नगर परिषद की विफलता:एमओयू को 11 साल बीते, बस स्टैंड में न होटल बना न बैंक शुरू, अधिक दरों के कारण नीलामी 3 बार विफल

नगर परिषद की विफलता:एमओयू को 11 साल बीते, बस स्टैंड में न होटल बना न बैंक शुरू, अधिक दरों के कारण नीलामी 3 बार विफल
वृद्धिचंद जैन केंद्रीय बस स्टैंड पर यात्रियों को आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराने का सपना 11 साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया है। वर्ष 2014 में नगर परिषद और रोडवेज के बीच एमओयू के तहत 2029 तक बस स्टैंड में भवन निर्माण और रखरखाव की जिम्मेदारी नगर परिषद की थी। इसके तहत दुकानें, दो बैंक, एक होटल और रेस्टोरेंट शुरू करने की योजना थी, लेकिन इनमें से अधिकांश कागजों तक ही सीमित रह गईं, इस वजह से नगर परिषद को राजस्व में करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। नगर परिषद ने राजस्व जुटाने के उद्देश्य से परिसर में दुकानें, पहली मंजिल पर दो बैंक और एक पास ही खाली पड़े भवन में करीब 20 कमरों की होटल और रेस्टोरेंट शुरू करना था। इनके लिए नगर परिषद ने पिछले साल दो-तीन बार निविदाएं भी जारी की, लेकिन ठेकेदारों ने रूचि नहीं ली। बस स्टैंड से रोज करीब 15 से 18 हजार या​त्रियों का आवागमन है। यहां से 66 बसों का संचालन 66 रूटों पर किया जाता है। बस स्टैंड पर 11 साल से सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। ज्यादा फीस और खुद को ही सुविधाएं विकसित करने की जटिल शर्त के कारण नहीं हो रही है नीलामी नगर परिषद ने 15 साल के एमओयू अवधि में से 11 साल गंवा दिए हैं और अब 4 साल शेष हैं। इस दौरान नीलामी की प्रक्रिया वर्ष 2016, 2018 और 2024 शुरू की, लेकिन किराया ज्यादा होने की वजह से लोगों ने रूचि नहीं ली। नगर परिषद की तरफ से बस स्टैंड में कियोस्क के लिए लगभग 25 हजार रुपए, दुकानों के लिए 10 लाख रुपए और होटल के लिए करीब 4 लाख रुपए से अधिक की एक मुश्त फीस तय की गई थी। नीलामी की शर्तों में यह भी शामिल था कि बोली लगने के 30 दिनों के भीतर राशि जमा करवानी होगी। इसके अलावा सफल बोली लगाने वाले को अपने स्तर पर बिजली और पानी के कनेक्शन करवाने के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा जारी होने वाले लाइसेंस की फीस भी जमा करवानी थी। दरों में छूट दें तो नीलामी में रूचि बढ़े नगरपरिषद ने कियोस्क, होटल व बैंक की मोटी फीस रखी है। इसी वजह से तीन बार नीलामी में व्यापारियों ने रूचि नहीं ली। दुकानदारों का कहना है कि इतनी भारी फीस भरने के बाद वहां पर सभी सुविधाएं अपने स्तर पर विकसित करनी होगी और उसके बाद नियमानुसार किराया वसूला जाएगा। न तो बस स्टैंड में इतनी ग्राहकी की उम्मीद है और न ही रकम को वापस ले पाएंगे। ऐसे में यह सीधे सीधे घाटे का सौदा नजर आ रहा है। ज्यादा फीस की वजह से ही अब तक नीलामी प्रक्रिया बार बार फैल हो रही है। बैंक ग्राउंड फ्लोर पर होना जरूरी परिसर में बैंक दूसरे मंजिल पर प्रस्तावित होने के कारण भी कोई भी बैंक इसमें रूचि नहीं दिखा रहा है। बैंकों की गाइडलाइन के अनुसार दिव्यांगों और बुजुर्गों की सुविधा के लिए बैंक ग्राउंड फ्लोर पर होने चाहिए। इस महत्वपूर्ण शर्त का पालन न होने के कारण बैंक शाखाएं खोलने की योजना फेल हो गई। इन सब कारणों से जहां एक तरफ यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर नगर परिषद को भारी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। "रोडवेज व नगरपरिषद के एमओयू का मामला मेरी जानकारी में है। इनमें क्या शर्तें रखी थी और क्या नियम बनाए है इसकी जानकारी नगरपरिषद व रोडवेज से ले रहा हूं, एक दो दिन में इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी।" -राजेंद्रसिंह चांदावत, एडीएम