वर्ल्ड अपडेट्स:नॉर्वे की क्राउन प्रिंसेस के बेटे पर बलात्कार और यौन शोषण के आरोप,10 से ज्यादा पीड़ितों ने शिकायत की

नॉर्वे की क्राउन प्रिंसेस मेट्टे-मैरिट के बड़े बेटे मारियस बोर्ग होइबी पर पुलिस ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन पर बलात्कार, यौन शोषण और मारपीट जैसे मामले दर्ज किए गए हैं। मारियस बोर्ग के खिलाफ 10 से ज्यादा पीड़ितों ने शिकायत की थी। सबूतों में मैसेज, गवाहों के बयान और तलाशी से मिली चीजें शामिल हैं। उनको 2024 में भी मारपीट के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। शाही परिवार ने अब तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। मारियस, क्राउन प्रिंस हाकन के सौतेले बेटे हैं, 28 साल के मारियस अब क्राउन प्रिंस के साथ नहीं रहते। फिलहाल मारियस जेल से बाहर हैं, उन पर कानूनी कार्यवाही चल रही है। अंतरराष्ट्रीय मामलों से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... ट्रम्प ने ईरान हमलों की तुलना हिरोशिमा-नागासाकी बमबारी से की, जापान नाराज जापान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की उस बात पर कड़ा विरोध जताया है, जिसमें उन्होंने कहा कि ईरान पर अमेरिका के हाल के हमले वैसे ही थे जैसे दूसरे विश्व युद्ध में हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए गए थे। ट्रम्प ने बुधवार को पत्रकारों से कहा था कि जैसे हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिरने से युद्ध खत्म हुआ था, वैसे ही ईरान पर हमला भी उसी तरह का था। उन्होंने कहा, “मैं हिरोशिमा और नागासाकी का उदाहरण नहीं देना चाहता, लेकिन ये मूल रूप से वही बात है।” ट्रम्प के इस बयान से जापान में काफी नाराजगी फैल गई। जापान दुनिया का इकलौता देश है जिस पर परमाणु बम गिराए गए थे, जिसमें अगस्त 1945 में करीब 1.4 लाख लोग मारे गए थे। नागासाकी के मेयर शिरो सुजुकी ने कहा कि अगर ट्रम्प की बात का मतलब परमाणु हमले को सही ठहराना है, तो यह बहुत ही अफसोसनाक है। ट्रम्प के बयान के बाद हिरोशिमा के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और ट्रम्प से माफी मांगने की मांग की। परमाणु हमले में बचे एक शख्स टेरुको योकोयामा ने कहा कि वह ट्रम्प के इस बयान से बहुत निराश हैं। जब जापान सरकार से पूछा गया कि क्या वे इस पर औपचारिक विरोध दर्ज कराएंगे, तो जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव हयाशी योशिमासा ने कहा कि जापान पहले भी कई बार वाशिंगटन के सामने परमाणु हमलों पर अपना विरोध दर्ज करा चुका है। रूस में पहली महिला अमेरिकी राजदूत ने पद छोड़ा, बोली- अपने देश का प्रतिनिधित्व करने पर गर्व है रूस में पहली महिला अमेरिकी राजदूत लिन ट्रेसी अपना पद छोड़ रही हैं, उनके दूतावास ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वे रुस और वाशिंगटन के बीच संबंधों के सबसे तनावपूर्ण दौर में कार्यरत थीं। दूतावास ने एक बयान में ट्रेसी के हवाले से कहा, "मुझे इस चुनौतीपूर्ण समय में मास्को में अपने देश का प्रतिनिधित्व करने पर गर्व है। रूस छोड़ते समय, मुझे पता है कि दूतावास में मेरे सहकर्मी हमारे संबंधों को बेहतर बनाने और रूसी लोगों के साथ संबंध बनाए रखने के लिए काम करना जारी रखेंगे।" दूतावास ने कहा कि ट्रेसी के कार्यकाल की विशेषता यह रही कि उनका मानना था कि कठिन समय में भी बातचीत महत्वपूर्ण होता है। ट्रेसी रूस की जेलों में बंद अमेरिकी नागरिकों की रिहाई के प्रयासों में विशेष रूप से शामिल थीं। साउथ कोरिया में छह अमेरिकी नागरिक गिरफ्तार, प्लास्टिक की बॉटल में चावल, डॉलर और बाइबल नार्थ कोरिया भेज रहे थे दक्षिण कोरियाई पुलिस ने छह अमेरिकी नागरिकों को हिरासत में लिया है जो चावल, डॉलर के नोट और बाइबल से भरी लगभग 1,300 प्लास्टिक की बोतलें नार्थ कोरिया पहुंचाने का प्रयास कर रहे थे। एक पुलिस अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। रॉयटर्स के मुताबिक सियोल के द्वीप के पास ये लोग समुद्र के रास्ते बोतलें भेजने की करने कर रहा था, लेकिन तभी एक सैन्य गश्ती दल ने उन्हें देख लिया। पुलिस के मुताबिक अमेरिकी नागरिकों को कोरियाई भाषा नहीं आती है, इसलिए ट्रांसलेटर के जरिए उनकी जांच की जा रही है। जापान में ट्विटर किलर ताकाहिरो शिराइशी को फांसी, 2017 में 9 हत्याएं की थीं जापान ने 2017 में 9 लोगों की हत्या करने वाले एक शख्स ताकाहिरो शिराइशी को शुक्रवार को फांसी दी गई। पिछले 3 साल में पहली बार है, जब जापान में फांसी की सजा दी गई है। 