साले का मर्डर कर रिटायर्ड-फौजी ने खुद को गोली मारी:मरने से पहले लिखा- पत्नी ने कहा था.. तेरी जरूरत नहीं, तू अभी मर जा

साले का मर्डर कर रिटायर्ड-फौजी ने खुद को गोली मारी:मरने से पहले लिखा- पत्नी ने कहा था.. तेरी जरूरत नहीं, तू अभी मर जा
BSF से रिटायर्ड फौजी ने पहले अपने साले को लाइसेंसी पिस्टल से गोली मारी, इसके बाद खुद को भी गोली मार ली। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। घटना से पहले फौजी ने 6 मिनट का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड भी किया है। यह पूरा मामला नागौर के गोटन इलाके के नोखा चांदावता गांव का है। खुद को खत्म करने से पहले रिटायर्ड फौजी ने करीब 3 हजार शब्दों के सुसाइड नोट में लिखा है- अपनों के चेहरों से दिखावे का नकाब उतरता है तो वह बर्दाश्त नहीं कर पाता है। उन्हीं अपनों का असली चेहरा और उनका असली रंग देखता है तो फिर वो सच्चा फौजी टूट जाता है। पत्नी ने कहा था.. तेरी जरूरत नहीं, तू अभी मर जा। लंबे समय से पत्नी से मनमुटाव चल रहा था पीपाड़ (नागौर) इलाके के खांगटा के रहने वाले मनरूप (42) BSF की 174 बटालियन से रिटायर हुए थे। पत्नी मुन्नी देवी उर्फ मोनिका (39) से अच्छे रिश्ते नहीं थे। शादी के बाद से ही दोनों के बीच झगड़ा होता था। इसी वजह से उसकी पत्नी बच्चों को ससुराल में छोड़कर खुद ज्यादा समय पीहर में रहती थी। मनरूप का आरोप था कि पत्नी की बहनें और बहनोई उसे भड़काते। इसी वजह से वह आए दिन लड़ाई करती थी। मनरूप का ससुराल नागौर के नोखा (गोटन), चांदावता गांव में है। तीन महीने से पीहर में थी पत्नी मनरूप की पत्नी मुन्नी देवी पिछले 3 महीने से नोखा चांदावता गांव में स्थित पीहर में रह रही थी। यहां मुन्नी देवी के अलावा उसकी मां, पिता, छोटा भाई साेहन लाल व उसकी पत्नी रहते थे। बड़ा साला पप्पूराम मेघवाल (50) व उसकी पत्नी नोखा चांदावता से रोल चांदावता जाने वाली रोड पर करीब ढाई किमी दूर खेत में बने मकान में रहते थे। खेत में बने घर में रहता था पत्नी का बड़ा भाई DSP रामकरण मलिंडा ने बताया- गुरुवार सुबह करीब 4 बजे मनरूप अपनी बाइक से सीधे बड़े साले पप्पूराम के पास पहुंचा। उस समय इस मकान में पप्पूराम के अलावा उसकी पत्नी भी थी। मनरूप ने दरवाजा खटखटाया। पप्पूराम ने जैसे ही दरवाजा खोला, मनरूप ने लाइसेंसी पिस्टल से सिर में तीन गोली मारी। वह वहीं ढेर हो गया। बिना समय गंवाए मनरूप ने गन को अपने मुंह में डाला और ट्रिगर दबा लिया। पलभर में दो लाशें बिछ गईं। संविदा पर LDC था बड़ा साला पप्पूराम नोखा चांदावता की पंचायत समिति में संविदा पर एलडीसी के पद पर कार्यरत था। घटना की जानकारी मिलने पर गोटन थाना पुलिस मौके पर पहुंची। FSL टीम ने सबूत जुटाए। दोनों शवों को गोटन के सरकारी हॉस्पिटल की मॉर्च्युरी में रखवाया गया है। मनरूप का एक 11 साल का बेटा और 9 साल की बेटी है। मुन्नी देवी (पत्नी) 6 बहनें और 2 भाई है। पप्पूराम मुन्नी का बड़ा भाई था। भावुक करने वाला सुसाइड नोट मनरूप ने सुसाइड से पहले सोशल मीडिया पर लंबी पोस्ट लिखी। एक-एक शब्द भावुक करने वाले हैं। लिखा है- 20 साल मैंने BSF में बॉर्डर पर सेवाएं दीं। अव्वल दर्जे का जवान था मैं। हर हालात में अपनी ड्यूटी को अंजाम दिया। कभी थका नहीं, कभी टूटा नहीं। लेकिन, निजी जिंदगी में ऐसा क्या होता है, उस जवान के साथ कि वही रिटायरमेंट के बाद जिंदगी से थक जाता है। बुरी तरह से टूट भी जाता है... क्यों ? लिखा- रिटायरमेंट के बाद ही घरवाली रंग दिखाने लगी थी मनरूप ने पोस्ट में लिखा