निगम लगा रहा व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम:निजी कंपनी की नजर में होंगे निगम के वाहन, कोई नहीं भरेगा लॉग बुक

स्वच्छता निरीक्षक की ओर से ट्रैक्टर की लॉग बुक, ड्राईवर की ओर से कार चलने के किलोमीटर का हिसाब, टिपर कौन से वार्ड में कब गई। कहां और कौन-कौन से रास्ते गई। ये सब काम अब निगम के कार्मिकों से हट जाएगा। ये वो काम हैं जिसे लेने के लिए कार्मिक आपस में झगड़ते भी रहते हैं। इसमें उनकी मोटी कमाई जो होती है। अब निगम इस पर पूरी तरह लगाम लगाने जा रहा है। निगम व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम ला रहा है। जो एक निजी फर्म काम करेगी। रोज की रोज प्रत्येक वाहन और मशीन की रिपोर्ट कमिश्नर की टेबल पर होगी। दरअसल अब तक ट्रैक्टर कौन से वार्ड में कितनी बार गया। कितने ट्रिप हुए। कितना कचरा उठाया। जेबीसी कहां गई। कितने घंटे चली। टिपर सुबह वार्ड में पहुंचा या नहीं। पहुंचा तो कितने बजे। कौन से रास्ते गया। इन सबको वेरीफाई करने का जिम्मा इंस्पेक्टर, जमादार और अन्य कार्मिकों का होता है। सरकारी गाड़ी भी कितने किलोमीटर चली। उसमें कितना डीजल-पेट्रोल डाला गया। क्या एवरेज आया। इन सबका हिसाब कार्मिक ही रखते हैं। मगर इसी में बड़े-बड़े खेल होते हैं। इसी वजह से सभी की लॉग बुक भरने से लेकर वेरीफाई करने में कमाई भी होती है। निगम आयुक्त के सामने जब दो इंस्पेक्टर्स के बीच लॉग बुक भरने के झगड़े की बात गई तो उन्होंने इस पूरे सिस्टम को एक निजी फर्म को सौंपने का निर्देश दिए। इसका टेंडर सोमवार को हाे जाएगा। फर्म रोज की रोज प्रत्येक वाहन, टिपर और ट्रैक्टर का हिसाब कमिश्नर की टेबल पर भेजेगा। वहां इसका क्रॉस चेक होगा कि आखिर कौन सी गाड़ी कहां गई। ट्रैक्टर कौन से वार्ड में कितनी बार गया। टिपर कौन से रास्ते गया। गया भी या नहीं गया। उसमें फिर मिलीभगत का खेल खत्म होगा। वजन भी ऑनलाइन तुलेगा, काम निजी फर्म को गाड़ियों में वजन कितना है ये कचरा सेंटर पर पता लगता है। उस तुलाई में भी खूब घालमेल हो रहा है मगर अब ऑनलाइन ही वजन हो जाएगा। निगम इसका काम भी निजी फर्म को ही दे रहा है। दरअसल वजन में सूखा-गीला तो कचरा अलग होता नही। कई बार नालियों का कीचड़ तक भी टिपर में तुल जाता है। शाम चार बजे के बाद ज्यादातर टिपर घरों का कचरा उठाने के बाद गलियों से कचरा उठाते हैं। हालांकि कई बार निगम को उनको इसकी परमीशन देता है और बाकी समय सिर्फ वजन बढ़ाने के लिए ऐसा किया जाता है। इसलिए वजन तुलाई में ऐसी तकनीकी लाई जाएगी जिससे टिपर एक कैमरे के सामने जाते ही पूरा वजन सामने आ जाएगा। वो वजन एक्यूरेट हेागा जिसमें कोई हेरफेर भी नहीं होगा। कई शहरों में है ये व्यवस्था बीकानेर को छोड़ प्रदेश के कई नगरीय निकायों ने वाहन ट्रेकिंग सिस्टम लागू है। इससे निगम के कर्मचारियों पर निर्भर कम रहना पड़ता है। ऑनलाइन तमाम चीजे अपडेट हो जाती है। बीकानेर में अब ये सिस्टम लागू होने के बाद बीकानेर का स्थर भी बढ़ने की संभावना है। साथ ही काम-काज में आ रही रूकावटे भी दूर होंगी। "तमाम चीजों पर हम वर्क कर रहे हैं। सिस्टम को सुधारने का प्रयास कर रहा हूं। व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम का मैं टेंडर कर रहा हूं। जल्दी ही वो अपना काम शुरू करेगा। उसके बाद हर वाहन की पूरी डिटेल विद लोकेशन और किमी मेरे सामने हाेगी। फिर कोई बहाने भी नहीं चलेंगे और सही एक्शन भी लिया जाएगा।" -मयंक मनीष, कमिश्नर नगर निगम