जेईई एडवांस्ड:सर्वर डाउन होने से 13 घंटे सेंटर पर रुका, भूखा रहा, देश में IIT में 8वीं रैंक आई... लेकिन अब MIT यूएस जाएगा देवेश

जेईई एडवांस्ड:सर्वर डाउन होने से 13 घंटे सेंटर पर रुका, भूखा रहा, देश में IIT में 8वीं रैंक आई... लेकिन अब MIT यूएस जाएगा देवेश
दुनिया की सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से एक है जेईई एडवांस्ड। आईआईटी तक पहुंचने के लिए हर साल औसतन 13 लाख बच्चे परीक्षा देते हैं और सिर्फ 2% पास होते हैं। इस परीक्षा में अगर 8वीं रैंक आ जाए तो जिस आईआईटी में पढ़ना चाहें, पढ़ सकते हैं। यह खुली आंखों से सपने देखने जैसा है, लेकिन इस साल आठवीं रैंक लाने वाले देवेश भैया ने आईआईटी बॉम्बे की टॉप ब्रांच कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग को छोड़कर एमआईटी यूएस जाने का फैसला लिया है। कहानी और रोचक है। यह आठवीं रैंक सामान्य परिस्थितियों में नहीं आई है। 18 जून को पेपर के दौरान जयपुर के पूर्णिमा इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी सेंटर पर पहली शिफ्ट में सर्वर डाउन हो गया। सुबह 9 बजे की परीक्षा 11 बजे शुरू हुई और दो बजे तक चली। बच्चों को बाहर जाने से रोका गया। दूसरी शिफ्ट 4:40 बजे शुरू होकर 7:40 बजे खत्म हुई। सुबह 7 बजे आए इस सेंटर के 300 बच्चे 13 घंटे तक सेंटर में ही थे। उनमें से एक जलगांव, महाराष्ट्र का देवेश भैया भी था। उसने उस दिन सेंटर पर कुछ नहीं खाया। सेंटर पर हुई अनियमितता के कारण देवेश ने भी एडवांस्ड का दूसरा पेपर छोड़ने का मन बना लिया था, लेकिन केंद्र संचालकों ने उसे केंद्र से निकलने नहीं दिया। उसकी काबिलियत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके बाद उसने दूसरा पेपर दिया और 180 में से 150 अंक हासिल किए। देवेश ने 7वीं से पढ़ाई कोटा से की। उसकी इच्छा थी कि वह भी एडवांस्ड टॉप करे। इसके लिए उसने कम उम्र से मेहनत करना शुरू कर दिया था। आईआईटी कानपुर व दिल्ली को कई मेल किए, लेकिन रिस्पॉन्स नहीं मिला देवेश देश के लिए ओलंपियाड में चार मेडल जीत चुका है। इसी प्रदर्शन के आधार पर उसका एमआईटी में चयन हुआ। देश से सिर्फ दो से चार बच्चों का ही इसमें चयन होता है। मार्च में उसका चयन हो गया था, लेकिन देवेश देश में ही आईआईटी करना चाहता था, इसलिए जेईई एडवांस्ड का एग्जाम दिया था। देवेश की मां ने बताया कि पहली पारी खत्म होने के बाद उस दिन सभी छात्र बाहर नहीं आए तो हमें चिंता होने लगी। केंद्र संचालक भी सही रिस्पॉन्स नहीं कर रहे थे। ऐसे में डर था कि देवेश का पेपर खराब न हो जाए। सेंटर पर हुई खामी को लेकर हमने और कई परिजनों ने आईआईटी कानपुर और दिल्ली को कई मेल किए। परीक्षा फिर से कराने और बोनस अंकों की मांग की थी। लेकिन हमें जवाब रिजल्ट आने के बाद मिला। सेंटर पर गड़बड़ी से निराश "सेंटर पर हुई गड़बड़ी और उसके बाद आईआईटी दिल्ली से मेल पर आए रिस्पॉन्स ने हमें निराश किया। एक तरह से हमें ही झूठा ठहराया गया। अब देवेश यहां पढ़ाई नहीं करेगा। वह एमआईटी जाएगा।" — पल्लवी, देवेश की मम्मी