पुराने आदेशों की फर्जी तरीके से नकल तैयार कर फर्जीवाड़ा:8122 बीघा जमीन खुर्दबुर्द करने में सस्पेंड 29 अफसर-कर्मियों को जांच से पहले ही फील्ड पोस्टिंग

पुराने आदेशों की फर्जी तरीके से नकल तैयार कर फर्जीवाड़ा:8122 बीघा जमीन खुर्दबुर्द करने में सस्पेंड 29 अफसर-कर्मियों को जांच से पहले ही फील्ड पोस्टिंग
पूगल और छत्तरगढ़ में 8122 हजार बीघा सरकारी जमीन का फर्जी आवंटन करने के मामले की जांच अभी पूरी नहीं हुई है। इस मामले में निलंबित किए गए दो आरएएस सहित 29 अधिकारियों-कर्मचारियों को बहाल कर फील्ड पोस्टिंग दे दी गई है। सोलर कंपनियों से मोटी कमाई करने के लिए पूगल में 2010 बीघा सरकारी जमीन 31 लोगों को आवंटित कर सरकार को लगभग 40 करोड़ रुपए का चूना लगाया था। वहीं छत्तरगढ़ में 6112 बीघा सरकारी जमीन 101 लोगों को आवंटित कर 25 करोड़ का चूना सरकार को लगाया। दोनों तहसीलों में 132 काश्तकारों को फर्जी तरीके से जमीनें आवंटित कर दी गई। एसीबी की स्पेशल ब्रांच में इसे लेकर मार्च में दो अलग-अलग केस दर्ज हुए थे। अब तक प्रकरणों की जांच करने वाली कमेटी में प्रशिक्षु आईपीएस यक्ष चौधरी को छोड़ सभी के बयान हो चुके हैं। अब आरोपी लोक सेवकों और उसके बाद लाभार्थियों से पूछताछ होगी। इस मामले में दोनों आरएएस अधिकारियों सहित 33 अधिकारियों और कर्मचारियों निलंबित कर दिया गया, जिसमें से बाद में एक ही मृत्यु हो गई। चार रिटायर हो गए। हैरानी की बात ये है कि जांच खत्म होने के पहले ही सभी को बहाल कर फील्ड पोस्टिंग दे दी गई है। आरएएस सीता शर्मा आईसीडीएस कोटा में डीडी और मनोज खेमादा कुशलगढ़ एसडीएम हैं। पटवारियों और भू अभिलेख निरीक्षकों के तीन-तीन इंक्रीमेंट रोक चार्जशीट जारी कर दी है। इन सभी को जिले में ही अन्य तहसीलों में फील्ड पोस्टिंग दी गई है। दोनों प्रकरणों की जांच प्रशिक्षु आरपीएस यक्ष चौधरी, डीएसओ सुभाष चौधरी, वरिष्ठ आरएएस अधिकारी मदनलाल नेहरा, सहायक राजस्व लेखाधिकारी श्रवण सिंह चारण, कपिल तंवर और लालचंद प्रजापत की कमेटी ने की थी। आरोप है कि तत्कालीन अधिकारियों और कर्मचारियों ने 55 साल पुराने आवंटन आदेशों की आड़ में मृत व्यक्तियों की तथा खारिज हो चुकी जमीनें शुद्धि पत्रों के जरिए फर्जी तरीके से आवंटित कर दी। मुकदमों में ये आरोपी : छत्तरगढ़ के मामले में सुरेंद्र कुमार जाखड़ सेवानिवृत्त तहसीलदार, कुलदीप कस्वां तहसीलदार, दिप्ती तहसीलदार, राजेश कुमार नायब तहसीलदार, सरवरदीन भू-अभिलेख निरीक्षक, मकसूद अली भू-अभिलेख निरीक्षक, सुभाष चंद्र भू-अभिलेख निरीक्षक, मुकेश गोदारा भू- अभिलेख निरीक्षक, जसवीर सिंह पटवारी, सुरेंद्र कुमार भू-अभिलेख निरीक्षक, राजकुमार मीणा पटवारी, वीरेंद्र सिंह पटवारी, अजेन्द्र सिंह भाटी पटवारी, जय सिंह गुर्जर पटवारी, देवराज सिंह पटवारी, विकास पूनिया पटवारी, अनिता शर्मा पटवारी, पेमाराम सारण पटवारी व अन्य। पूगल के प्रकरण में उपखंड अधिकारी सीता शर्मा और मनोज खेमदा, रामेश्वरलाल गढ़वाल राजस्व तहसीलदार, आदित्या तहसीलदार, कालूराम तहसीलदार, महेंद्र सिंह मुवाल तहसीलदार, राजेश कुमार शर्मा नायब तहसीलदार, इकबाल सिंह भू अभिलेख निरीक्षक, जयसिंह चौहान भू अभिलेख निरीक्षक, भंवरलाल मेघवाल ऑफिस कानूनगो, राजेंद्र स्वामी पटवारी, विकास पूनिया पटवारी, लूणाराम पटवारी, मांगीलाल पटवारी। राजस्थान भू राजस्व नियम 1970 के अनुसार तत्कालीन उपखंड अधिकारी बीकानेर उत्तर द्वारा वर्ष 1971 और उसके बाद भूमिहीन श्रेणी के काश्तकारों को कृषि के लिए 10 साल के लिए के लिए गैर खातेदारी श्रेणी में आवंटन किया गया था। इस श्रेणी के आवंटियों को खातेदारी अधिकार देने का प्रावधान था। आवंटियों को नियमानुसार आवंटित भूमि का कब्जा व गैर खातेदार, खातेदार की प्रविष्टियां रिकॉर्ड में अंकित की जा चुकी थी। इसके चलते आवंटन शर्तों की पालना नहीं करने वाले आवंटियों के आवंटन भी निरस्त कर दिए गए। नियमों के तहत आवंटित भूमि का कब्जा नहीं लेने वालों की जमीनें राजस्व रिकॉर्ड में संरक्षित रही हैं। इन गांवों का भू सर्वेक्षण, भू प्रबंध वर्ष 1990-92 तक होने पर खसरा नंबर, खसरा मानचित्र व भूमि की ईकाई में परिवर्तन हो चुका है। वर्तमान राजस्व रिकॉर्ड इसी के अनुसार है। इन गांवों की सरकारी जमीनों को सरकारी खाते से हटाकर तथाकथित व्यक्तियों के नाम से पूर्व अवधि के आवंटन आदेशों की फर्जी तरीके से नकलें बनाई।