34 साल का शिराइशी ट्विटर पर लोगों से संपर्क कर उनकी हत्या कर देता था। इसलिए उसका नाम ‘ट्विटर किलर’ रख दिया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक शिराइशी ट्विटर पर उन लोगों को संपर्क करता था, जो मरने की चाहत रखते थे। इसके बाद वह उन्हें मदद का झांसा देकर अपने टोक्यो के पास स्थित अपार्टमेंट में बुलाता था। फिर वह उनकी गला घोंटकर हत्या कर देता। फिर उनके शव के टुकड़े करता, फिर अपने छोटे से फ्लैट में कूलर बॉक्स में छिपा कर रखता था। उसके पीड़ितों में 9 से 8 महिलाएं थीं, जिनकी उम्र 15 से 26 साल के बीच थी। जापान के न्याय मंत्री कीसुके सुजुकी ने बताया कि उन्होंने बहुत सोच-समझकर फांसी की मंजूरी दी। उन्होंने कहा कि शिराशी के अपराध से पूरे समाज में दहशत फैल गई थी। जापान में मौत की सजा के समर्थक ज्यादा जापान और अमेरिका, G7 देशों में फांसी की सजा को बनाए रखने वाले इकलौते देश हैं। जापान में मौत की सजा फांसी पर लटकाकर दी जाती है और कैदियों को इसके बारे में कुछ घंटे पहले ही बताया जाता है। मानवाधिकार संगठन इसकी आलोचना करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि अचानक मौत की सूचना मिलने से कैदियों को गंभीर मानसिक दबाव झेलना पड़ता है। न्याय मंत्री सुजुकी ने कहा कि जब तक इस तरह के खतरनाक अपराध होते रहेंगे, तब तक मौत की सजा खत्म करना सही नहीं होगा। फिलहाल जापान में 105 कैदी ऐसे हैं जिन्हें मौत की सजा सुनाई जा चुकी है। 2024 में जापान सरकार के एक सर्वे में 83% लोगों ने मौत की सजा को ‘जरूरी’ बताया था। 2022 में तोमोहिरो काटो को फांसी दी गई थी, जिसने 2008 में टोक्यो के अकीहाबारा इलाके में ट्रक से भीड़ पर हमला कर 7 लोगों की हत्या की थी। 2018 में औम शिनरिक्यो संप्रदाय के गुरु शोको असहारा और उसके 12 अनुयायियों को फांसी दी गई थी। इस संप्रदाय ने 1995 में टोक्यो मेट्रो पर सरीन गैस हमला किया था, जिसमें 14 लोग मारे गए थे और हजारों बीमार हुए थे। केन्या में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में हिंसा: 16 की मौत, 400 घायल केन्या में बुधवार को हुए बड़े विरोध प्रदर्शनों के बाद हालात बिगड़ गए। एमनेस्टी इंटरनेशनल केन्या ने बताया कि इन प्रदर्शनों में कम से कम 16 लोगों की मौत हो गई और करीब 400 लोग घायल हो गए। ये प्रदर्शन पिछले साल जून में कर-विरोधी आंदोलन की सालगिरह के मौके पर निकाले गए थे, जब केन्याई सरकार के टैक्स बिल के खिलाफ देशभर में लोग सड़कों पर उतर आए थे। तब लोगों के गुस्से के चलते सरकार को बिल वापस लेना पड़ा था। नैरोबी समेत मोम्बासा और कई शहरों में हजारों लोग प्रदर्शन में शामिल हुए। नैरोबी में पुलिस ने संसद और राष्ट्रपति कार्यालय के रास्ते पर बैरिकेड लगाकर सुरक्षा कड़ी कर दी थी। पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस, पानी की बौछार और गोलियां चलाईं। सरकार ने टीवी और रेडियो चैनलों को इन प्रदर्शनों का लाइव प्रसारण रोकने का आदेश दिया। जब कुछ चैनलों ने यह आदेश नहीं माना, तो उनके प्रसारण को बंद कर दिया गया। बाद में नैरोबी की अदालत ने इस प्रतिबंध को निलंबित कर दिया, जिससे कवरेज फिर शुरू हो सका। केन्या के कई नागरिक संगठनों और एमनेस्टी ने इस आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि लाइव कवरेज से पुलिस की ज्यादतियों पर नजर रखी जा सकती है और इससे जवाबदेही तय होती है। केन्या एडिटर्स गिल्ड ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया। ---------------------- 26 जून के अपडेट्स यहां पढ़ें...