नाचना के मुरब्बों के थर्ड-पार्टी-राइट क्रिएट करने पर रोक:हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा 12 मार्च को आवंटन निरस्त करने को लेकर किया जवाब तलब

जैसलमेर के नाचना में उप निवेशन विभाग द्वारा वर्ष 2010 में नीलामी के जरिए 885 मुरब्बों के आवंटन को राज्य सरकार द्वारा 12 मार्च 2025 को एक आदेश से निरस्त करने के मामले में दायर याचिकाओं पर राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश मेहता की एकलपीठ ने इन याचिकाकर्ताओं से संबंधित मुरब्बों के थर्ड पार्टी राइट क्रिएट करने पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार व उप निवेशन विभाग से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 7 जुलाई को तय की है। अधिवक्ता दिनेश जैन ने बताया- उप निवेशन विभाग ने 21 अक्टूबर 2010 को आईजीएनपी से जुड़े 885 मुरब्बों का नीलामी के जरिए आवंटन तय करते हुए इस विक्रय अनुमोदन के लिए विभाग को भेज दिया। इस पर समय-समय पर पत्राचार के अंत में 11 जुलाई 2014 को सरकार ने अनुमोदन कर दिया। इसके बाद भी नीलामी होने की तारीख से वर्ष 2025 तक विभाग में ही पत्राचार चलता रहा। एक ही आदेश से सभी आवंटन निरस्त कर राशि लौटाने के आदेश एडवोकेट जैन के अनुसार गत 12 मार्च 2025 को सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए लंबित 885 प्रकरणों में नीलामी में लगी बोलियों को अस्वीकार करते हुए 885 मुरब्बों का आवंटन निरस्त कर दिया। साथ ही इन सभी के लिए जमा 20 प्रतिशत राशि को भी वापस लौटाने के आदेश दे दिए। इस पर प्रभावित बोलीदाताओं में शामिल जोधपुर के मंडोर निवासी भूरसिंह व 21 अन्य ने अधिवक्ता दिनेश जैन के माध्यम से सरकार के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। इसमें याचिकाकर्ताओं की ओर से जैन ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2010 में की गई नीलामी में उन्होंने सर्वाधिक बोली लगाई और इसके लिए निर्धारित की गई 20 प्रतिशत राशि भी जमा करा दी थी। उप निवेशन विभाग द्वारा समय-समय पर इसका अनुमोदन भी किय गया। यहां तक कि विभाग ने कुछ लोगों को आवंटन आदेश जारी कर पट्टे भी जारी कर दिए, लेकिन याचिकाकर्ताओं को विभाग ने बिना नोटिस दिए ही अचानक आवंटन रद्द कर राशि लौटाने के आदेश कर दिए। कोर्ट ने एडवोकेट जैन के तर्कों से सहमत होते हुए याचिकाकर्ता को विचारार्थ स्वीकार करने के साथ ही राज्य सरकार व उप निवेशन विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। साथ ही उक्त जमीन पर थर्ड पार्टी राइट क्रिएट करने पर भी रोक लगाई है। वहीं, प्रतिवादियों की ओर से अधिवक्ता आयुष गहलोत ने नोटिस की प्राप्ति स्वीकार करते हुए जवाब पेश करने के लिए समय मांगा। कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए इस मामले की सुनवाई 7 जुलाई को निर्धारित की है।