलाफ सेना का अभियान चला रही थी। मीर अली और आसपास के इलाके, अफगानिस्तान की सीमा के पास हैं। लंबे समय से यह इलाका पाकिस्तानी तालिबान(TTP) और अन्य उग्रवादी समूहों का ठिकाना रहा है। हाल ही में टीटीपी ने इस क्षेत्र में अपने हमले बढ़ा दिए हैं। अंतरराष्ट्रीय मामलों से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... पाकिस्तान अपने डेलिगेशन टीम को अमेरिका, ब्रिटेन के दौरे पर भेजेगी भारत के दुनिया के बड़े देशों में अपने डेलिगेशन भेजने के फैसले के बाद, अब पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने भी दुनिया के बड़े देशों में अपनी डेलिगेशन टीम भेजने का फैसला किया है। रेडियो पाकिस्तान के मुताबिक, बिलावल भुट्टो इस हाई-लेवल टीम का नेतृत्व करेंगे। यह फैसला भारत-पाक सीजफायर के बाद आया है। इस टीम में 7 नेता हैं। जिनमें ऊर्जा मंत्री मुसादिक मलिक, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के नेता खुर्रम दस्तगीर खान, सीनेटर शेरी रहमान, पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार, मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट के सांसद फैसल सुब्जवारी, और पूर्व विदेश सचिव तहमिना जंजुआ और जलील अब्बास जिलानी शामिल है।पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा कि यह टीम जल्द ही अमेरिका, ब्रिटेन, ब्रसेल्स, फ्रांस और रूस का दौरा करेगी। शहबाज शरीफ ने कश्मीर का मुद्दा उठाने के लिए ट्रम्प की तारीफ की पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कश्मीर का मुद्दा उठाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तारीफ की है। ट्रम्प ने 11 मई को कहा था, 'मैं दोनों के साथ मिलकर यह देखने की कोशिश करूंगा कि क्या 'हजार साल' बाद कश्मीर मुद्दे का कोई हल निकाला जा सकता है। 'शहबाज ने सोमवार को कराची में नौसेना के डॉकयार्ड का दौरा किया। यहां उन्होंने सैनिकों को संबोधित भी किया। इस दौरान शहबाज ने नेवी की तारीफ में कहा, भारतीय नौसेना का एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत पाकिस्तान के 400 समुद्री मील करीब पहुंच गया था। लेकिन पाकिस्तान की आर्मी और एयरफोर्स से भारी नुकसान झेलने के बाद, नौसेना की तैयारियों को भांपकर विक्रांत पीछे हट गया। शहबाज ने दोहराया कि अगर सीजफायर का उल्लंघन हुआ तो भारत को कड़ा जवाब देंगे। अमेरिका में दूसरों की निजी तस्वीर पोस्ट करना अब अपराध, ट्रम्प ने कानून पर किए हस्ताक्षर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को टेक इट डाउन एक्ट पर साइन किए। इससे अब बिना सहमति के किसी की निजी तस्वीरें या वीडियो ऑनलाइन शेयर करना अपराध बन गया है। इस कानून को रिवेंज पोर्न और AI-जनरेटेड डीपफेक तस्वीरों की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए लाया गया है। इस कानून के तहत यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी की निजी तस्वीरें या वीडियो उनकी अनुमति के बिना साझा करता है, तो उसे अपराध माना जाएगा। साथ ही, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और वेबसाइटों को 48 घंटे के भीतर ऐसी सामग्री हटानी होगी और उसकी डुप्लीकेट कॉपी भी खोजकर हटानी होगी। इस कानून को पारित कराने में फर्स्ट लेडी मेलानिया ट्रम्प की अहम भूमिका रही। मार्च में उन्होंने कांग्रेस के सदस्यों से मिलकर इस कानून के पक्ष में लॉबिंग की थी। बिल को सीनेट और हाउस दोनों में भारी बहुमत से समर्थन मिला। जियो न्यूज का दावा- संघर्ष से पहले वाली पोजिशन पर लौटेंगे भारत-पाक सैनिक पाकिस्तान और भारत ने आपसी सहमति से अपनी सेनाओं को LoC और इंटरनेशनल बॉर्डर पर 7 मई यानी संघर्ष शुरू होने से पहले की पोजिशन पर तैनात करने का फैसला किया है। जियो न्यूज ने यह रिपोर्ट पाकिस्तानी मिलिट्री अधिकारियों के हवाले से दी है। रिपोर्ट के मुताबिक दोनों देशों की मिलिट्री लीडरशिप, खासकर डायरेक्टर्स जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) इस वापसी के लिए आपस में तालमेल कर रहे हैं। यह कदम तनाव को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। पाकिस्तानी आर्मी के एक सीनियर अधिकारी ने मीडिया को बताया कि यह फैसला अमेरिका समेत कई देशों की डिप्लोमेटिक कोशिशों से मुमकिन हुआ।हालांकि भारत और पाकिस्तान की तरफ से किसी ने भी इस पर आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है। अमेरिका में निर्वासन का सामना कर रही भारतीय छात्रा की जीत; फेडरल कोर्ट से मिली कानूनी रूप से रहने की मंजूरी भारतीय PhD छात्रा प्रिया सक्सेना के सिर पर लटक रही निर्वासन की तलवार हट गई है। अब उनका अस्थाई रूप से अमेरिका में रहने का रास्ता साफ हो गया। 28 वर्षीय प्रिया साउथ डकोटा की एक यूनिवर्सिटी की छात्रा हैं। प्रिया को ट्रम्प प्रशासन निर्वासित करने जा रहा था, लेकिन अमेरिका की फेडरल कोर्ट के आदेश के बाद प्रिया को अब अमेरिका में रहने की कानूनी रूप से अनुमति मिल गई है। प्रिया ने हाल ही में साउथ डकोटा स्कूल ऑफ माइंस एंड टेक्नोलॉजी से केमिकल एंड बायोलॉजिकल इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। अप्रैल 2025 में होमलैंड सिक्योरिटी द्वारा सामान्य यातायात उल्लंघन के कारण अप्रत्याशित रूप से उनके F-1 छात्र वीजा को रद्द करने के बाद उसे निर्वासन की प्रकिया का सामना करना पड़ा था। हालांकि, उनका वीजा फरवरी 2027 तक वैध था। फिर भी स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम रिकॉर्ड हटा दिया गया। इस वजह से संभवतः उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करने और 10 मई को स्नातक होने से रोका जा सकता था। ऐसे में उन्होंने मुकदमा दायर किया। इस पर फेडरल कोर्ट द्वारा एक अस्थायी निरोधक आदेश दिया गया।