नाले को मिट्टी-पत्थर से भर दिया, बारिश का पानी कॉलोनी में भरेगा

सिटी रिपोर्टर| जोधपुर नगर निगम उत्तर की ओर से मंडोर क्षेत्र के बरसाती पानी को सुरपुरा बांध तक ले जाने के लिए नाले का निर्माण कराया जा रहा है। इस नाले के निर्माण में कई अड़चनें आ रही है। कहीं पर जमीन ही नहीं मिल रही है तो कहीं पर अतिक्रमण है। अब स्थानीय वासियों ने ठेकेदार पर ही मनमर्जी से नाले का निर्माण करने के आरोप लगाते हुए धरना दिया है। क्षेत्रवासियों ने शुक्रवार को बालसमंद-सुरपुरा नाले निर्माण का विरोध करते हुए धरना दिया। क्षेत्रवासियों के प्रदर्शन की सूचना पर निगम के अधिकारी मौके पर पहुंचे। जहां पर क्षेत्रवासियों ने बताया कि ठेकेदार मनमर्जी से काम कर रहा है। जहां जरूरत नहीं है, वहां पर पुलिया बना रहा है और जहां आवश्यकता है, वहां मना कर रहा है। उन्होंने चतुरावता बेरा से इमरतिया बेरा जाव की ओर से जाने वाले रास्ते पर आने वाले नाले पर पुल बनाने की मांग की है। क्षेत्रवासियों ने बताया कि बालसमंद झील और मंडोर नागादड़ी का ओवरफ्लो पानी मंडोर के वार्ड संख्या 76, 77, 79, 78 व 74 से होता हुआ सुरपुरा बांध तक जाता है। मंडोर क्षेत्र के बालसमंद, मंडोर, फूलबाग, बकतो जी का बेरा, खोकरिया बेरा, बनावता बेरा, ढलावता बेरा, उपली ढलावता बेरा, मंडावता बेरा, चतुरावता बेरा, त्रृषिकेश नगर, जालवाता बेरा, ढाणा बेरा आदि में बसने वाली 15–20 हजार लोगों को बारिश के दिनों में परेशानी झेलनी पड़ती है। जोधपुर| नगर निगम प्रशासन की लापरवाही बरसाती सीजन में आमजन पर भारी पड़ सकती है। शहर की कई क्षेत्रों में प्राचीन नालों की सफाई नहीं होने से समस्या बढ़ती जा रही है। कई नाले ऐसे हैं,जिन्हें मिट्टी और पत्थर डाल कर भरा जा रहा है और निगम को इसकी जानकारी तक नही है। ऐसा ही एक बरसाती नाला मंडोर स्थित बंशी विहार कॉलोनी के पास है, जो बरसाती पानी को सुरपुरा बांध तक ले जाता है। लंबे समय से इस नाले पर अतिक्रमण करने के प्रयास किए जा रहे हैं। नाले में जगह-जगह पत्थर-मिट्टी डालकर इसे भर दिया गया है। यहां के निवासियों ने गुरुवार को निगम प्रशासन से मांग की कि इस नाले को साफ करवाया जाए। मिट्टी-पत्थर से नाला भरा होने के कारण पानी का प्राकृतिक बहाव अवरुद्ध होगा और सारा पानी आसपास की कॉलोनी भर जाएगा। हर साल बारिश से पहले निगम पूरे शहर में इस तरह के नालों की सफाई करता है, पर इस नाले की सफाई लंबे समय से नहीं हुई है। जिसके चलते अब यह समस्या बढ़ चुकी है। क्षेत्रवासियों ने बताया कि कई जगह पर नाले का अस्तित्व खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। 2022–23 में राज्य सरकार ने इस नाले के लिए निर्माण के लिए 35 करोड़ की घोषणा की थी। पर नाला अभी तक नहीं बना है। नाले के ठेकेदार ने मनमर्जी से नाले की लंबाई पर कई पुल बिना आवश्यकता के बना दिए। लगभग 2 किलोमीटर में 10–12 पुल बनाए गए हैं। जबकि पहले 5–7 बने हुए थे। जबकि इसी क्षेत्र के चतुरावता एवं ढलावता बेरा के पास नाला बनाने की आवश्यकता है लेकिन ठेकेदार ने इंकार कर दिया। साथ ही पुल ना बनाकर दीवार बना कर रास्ता रोका जा रहा है, जिसके विरोध में धरना दिया जा रहा है। अगर निगम इस समस्या का समाधान नहीं करता है तो आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि निगम प्रशासन इस समस्या की ओर से कोई ध्यान नहीं दे रहा है। कई बार शिकायतें कर दी, पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।