जंग में मारे गए 60 ईरानी अफसरों का अंतिम संस्कार:जनाजे में हजारों लोग पहुंचे; ईरानी विदेश मंत्री, स्पीकर सहित बड़े नेता भी शामिल

जंग में मारे गए 60 ईरानी अफसरों का अंतिम संस्कार:जनाजे में हजारों लोग पहुंचे; ईरानी विदेश मंत्री, स्पीकर सहित बड़े नेता भी शामिल
इजराइल के साथ 12 दिनों तक चले युद्ध के दौरान मारे गए 60 ईरानी अफसरों का शनिवार को अंतिम संस्कार किया जाएगा। इनमें 30 सैन्य कमांडर्स और 11 परमाणु वैज्ञानिक शामिल हैं। तेहरान में इनके जनाजे में हजारों लोगों की भीड़ जुटी है। जिन लोगों को दफनाया जाएगा, उनमें ईरान के सर्वोच्च सैन्य अधिकारी मोहम्मद बाघेरी भी शामिल हैं। वे ईरान के सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ थे। अफसरों के शवों को गाड़ियों पर ईरानी झंडे में लिपटे ताबूतों में रखे थे। ताबूतों के साथ अफसरों की तस्वीरें भी रखी थीं। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची, पार्लियामेंट स्पीकर मोहम्मद बाकर कलीबाफ, ज्युडिश्यरी चीफ मोहसेनी-एजेई, IRGC कुद्स फोर्स कमांडर इस्माइल कानी सहित कई बड़े नेता और सैन्य अधिकारी भी जनाजे में पहुंचे हैं। ईरान और इजराइल के बीच 12 जून को जंग शुरू हुई थी। अमेरिका ने 22 जून को ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया था। दो दिन बाद, 24 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्रूथ सोशल पर ईरान-इजराइल के बीच सीजफायर का ऐलान किया था। ट्रम्प बोले- मैंने खामेनेई को भयानक मौत से बचाया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को ईरानी सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई के उस दावे को झूठा करार दिया, जिसमें उन्होंने इजराइल के खिलाफ जंग में जीत की ऐलान किया था। ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर कहा, 'मैंने खामेनेई को एक भयानक और अपमानजनक मौत से बचाया। मुझे यह भी उम्मीद नहीं है कि वे मुझे शुक्रिया कहेंगे।' अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया कि वह खामेनेई के ठिकाने से वाकिफ थे, लेकिन उन्होंने इजराइल और अमेरिकी सेना को उनकी हत्या से रोका, जिससे उनकी जान बच गई। उन्होंने आगे कहा, 'ईरान ग्लोबल सिस्टम में शामिल होने की जगह गुस्सा और दुश्मनी दिखा रहा है, जिसकी वजह से उनकी सेना, इकोनॉमी और भविष्य बर्बाद हो चुका है।' इजराइली रक्षा मंत्री ने भी कहा- खामेनेई को मारना चाहते थे इससे पहले इजराइल के रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने गुरुवार को कहा था कि इजराइल ईरान के सुप्रीम लीडर को खत्म करना चाहता था। काट्ज ने चैनल 13 के साथ एक इंटरव्यू में कहा, 'अगर खामेनेई हमारी पहुंच में होते, तो हम उन्हें मार गिराते।' काट्ज ने कहा, 'इजराइल खामेनेई को खत्म करना चाहता था, लेकिन ऐसा करने का कोई मौका नहीं था।' काट्ज से जब पूछा गया कि क्या इजराइल ने अमेरिका से इसकी इजाजत मांगी थी, इस पर उन्होंने कहा, 'हमें इन चीजों के लिए किसी की इजाजत की जरूरत नहीं है।' ईरानी राष्ट्रपति बोले- इजराइल के हमलों का जवाब जरूरी था इधर, ईरानी राष्ट्रपति मसूद पजशकियान ने कहा कि अगर इजराइल के हमलों का जवाब नहीं दिया जाता, तो इससे पूरे क्षेत्र में बड़ा और बेकाबू युद्ध शुरू हो सकता था। पजशकियान ने यह बात बेलारूस के मिन्स्क में चल रहे चौथे यूरेशियन आर्थिक मंच में ऑनलाइन जुड़कर कही। उन्होंने बताया कि इजराइल ने ईरान की जमीन पर हमला किया था और ईरान की सेना ने संयुक्त राष्ट्र के नियमों के मुताबिक इसका सही जवाब दिया। पजशकियान ने कहा कि उस वक्त ईरान और अमेरिका के बीच ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अप्रत्यक्ष बातचीत चल रही थी, तभी इजराइल ने ईरान पर हवाई हमला कर दिया। पजशकियान ने कहा कि ईरान की शांतिपूर्ण परमाणु सुविधाओं पर अमेरिका और इजराइल का हमला अंतरराष्ट्रीय नियमों का गंभीर उल्लंघन है, क्योंकि ये परमाणु सुविधाएं IAEA की पूरी निगरानी में हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देश द्वारा इस तरह का हमला परमाणु हथियारों के फैलाव को रोकने की कोशिशों के लिए बड़ा नुकसान है। पजशकियान बोले- इजराइल पर सख्त रुख दिखाएं पजशकियान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर यूएन सुरक्षा परिषद (UNSC) और IAEA से अपील की कि वे हमले करने वालों के खिलाफ सख्त रुख अपनाएं। उन्होंने कहा कि इजराइल के मानवाधिकारों के बार-बार और बड़े उल्लंघन के बावजूद उसके साथ नरमी की नीति अब खत्म होनी चाहिए। पजशकियान ने उन देशों का शुक्रिया भी अदा किया जिन्होंने ईरान पर इजराइल के हमलों की निंदा की। उन्होंने अपने भाषण में ईरान और यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) का भी जिक्र किया और कहा कि यह समझौता क्षेत्र के देशों के बीच आर्थिक रिश्ते बढ़ाने में मदद करेगा। --------------------------------- यह खबर भी पढ़ें... ईरान पर हमले के लिए अमेरिका ने बनाया बंकर-बस्टर बम:15 साल में तैयार; चट्टान के 200 फीट नीचे ईरान का एटमी प्रोग्राम तबाह किया अमेरिका ने पिछले हफ्ते 21 जून को ईरान की फोर्डो परमाणु साइट पर हमला किया था। इस हमले में अमेरिका ने पहली बार 30,000 पाउंड वजनी GBU-57 सीरीज के 'बंकर बस्टर' बमों का इस्तेमाल किया था। ये बम खास तौर पर गहरे बंकरों और जमीन के नीचे बनी साइट्स को नष्ट करने के लिए बनाए गए हैं। यहां पढ़ें पूरी खबर...