महंगाया गांव का हत्याकांड:8 साल बाद मिला इंसाफ: बगीची में नहाने जा रहे युवक की नृशंस हत्या के 12 दोषियों को उम्रकैद

महंगाया गांव के चर्चित हत्याकांड में 8 साल बाद न्याय की जीत हुई। शुक्रवार को भरतपुर की अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश संख्या-3 रेखा वाधवा की अदालत ने 12 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। फैसला सुनते ही दो आरोपी कोर्ट में ही बेहोश होकर गिर पड़े। ट्रायल के दौरान एक आरोपी हरप्रसाद की मौत हो चुकी है। परिवादी पक्ष के अधिवक्ता गंगा सिंह धनकर ने बताया कि 5 मार्च 2017 को महंगाया गांव में दो समाज की महिलाओं में झगड़ा हो गया था। अगले दिन 6 मार्च, 2017 को एक पक्ष के करन सिंह का बेटा विक्रम सिंह गांव की बगीची में नहाने जा रहा था। रास्ते में सुरेश के मकान के पास हरप्रसाद, शिब्बा, दिनेश, जीतू, कपिल, प्रेमचंद, हरगोविंद, अजय, मुरारी, रामचंद, महेश, रामवीर, भगवान सिंह ने डंडा सरिया, लाठी, फरसा आदि से हमला बोल दिया और विक्रम को घसीटते हुए अपने घर ले गए। वहां पर आरोपी दिनेश ने विक्रम के पेट में दरांत मारा, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई। सुनवाई के दौरान 34 गवाह पेश किए गए...
कोर्ट के सामने कुल 34 गवाहों के बयान कराए गए और ठोस दस्तावेजी साक्ष्य अदालत में प्रस्तुत किए गए। सबूतों और बयानों के आधार पर अदालत ने सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई। अभियुक्तगणों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता धर्म गोपाल चतुर्वेदी ने बहस की। वहीं अभियोजन की तरफ से धर्मेंद्र कुमार और गंगा सिंह धनकर ने भी बहस की। 13 नामजद आरोपी, सैकड़ों सवाल और आखिर मिला इंसाफ पुलिस ने घटना में पहले केवल चार लोगों को ही नामजद आरोपी बनाया था। बाद में पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता बेहतर पैरवी के चलते 9 अन्य आरोपियों को नामजद किया गया। ट्रायल के दौरान एक आरोपी हरप्रसाद की मौत हो गई। बाकी 12 आरोपियों शिब्बा, दिनेश, जीतू, कपिल, प्रेमचंद, हरगोविंद, अजय, मुरारी, रामचंद, महेश, रामवीर और भगवान सिंह को हत्या का दोषी पाया गया। गांव में फैसले के बाद चर्चा, भले देर हुई, लेकिन न्याय मिला...
फैसले के बाद गांव में चर्चाएं तेज हैं। लोग कह रहे हैं कि अगर समय पर कार्रवाई हो तो अपराधी यूं खुलेआम किसी की जान लेने की हिम्मत न करें। पीड़ित परिवार ने कोर्ट के फैसले को न्याय की जीत बताया है।