महेश-जोशी की जमानत पर हाईकोर्ट जज का सुनवाई से इनकार:अब जुलाई में दूसरी बैंच में लगेगा मामला, ईडी कोर्ट खारिज कर चुकी है जमानत

महेश-जोशी की जमानत पर हाईकोर्ट जज का सुनवाई से इनकार:अब जुलाई में दूसरी बैंच में लगेगा मामला, ईडी कोर्ट खारिज कर चुकी है जमानत
जल जीवन मिशन (जेजेएम) घोटाले में जेल में बंद पूर्व मंत्री महेश जोशी की जमानत याचिका पर आज हाईकोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया। जस्टिस अनिल उपमन की अदालत ने मामले में एक्ससेप्शन (सुनवाई से इनकार) ले लिया। अब जुलाई में दूसरी बैंच में मामला सुनवाई के लिए लगेगा। महेश जोशी ने ईडी मामलों की विशेष अदालत द्वारा 13 जून को जमानत खारिज करने के बाद हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी। इस पर आज सुनवाई नहीं हो सकी। ईडी कोर्ट ने खारिज की थी जमानत याचिका इससे पहले ईडी मामलों की विशेष अदालत ने जमानत खारिज करते हुए कहा था- आरोपी पर गंभीर आरोप हैं। मामले में अभी जांच लंबित है। ऐसे में जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता है। जमानत पर बहस करते हुए ईडी की ओर से कहा गया था कि महेश जोशी के पास ठेकेदारों से रिश्वत की राशि पहुंचती थी। मामले में कई बड़े ठेकेदार गिरफ्तार हो चुके हैं। अभी भी ठेकेदार महेश मित्तल और अन्य आरोपियों के खिलाफ जांच लंबित है। वहीं, महेश जोशी के करीबी संजय बड़ाया पर 5 करोड़ के लेनदेन का आरोप है। ईडी ने काल्पनिक आधार पर बनाया आरोपी वहीं, महेश जोशी की ओर से बहस करते हुए सीनियर एडवोकेट विवेक राज बाजवा ने कहा था कि ईडी ने सुनी-सुनाई साक्ष्यों और काल्पनिक आधारों पर महेश जोशी को आरोपी बनाया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद भी गवाहों की वीडियोग्राफी नहीं करवाई गई। ऐसे में गवाहों की विश्वसनीयता ही नहीं है। उन्होंने कहा- ईडी ने जोशी को मार्च 2024 में नोटिस जारी करने के करीब 1 साल बाद 24 अप्रैल 2025 को गिरफ्तार किया। ईडी 1 साल तक चुप क्यों रही और अचानक सक्रिय कैसे हो गई। बाजवा ने कहा- ये तमाम चीजें संकेत देती है कि महेश जोशी को इस मामले में झूठा फंसाया गया है। इसके साथ ही ईडी के अनुसार कुछ पीएचईडी इंजीनियरों ने अपने बयानों में कहा है कि वे निजी ठेकेदारों से रिश्वत ले रहे थे, लेकिन उन्हें भी मामले में आरोपी नहीं बनाया गया। ट्यूबवेल कंपनी ने फर्जी सर्टिफिकेट से हासिल किए थे टेंडर जेजेएम घोटाले में अब तक पीयूष जैन, पदम चंद जैन, महेश मित्तल और संजय बड़ाया की गिरफ्तारी हो चुकी है। जेजेएम घोटाला केंद्र सरकार की हर घर नल पहुंचाने वाली 'जल जीवन मिशन योजना' से जुड़ा है। साल 2021 में श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी और मैसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी के ठेकेदार पदमचंद जैन और महेश मित्तल ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र दिखाकर जलदाय विभाग (PHED) से करोड़ों रुपए के 4 टेंडर हासिल किए थे। श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी ने फर्जी कार्य प्रमाण पत्रों से पीएचईडी की 68 निविदाओं में भाग लिया था। उनमें से 31 टेंडर में एल-1 के रूप में 859.2 करोड़ के टेंडर हासिल किए थे। श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी ने 169 निविदाओं में भाग लिया और 73 निविदाओं में एल -1 के रूप में भाग लेकर 120.25 करोड़ के टेंडर हासिल किए थे। घोटाले का खुलासा होने पर एसीबी ने जांच शुरू की थी। कई भ्रष्ट अधिकारियों को दबोचा था। फिर ईडी ने केस दर्ज कर महेश जोशी और उनके सहयोगी संजय बड़ाया सहित अन्य के ठिकानों पर दबिश दी थी। इसके बाद सीबीआई ने 3 मई 2024 को केस दर्ज किया था। ईडी ने अपनी जांच पूरी कर 4 मई को सबूत और दस्तावेज एसीबी को सौंप दिए थे।