50 हजार में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बदलवाओ:रैकेट में 32 डॉक्टर शामिल, संभल पुलिस ने दिखाए सबूत

50 हजार में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बदलवाओ:रैकेट में 32 डॉक्टर शामिल, संभल पुलिस ने दिखाए सबूत
गला दबाकर हत्या करने की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सुसाइड करने में बदल जाएगी। मामूली चोट है, तो उसे गंभीर बनवाया जा सकता है। गंभीर चोटें हैं, तो उन्हें मामूली चोटों में बदला जा सकता है। यूपी के जिला संभल में आजकल मनमाफिक पोस्टमॉर्टम और मेडिकल रिपोर्ट बनवाने का बड़ा खेल चल रहा है। पिछले दिनों ऑनर किलिंग जैसे संगीन मामले की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सिर्फ 50 हजार रुपए में बदल दी गई। पुलिस ने इस रैकेट का पर्दाफाश करते हुए सरकारी फार्मासिस्ट और पोस्टमॉर्टम हाउस के वार्डबॉय (कम्प्यूटर ऑपरेटर) को गिरफ्तार कर लिया। यह गैंग अब तक सैकड़ों पोस्टमॉर्टम/मेडिकल रिपोर्ट बदल चुका है। रिपोर्ट बनाने की एवज में ऑनलाइन पैसे लेने के सबूत भी वॉट्सऐप चैट में मिले हैं। चैट्स इतनी ज्यादा हैं कि ऐसी रिपोर्टों की गिनती तक नहीं हो पाई है। सूत्रों का दावा है कि इस गोरखधंधे में 32 डॉक्टर इन्वॉल्व पाए गए हैं। बाकायदा इसके ऑनलाइन प्रूफ हैं। DM ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी बना दी है। पढ़िए खास रिपोर्ट... कैसे हुआ इस पूरे मामले का खुलासा? संभल जिले के रजपुरा थाना क्षेत्र में गांव हरदासपुर है। 31 मई को 19 साल की मंजू की लाश फंदे पर लटकी मिली। फैमिली ने लड़की के कथित बॉयफ्रेंड प्रमोद समेत कई लोगों के खिलाफ हत्या करने की शिकायत पुलिस से की। पुलिस ने नामजद आरोपियों की मोबाइल लोकेशन निकाली, तो वो घटनास्थल पर नहीं मिली। जबकि, मंजू की पूरी फैमिली के मोबाइल घटनास्थल पर ऑन थे। पुलिस ने और गहराई से तफ्तीश की तो पुष्टि हुई कि लड़की के पिता और भाई ने सुबह के वक्त कई संदिग्ध मोबाइल नंबरों पर बातचीत की थी। इस तरह पुलिस फार्मासिस्ट मधुर आर्य तक पहुंची। मधुर की तैनाती सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) बहजोई में है। कड़ाई से पूछताछ में पता चला कि मंजू को उसकी फैमिली ने ही गला दबाकर मारा था। फिर लाश को फंदे पर लटका दिया। फैमिली वाले चाहते थे कि मंजू की हत्या में उसका बॉयफ्रेंड प्रमोद जेल जाए। चूंकि फैमिली ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी, इसलिए उनको ये भी शक था कि फांसी पर शव लटकाने से पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में स्ट्रेंगुलेशन (हत्या) की जगह हैंगिंग (सुसाइड) आ सकता है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बदलवाने के लिए उन्होंने फार्मासिस्ट मधुर आर्य से कॉन्टैक्ट किया था। 