पति की तलाक अर्जी मंजूर, 22 साल पुरानी शादी रद्द:कोर्ट ने कहा- पत्नी का 15 साल तक संबंध नहीं बनाना-गुस्सा करना क्रूरता, एक जगह रहना संभव नहीं

पति की तलाक अर्जी मंजूर, 22 साल पुरानी शादी रद्द:कोर्ट ने कहा- पत्नी का 15 साल तक संबंध नहीं बनाना-गुस्सा करना क्रूरता, एक जगह रहना संभव नहीं
जयपुर मेट्रो-प्रथम की फैमिली कोर्ट-4 ने पत्नी के 15 साल तक पति से शारीरिक संबंध नहीं बनाने, दहेज प्रताड़ना की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराने, अन्य महिलाओं के साथ संबंध बनाने का झूठा आरोप लगाने व गुस्सा करने को मानसिक व शारीरिक क्रूरता माना है। कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से यह शारीरिक व मानसिक क्रूरता की गई है उससे दोनों का एक ही छत के नीचे रहना संभव नहीं है। वहीं कोर्ट ने पति की तलाक अर्जी मंजूर करते हुए करीब 22 साल पुरानी शादी को रद्द कर दी। कोर्ट के जज पवन कुमार गर्ग ने फैसले में कहा कि दोनों की शादी नवंबर 2003 में हुई थी, और उनके बीच 2003 से लेकर 2018 तक कोई शारीरिक संबंध नहीं बने। साल 2018 में पति के तलाक की अर्जी दायर करने के बाद से वे दोनों अलग रह रहे हैं। साक्ष्यों से साबित है कि अप्रार्थिया ने बिना किसी उचित कारण ही प्रार्थी पति का परित्याग कर रखा है। ऐसे में उनका दांपत्य जीवन की पुनर्स्थापना और एक साथ रहना संभव नहीं है। प्रार्थी तलाक की डिक्री आदेश प्राप्त करने का अधिकारी है। मामले से जुड़े अधिवक्ता डीएस शेखावत ने बताया कि प्रार्थी की शादी हिन्दू रीति-रिवाज से 3 नवंबर 2003 को अप्रार्थिया के साथ हुई थी। इसके बाद से ही अप्रार्थिया का व्यवहार प्रार्थी व उसके परिजनों से अच्छा नहीं रहा। 20 दिन बाद ही पीहर चली गई, मनाया पर सुधार नहीं वह शादी के बीस दिन बाद ही पीहर चली गई। बाद में उसे मनाकर लाए भी, लेकिन उसका व्यवहार नहीं बदला। वह 2004 में पीहर चली गई और वापस आने का प्रयास भी नहीं किया। इस दौरान ही उसके व परिजनों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का झूठा केस भी दर्ज कराया। एक्सपर्ट व्यू: अधिवक्ता दीपक चौहान का कहना है कि वैवाहिक संबंधों से पीछे हटना, अनैतिक आचरण का झूठा आरोप लगाना, पति के कार्यस्थल पर झूठी आपराधिक शिकायत करना, आत्महत्या या खुद को नुकसान पहुंचाने की धमकी देना, सार्वजनिक अपमान करना, झूठे केस दर्ज कराना भी मानसिक क्रूरता है।