ये रिकॉर्ड मां के नाम:84 साल की मां ने 50 साल की बेटी को दी किडनी; एसएमएस में हुआ ट्रांसप्लांट, डॉक्टर्स बोले- 45 साल के व्यक्ति जितनी बेहतर किडनी

ये रिकॉर्ड मां के नाम:84 साल की मां ने 50 साल की बेटी को दी किडनी; एसएमएस में हुआ ट्रांसप्लांट, डॉक्टर्स बोले- 45 साल के व्यक्ति जितनी बेहतर किडनी
देश में पहली बार ऐसा हुआ है कि 84 साल की महिला ने किडनी डोनेट की है। एसएमएस अस्पताल में महिला ने अपनी बेटी के लिए किडनी डोनेट की और ट्रांसप्लांट भी सफल रहा। डोनर व रिसिपिएंट पूरी तरह स्वस्थ हैं और डोनर को अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई। डॉक्टर्स का दावा है कि अभी तक 81 साल की महिला किडनी डोनर थी, लेकिन अब 84 साल का रिकॉर्ड बना है। अस्पताल व नेफ्रोलॉजी टीम को सरकार ने बधाई दी है। मामले के अनुसार भरतपुर की 50 साल की गुड्डी देवी को क्रॉनिक किडनी डिजीज थी और डायलिसिस के सहारे ही जिंदगी चल रही थी। गुड्डी की दोनों किडनी फेल हो चुकी थी और बचने के लिए ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प था। कई लोगों से बात नहीं बनी तो आखिर में गुड्डी की मां बुद्धो देवी ने किडनी देने का फैसला किया, लेकिन इतनी अधिक उम्र के किसी भी व्यक्ति का कभी भी किडनी ट्रांसप्लांट नहीं किया गया था, ऐसे में पूरी सर्जरी ही चुनौतीपूर्ण थी। एसएमएस के यूरोलॉजिस्ट व किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. नीरज अग्रवाल ने बताया कि इस उम्र के लोगों की सामान्य सर्जरी ही जटिल होती है, क्योंकि शरीर के अंग कमजोर हो जाते हैं। एनेस्थीसिया का इफैक्ट और ब्लड की कमी सहित अनेकों ऐसे मेडिकल कारण होते हैं जो इस उम्र में सर्जरी के दौरान जानलेवा हो सकते हैं। जांच के दौरान बुद्धो देवी की दोनों किडनी बेहद अच्छी अवस्था में थी। ऐसे में 23 मई को ट्रांसप्लांट किया गया। करीब पांच घंटे यह सर्जरी चली और 26 मई को बुद्वो देवी को डिस्चार्ज भी कर दिया गया। अभी वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। हालांकि उन्हें कुछ महीने दवाइयां लेनी होंगी, लेकिन उन्होंने कहा कि बेटी को बचाने के लिए वे कुछ भी कर सकती थी। मानसिक रूप से बेहद मजबूत थीं बुद्धो देवी: डॉक्टर्स डॉ. नीरज बताते हैं कि इस उम्र में सर्जरी करने और कराने में डॉक्टर्स व पेशेंट घबराते हैं, लेकिन यहां डॉक्टर्स को लग रहा था कि रिस्क है। बुद्धो देवी बिल्कुल भी नहीं घबरा रही थी। वे ना केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से काफी मजबूत हैं। जांच के बाद जब यह तय हुआ कि वे किडनी दे सकती हैं तो उन्होंने कहा कि मुझे कुछ नहीं होगा, मैं अपनी बेटी को बचा लूंगी। इसके बाद सभी ने तय किया कि यह ट्रांसप्लांट किया जाएगा। सफल ट्रांसप्लांट के बाद यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ शिवम् प्रियदर्शी ने कहा कि सह सर्जरी एक मील का पत्थर साबित होगी और सीकेडी पेशेंट और उनके परिजनों को काफी मानसिक मजबूती मिलेगी। अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ. दीपक माहेश्वरी, एसएसबी अधीक्षक डॉ. विनय मल्होत्रा ने टीम को बधाई दी। सर्जरी टीम में डॉ. नीरज अग्रवाल, डॉ. धर्मेंद्र जांगिड़, डॉ. कुलदीप, डॉ. राजेश, डॉ. फैसल, डॉ. नवीन, डॉ. करण, डॉ. सार्थक, डॉ. राघव, एनेस्थीसिया टीम के डॉ. वर्षा कोठारी, डॉ. अनुपमा गुप्ता और डॉ. सिद्धार्थ का बड़ा योगदान रहा।