1 सप्ताह पहले तक पीने को पानी नहीं था, अब सिंचाई के लिए 8195 क्यूसेक छोड़ा

1 सप्ताह पहले तक पीने को पानी नहीं था, अब सिंचाई के लिए 8195 क्यूसेक छोड़ा
नहरबंदी के दौरान पश्चिमी राजस्थान के जिन जिलों में पीने का पानी नसीब होना मुश्किल लग रहा था अब उसी इलाके में सिंचाई पानी देने की तैयारी है। किसानों के लिए अच्छी खबर ये है कि सीएडी जल्दी ही खरीफ का रेग्युलेशन जारी कर सिंचाई का पानी देगी। इसके लिए भाखड़ा से पानी लेकर हरिके बैराज से 8195 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। दरअसल पश्चिमी राजस्थान में ज्यादातर पौंग डेम से ही पानी आता है क्योंकि उस डेम में राजस्थान का 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है। भाखड़ा डेम में राजस्थान की पानी की हिस्सेदारी 15.2 प्रतिशत है। जब नहरबंदी खत्म हुई तो पौंग डेम से पानी सिर्फ 2500 क्यूसेक ही मिल रहा था जबकि राजस्थान को 4000 क्यूसेक के करीब पानी चाहिए था। ऐसे में पंजाब प्रशासन ने शुरू के कुछ दिन तो सिर्फ 1000 क्यूसेक ही पानी दिया मगर जैसे ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दौरा तय हुआ तो भाखड़ा डेम से 3500 क्यूसेक लेकर राजस्थान को देना शुरू किया। पीएम जब 22 को बीकानेर आए उससे ठीक पहले हरिके से 8000 क्यूसेक पानी छोड़ दिया गया। अचानक बढ़े पानी के बारे में जब पता लगाया तो सामने आया कि हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर और कुछ बीकानेर में कपास की बिजाई होनी है। इसलिए भाखड़ा से पानी लेकर खरीफ का रेग्युलेशन एक-दो दिन में जारी किया जाएगा। जब तक रेग्युलेशन जारी नहीं होता तब तक खाली पड़े पौंड भरे जाएंगे। नहरबंदी के दौरान जब हरिके से पानी कम छोड़ा गया था तब नहर विभाग ने पौंड खाली करके ही आगे पानी बढ़ाया था। अब जब पानी पर्याप्त आ गया तो पौंड को वापस भरा जा रहा ताकि इमरजेंसी में इनका उपयोग किया जा सके। मछलियों से अटे जलाशय, अब अगले साल टेंडर नहरी पानी के साथ आने वाली मछलियां अब शहर के दोनों जलाशयों में भारी तादाद में ना सिर्फ एकत्र हो गई बल्कि अब बड़ी भी हो गई। दो साल पहले टेंडर देकर मछलियां निकलवाई गई थी। दो साल से अब टेंडर नहीं हो पाए। ये मछलियां तभी निकल सकती जब जलाशय में जलस्तर कम हो और वो नहरबंदी के समय ही होता है। इस बार नहरबंदी खत्म होने के साथ ही अब जलाशयों में वापस पानी भरा जाने लगा है। नहरबंदी खत्म होने के बाद शुरू के 12 घंटे पानी इसीलिए बाहर निकालते हैं ताकि मछलियां ना मरें क्योंकि मछलियां मरी तो उनकी बदबू घरों तक पहुंच जाएगी। वो 10 दिन तक लोगों को परेशान करेगी। भाखड़ा से पानी लिया अब हरिके से 8195 क्यूसेक कपास की बिजाई के लिए नहर में छोड़ा नहरबंदी खत्म तो 10 मई को और 11 मई को हरिके से पानी छोड़ दिया गया था मगर सुदूर इलाकों में पानी शुक्रवार तक पहुंचा। बीकानेर के शोभासर जलाशय में 21 की शाम को पानी पहुंचा। 12 घंटे तक उस पानी को बाहर निकाला गया क्योंकि सूखी पड़ी नहर में कचरे से लेकर मरे जानवर और अन्य मलबा था। इसलिए नहर विभाग ने उस पानी को जलाशय में नहीं लिया। 22 की सुबह से पानी लेना शुरू किया। फिलहाल 60 क्यूसेक पानी मिल रहा है। इसमें से 30 क्यूसेक पानी फिल्टर होकर रोज सप्लाई हो रहा है और 30 क्यूसेक जलाशय में डाला जा रहा है। अच्छी खबर ये है कि बीछवाल जलाशय वापस लबालब हो गया क्योंकि वहां बिरधवाल हैड पर बने पौंड से पहले पानी छोड़ दिया गया था नहरबंदी खत्म होने का पानी बाद में आया। अब वहां 5.30 मीटर तक जलाशय लबालब हो गया।