साइबर ठगी का मामला:अब बुजुर्ग-बच्चे की फोटो भेजकर कर रहे ठगी, पहचानने की बात कहकर कराते हैं डाउनलोड, इसके बाद हैक कर लेते हैं मोबाइल

साइबर ठगी का मामला:अब बुजुर्ग-बच्चे की फोटो भेजकर कर रहे ठगी, पहचानने की बात कहकर कराते हैं डाउनलोड, इसके बाद हैक कर लेते हैं मोबाइल
बदमाशों ने अब ठगी का नया तरीका इजाद किया है। अब ये लोगों को बुजुर्ग या बच्चे की फोटो और उसके साथ मैलिशियस लिंक (वायरस) भेजकर ठगी कर रहे हैं। पुलिस इसे वॉट्सएप इमेज स्कैम या मैलिशियस लिंक स्कैम बता रही है। दरअसल, ठगों की ओर से फोटो भेजे जाने के बाद वे फोन कर उसके बारे में पूछते हैं और कहते हैं कि आप इसे पहचानते हैं क्या? नजरअंदाज करने पर बार-बार कॉल करते हैं। मोबाइल संचालक को पहचान के लिए मजबूरन फोटो डाउनलोड करना पड़ता है। ऐसे में वायरस (मालवेयर) मोबाइल को हैक कर लेता है। इसका नियंत्रण ठग के पास चला जाता है। ऐसे बचें... अनजान नंबर के लिंक न खोलें, ऑटो डाउनलोड बंद रखें ठगी बचने के लिए अनजान नंबर से आए फोटो, डॉक्यूमेंट या लिंक को न खोलें। वॉट्सएप की ऑटो-डाउनलोड सेटिंग्स को बंद रखना चाहिए। ये ठगी टेलीग्राम, फेसबुक मैसेंजर, ईमेल पर भी हो सकती है। वायरस आने का पता चलने के बाद मोबाइल को तुरंत बंद कर देना चाहिए तथा ‘सेफ मोड’ में चालू करना चाहिए। सेफ मोड में वायरस अपने आप डिसएबल हो जाता है। एपल मोबाइल में सेफ मोड नहीं होता है, लेकिन अनवांटेड एप्स को मैन्युअली डिलीट कर सकते हैं। एप डिलीट नहीं होने पर सेटिंग्स के सिक्योरिटी ऑप्शन में जाकर डिवाइस एडमिन एप्स को डिसएबल कर दें। यहां बताएं... ठगी होने पर पुलिस या साइबर क्राइम सेल में शिकायत दें। हेल्पलाइन 1930 या cybercrime.gov.in पर जानकारी दें। बैंक डिटेल सहित सभी गोपनीय डेटा पर कब्जा मोबाइल का नियंत्रण अपने पास लेने के बाद ठग मोबाइल से संवेदनशील जानकारी जैसे बैंक डिटेल्स, आईडी-पासवर्ड चुरा लेते हैं। फिर बैंकिंग एप में आईडी-पासवर्ड डालकर पैसे निकाल लेते हैं। ठग फोटो को जेपीईजी, पीएनजी, गिफ, पीडीएफ फॉरमेट में भेजते हैं। वायरस को प्रोग्रामिंग कोड और स्क्रिप्ट्स से बनाया जाता है। इससे मैलिशियस लिंक फोटो के साथ अटैच किए जाते हैं। हालांकि, यह फोटो के साथ नहीं दिखता है। आम एंटीवायरस इसे नहीं पकड़ पाता है और फाइल ओपन होते ही एक्टिव हो जाता है।