50 हजार रुपए में डील फाइनल हो गई। आखिरकार पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट स्ट्रेंगुलेशन (फंदा लगाकर हत्या) की बन गई। लंबी जांच-पड़ताल के बाद 9 जून को संभल पुलिस ने मंजू के पिता चंद्रकेश, भाई धर्मेंद्र, रिश्तेदार जयप्रकाश, प्रवेश, फार्मासिस्ट मधुर आर्य को गिरफ्तार कर लिया। इस केस में पिछले हफ्ते पोस्टमॉर्टम हाउस पर तैनात वार्डबॉय यश शर्मा की भी गिरफ्तारी हुई। फार्मासिस्ट को सस्पेंड कर दिया गया, वहीं वार्डबॉय को नौकरी से निकाल दिया गया। वॉट्सऐप चैट में डॉक्टरों से रुपए के लेन-देन के पुख्ता सबूत टॉप सोर्सेज ने दैनिक भास्कर को बताया- हमने गिरफ्तारी के बाद फार्मासिस्ट मधुर आर्य के मोबाइल की वॉट्सऐप हिस्ट्री खंगाली। उसे देखकर हम चौंक गए। चैट्स में हमें ऐसी सैकड़ों पोस्टमॉर्टम और मेडिकल रिपोर्ट मिली हैं, जिनमें रुपए लेकर बदलाव किया गया। चैट्स इतनी पुरानी हैं कि अभी हम उसकी शुरुआत तक नहीं पहुंच पाए हैं। ये भी नहीं कह सकते कि इन रिपोर्ट की संख्या कितनी ज्यादा हो सकती है? फिलहाल इतना मान सकते हैं कि संख्या सैकड़ों में है। सोर्स ने बताया कि इन चैट्स में हमें रिपोर्ट बनवाने के बदले ऑनलाइन पैसे लेने के सबूत भी मिले हैं। गूगल-पे, फोन-पे जैसी मर्चेंट सर्विस के स्क्रीनशॉट पाए गए हैं। ये रुपए कहां से आए, किसलिए आए, फार्मासिस्ट इसका कोई जवाब नहीं दे सका है। इस केस में अकेला फार्मासिस्ट इन्वॉल्व नहीं है। वो सिर्फ एक कड़ी है। उसकी वॉट्सऐप चैट्स संभल के तमाम सरकारी डॉक्टरों से मिली है। इसमें पोस्टमॉर्टम और मेडिकल रिपोर्ट बदलवाने और रुपए के लेन-देन की बातचीत साफ तौर पर हो रही है। इसी तरह पुलिस ने जब पोस्टमॉर्टम हाउस पर तैनात वार्डबॉय (कम्प्यूटर ऑपरेटर) यश शर्मा के वॉट्सऐप चैट की हिस्ट्री देखी तो 3 पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ऐसी पाई गईं। इनमें रुपए लेकर बदलाव किया गया। यश शर्मा की ज्यादातर चैट हिस्ट्री डिलीट मिली है। बंद कमरे में दिखाए लेन-देन के सबूत तो डॉक्टरों ने मांगी माफी सूत्रों ने बताया कि पोस्टमॉर्टम और मेडिकल रिपोर्ट मनमाफिक तरीके से बनाने के खेल में संभल के करीब 32 डॉक्टर और स्टाफ इन्वॉल्व मिले। इस पर इसकी जानकारी DM राजेंद्र पेंसिया को दी गई। पिछले दिनों DM ने CMO समेत सभी डॉक्टरों की कॉन्फिडेंशियल मीटिंग बुलाई। इसमें पुलिस के भी टॉप ऑफिसर मौजूद रहे। फार्मासिस्ट के मोबाइल से जो-जो सबूत मिले, वो सभी डॉक्टरों को बंद कमरे में दिखाए गए हैं। DM ने साफ कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए, ये बहुत गलत है। अब DM ने पूरे मामले में एक जांच कमेटी बना दी है। इसमें 3 टॉप ऑफिसर शामिल हैं। टीम ने अपनी जांच में फार्मासिस्ट और कम्प्यूटर ऑपरेटर की वॉट्सऐप चैट हिस्ट्री को भी शामिल किया है। माना जा रहा है कि जल्द इस केस में संभल जिले के कुछ डॉक्टरों पर एक्शन हो सकता है। हालांकि, एक अफसर का कहना है कि बंद कमरे में इन सभी डॉक्टरों ने DM-SP से माफी मांगी है। साथ ही आइंदा ऐसा नहीं होने की बात कही है। इसके बाद इन सभी डॉक्टरों को ‘अभयदान’ दे दिया गया है। जिसकी लाश फांसी पर मिली, उसकी भी PM रिपोर्ट बदली संभल जिले के जुनावाई थाना क्षेत्र के एक गांव में रहने वाली महिला सुमन की पिछले महीने संदिग्ध हालात में मौत हो गई। शव फंदे से लटका हुआ था। ससुरालवाले फरार थे। पुलिस जब घटनास्थल पर पहुंची, तो सुमन का एक हाथ टूटा हुआ था। उसके पूरे शरीर पर चोटों के निशान थे। साफ लग रहा था कि मौत से पहले उसकी पिटाई की गई हो। पुलिस ने शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया था। जब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आई, तो वो चौंकाने वाली थी। रिपोर्ट में मौत का कारण हैंगिंग (खुद से फंदा लगाना) लिखा था। इतना ही नहीं, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में शरीर पर एक भी इंजरी नहीं थी। पुलिस भी हैरान रह गई कि पंचनामा भरते वक्त शरीर पर जो तमाम इंजरी थीं, आखिर वो कहां गईं? सूत्रों ने बताया कि फार्मासिस्ट के मोबाइल की वॉट्सऐप चैट हिस्ट्री में इस सुमन की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी मिली है। इसलिए शक है कि ससुरालवालों ने रुपए देकर रिपोर्ट बदलवा ली। पुलिस अब इस केस को भी री-ओपेन करने जा रही है। SP बोले- लाश के फोटो प्रिंट कराकर डॉक्टरों को देंगे, ताकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बदलाव न हो हमने इस पूरे मामले में संभल के पुलिस अधीक्षक (SP) कृष्ण विश्नोई से बात की। उन्होंने बताया- पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बदलने का खेल सामने आने के बाद हमने अपने स्तर पर कुछ व्यवस्थाएं बदली हैं। कोई भी क्राइम होने पर जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंचती है, तो लाश की फोटो-वीडियोग्राफी फोरेंसिक टीम से कराई जाती है। हम इन सभी फोटोग्राफ के प्रिंट निकलवाकर पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर को देंगे, ताकि पोस्टमॉर्टम करते वक्त वो शरीर पर उन चोटों का ध्यान रखे और रिपोर्ट में कोई बदलाव न कर पाए। पुलिस अधीक्षक (SP) कृष्ण विश्नोई ने बताया कि इसके अलावा मेडिकल रिपोर्ट के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से बनाए गए ऑनलाइन पोर्टल पर भी कुछ व्यवस्थाएं बदली गई हैं। जिससे मेडिकल रिपोर्ट में छेड़छाड़ की कोई गुंजाइश न रहे। ----------------------- ये खबर भी पढ़ें... जिसे मां कहा, उसे जहरीला नाला बना दिया, कानपुर से प्रयाग तक हर घाट पर बदबू, हर धार में मौत...पार्ट-4 सुबह के 9 बजे हैं। कानपुर का अटल घाट, गंगा दशहरा की भीड़ से गुलजार है। श्रद्धालु डुबकी लगा रहे हैं, मंत्रोच्चार गूंज रहा है, लेकिन पास ही परमिया नाले का काला, बदबूदार पानी गंगा में समा रहा है। हमारे ड्रोन कैमरे ने साफ दिखाया—14 MLD (मिलियन लीटर प्रतिदिन) क्षमता का पंपिंग स्टेशन इस नाले की गंदगी को रोकने में नाकाम है। नाले का बहाव इतना ज्यादा है कि सीवेज सीधे गंगा में जा रहा है। गंगा यात्रा के चौथे पड़ाव में हमने कन्नौज से कानपुर होते हुए प्रयागराज के बीच तकरीबन 343 किमी का सफर किया। हमने देखा कि कैसे हमारी लापरवाही और लालच इन नदियों को मौत के मुंह में धकेल रहे हैं। नमामि गंगे परियोजना पर 40 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च होने के बावजूद गंगा निर्मल क्यों नहीं बन पाई। पढ़िए रिपोर्ट…