एलो इम्यूनाइजेशन की रोकथाम के लिए एन्टी-डी इंजेक्शन:नेगेटिव ब्लड ग्रुप वाली माताओं के लिए राजकीय जनाना अस्पताल में हुआ जागरुकता का कार्यक्रम

नेगेटिव ब्लड ग्रुप वाली माताओं के लिए बुधवार को राजकीय जनाना अस्पताल में जागरुकता का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें जनाना अस्पताल के प्रमुख विशेषज्ञ डॉ. योगेंद्र मीणा ने बताया कि बड़े पैमाने पर एफएमएच यानि फीटो मातृ रक्तस्राव की घटनाएं करीब 1000 जन्मों में से 1 की होती हैं और बच्चे गंभीर बीमारी के साथ जन्म लेते हैं। जिससे लगभग 14% भ्रूण की मृत्यु हो जाती है। करीब 95% गर्भधारण में हल्का एफएमएच देखा जाता है, हालांकि 5 हजार प्रसवों में से 1 में गंभीर एफएमएच 150 एमएल रक्तस्राव प्रसव से पूर्व होने से बच्चा गिर जाता है। उन्होंने कहा कि एफएमएच से जुड़े प्रमुख जोखिम कारकों में से एक संवेदीकरण या एलो इम्यूनाइजेशन की रोकथाम के लिए एन्टी-डी (ट्रिनबेलिमैब ) इंजेक्शन दिया जाना चाहिए। हालांकि 300 एमसीजी की मानक खुराक अधिकतम मामलों को कवर करती है, फिर भी एफएमएच के आकार का निर्धारण करने की सिफारिश की जाती है। अपने विभाग के नर्सिंग कर्मियों को संबोधित करते हुए निर्देशित किया कि गर्भावस्था के 28वें सप्ताह पर 300 माइक्रोग्राम की एकल खुराक देना आवश्यक है। महिला की डिलीवरी हो चुकी हो और बच्चा आरएच-पाजिटिव है, तो डिलीवरी के 72 घंटों के भीतर 300 माइक्रोग्राम का एंटी-डी इंजेक्शन देना अनिवार्य होता है। इस कार्यक्रम में आरएच नेगेटिव मां के लिए में एएनसी, पीएनसी व प्रसव कक्ष के नर्सिंग कर्मियों ने सक्रिय भागीदारी की, जिससे इनका शैक्षणिक स्तर बेहतर होगा।