अनकही:राजा मानसिंह ने सीएम के खड़े हेलिकॉप्टर को मारी थी जीप से टक्कर, माथुर ने कहा था- इसे तो ठीक करा लेंगे, वातावरण क्यों बिगाड़ें

प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे शिवचरण माथुर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नजदीकी रहे, हालांकि उन्हें विभिन्न कारणों से दोनों बार कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा देना पड़ा था। पहली बार इस्तीफा देने की कहानी राजा मानसिंह टक्कर मारने से जोड़कर देखी जाती है। हालांकि माथुर की मानसिंह से मित्रता थी, लेकिन घटना के एक दिन बाद ही मानसिंह को पुलिस ने गोली मार दी और उनका निधन हो गया। फिर सीएम से इस्तीफा भी मांग गया। डॉ. मनोहर प्रभाकर की बुक समय के सारथी में इस घटना से जुड़े आगे-पीछे के कई वृतांत लिखे गए हैं। माथुर के हवाले से लिखा गया है कि 1977 में पार्टी की बुरी हार हुई। 30 महीने बाद ही 1980 में दुबारा चुनाव हुए। देश और प्रदेश, दोनों जगह कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई। जगन्नाथ पहाड़िया को सीएम बनाया गया, लेकिन 11 माह बाद ही माथुर को सीएम पद की शपथ दिला दी गई। 1985 में माथुर सीएम थे ही, वे चुनाव प्रचार के लिए जगह-जगह जा रहे थे। हेलिकॉप्टर से डीग भी गए। वहां से कार से सभा स्थल पहुंच गए। सभा को संबोधित कर ही रहे थे कि सूचना आई- राजा मानसिंह ने अपने वाहन से हेलिकॉप्टर को टक्कर मार तोड़ दिया है। तब माथुर ने कहा- ऐसी क्या बात है? वो तो हमारे मित्र हैं। वे मौके पर पहुंचे। मानसिंह तो चले गए थे। एसपी-कलेक्टर से कहा कि मानसिंह कहीं भी हों, उनसे बात करा दो। हेलिकॉप्टर का क्या है, ठीक करा लेंगे। वातावरण क्यों बिगाड़ें? हालांकि तब बात हो नहीं पाई। दूसरे दिन सवाई माधोपुर पहुंचे माथुर को तत्कालीन डीआईजी अशोक भंडारी ने बताया कि डीग के पास पुलिस की गोली लगने से मानसिंह का निधन हो गया। इसके बाद दिल्ली में माथुर के खिलाफ लॉबिंग शुरू हो गई। माखनलाल फोतेदार का फोन पहुंचा, बोले- आपका काम अच्छा चल रहा है, लेकिन आप बने रहते हैं तो इसका असर सब जगह पड़ेगा। आप खुद पीछे हट जाएं। आपका कहीं और उपयोग करेंगे। उस समय रात के दस बजे थे। माथुर ने जवाब में सिर्फ इतना कहा- ठीक है। ये चीज उनकी ही दी हुई है। मुझे क्या दिक्कत है। फिर तुरंत इस्तीफा हो गया। इलेक्शन के सिर्फ 14 दिन रह गए थे। इन 14 दिनों के लिए हीरालाल देवपुरा मुख्यमंत्री बने। चुनाव बाद हरिदेव जोशी मुख्यमंत्री बने और 3 साल बाद पुन: शिवचरण माथुर को सीएम बना दिया गया। कांग्रेस नेता शिवचरण माथुर दो बार सीएम बने, दोनों बार ही बीच में त्यागपत्र देना पड़ा। पहली बार 14 जुलाई 1981 को मुख्यमंत्री बने और दूसरी बार 20 जनवरी 1988 को।