है- सज्जनों... रिटायरमेंट के 20-25 दिन बाद ही घरवाली ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया। बात-बात पर बेवजह लड़ना-झगड़ना और गाली-गलौज करना शुरू कर दिया। हालांकि वह जब से आई तब से लड़ती थी, लेकिन इस बार अंदाज बहुत अलग था। मैं यह बदला हुआ अंदाज देखकर बहुत हैरान था। जब मैंने कारण पता लगाया तो मैं और ज्यादा हैरान रह गया। कैश मिलने बंद हुए तो छटपटाने लगी मनरूप के पोस्ट के अनुसार, पत्नी से विवाद के तीन बड़े कारण थे। पहला कारण- जब मैं नौकरी करता था, तब पिछले 6-7 साल से हर महीने घर खर्च के लिए 15 हजार रुपए भेजा करता था। मेरे घर आने के बाद वो बंद हो गया। ऐसे में इसकी मनमर्जी के खर्चे भी बंद हो गए। वह (पत्नी) छटपटाने लगी। दूसरा कारण- यह (पत्नी) रोज अपने घरवालों और अपने बहन-बहनोइयों से 2-3 घंटा फोन पर बातें करती थी। वो बातें मेरे आने के बाद इसकी बंद हो गई तो यह छटपटाने लगी। तीसरा कारण- इसका मनमर्जी मायके आना-जाना बंद हो गया था। बहन-बहनोई ने मिसगाइड किया मेरी पत्नी को बहन-बहनोई डांगावास और खजवाना वालों ने इतना मिसगाइड किया कि मैं खुद इनकी रिकॉर्डिंग सुनकर हैरान हो गया। वो इसे बोलते- तेरे घर में तेरी चलती नहीं। इसको रोज झगड़ा करके परेशान कर और रोज बदनाम कर। असलियत मोबाइल से पता चल जाएगी रिटायर्ड फौजी ने लिखा है- मैंने बहुत बार पत्नी को समझाने की कोशिश की, लेकिन कहां मानने वाली थी। इसकी (पत्नी) ड्रामेबाजी और असलियत के कई वीडियो मेरे मोबाइल में हैं। मैंने इसको बहन-बहनोइयों से बात नहीं करने का बोला, लेकिन नहीं मानी। तब मैंने इसके पास मोबाइल रखवाना बंद कर दिया। इन्होंने मायके बुलाकर मेरी मर्जी के बिना इसे नया फोन दिला दिया। मायके से आते ही इसने झगड़ा किया और फिर गांव में जाकर हल्ला कर मुझे बदनाम किया। पत्नी पर आरोप, पीहर वालों को झूठ बोला कि बंदूक तानी BSF से रिटायर्ड जवान मनरूप ने लिखा है- मेरी पत्नी ने अपने मायके वालों को फोन कर झूठ बोला कि मेरी कमर तोड़ दी और बंदूक तान दी। इसके दो भाई और भतीजे गाड़ी में लाठी-डंडे लेकर मुझे मारने आए। मैं फौजी था डरना तो कभी सीखा ही नहीं था। अकेला था फिर भी सबकी मरम्मत करके नंगे पांव वापस भेजा। इस बार मैं अंदर से बुरी तरह टूट गया था। मेरा अब रिश्ते-नातों से मोहभंग हो गया। ...तय कर लिया था कि दुनिया से चले जाना है मनरूप ने लिखा है- पत्नी के व्यवहार को देखकर मैंने अब मन ही मन ठान लिया कि मुझे अब इसे पूरी तरह बर्बाद करके, उन दोनों (बहनोइयों) को ठोंककर खुद भी इस दुनिया से चले जाना है। मैंने अपनी जिंदगी में देखा है कि औरत की बेवफाई और घटिया व्यवहार से दुखी होकर बंदा सुसाइड कर लेता है। औरत को कुछ फर्क नहीं पड़ता। पत्नी से परेशान होकर मैंने घर छोड़ दिया। बच्चों की खातिर नई शुरुआत की सोची थी एक-डेढ़ साल जयपुर, जोधपुर रहा। जहां दिल किया घूमा-फिरा, जिंदगी की मौज ली, जहां उड़ाना था उड़ाया। पर सज्जनों.. इसको सबक सिखाने के बदले में बच्चों का ख्याल ही नहीं आया। एक दिन सोचा कि बच्चों की खातिर एक बार फिर कोशिश करके सबकुछ ठीक करके जिंदगी की नई शुरुआत करते हैं। डेढ़ साल बाद तामझाम लेकर वापस घर आया। घर आकर इसको समझाने की बहुत कोशिश की। पर इसको कुछ मंजूर नहीं, इसकी अपनी अलग ही दुनिया थी। लाख कोशिश के बाद भी नहीं सुधरी मनरूप ने लिखा है- इसकी (पत्नी) दुनिया सिर्फ इसके घरवालों इसके मां-बाप, भाई-भतीजे, बहन-बहनोई, गहने और कपड़ों तक ही सीमित थी। ना इसके लिए पति मायने रखता, ना अपने बच्चे मायने रखते। ना सास, ना ससुराल। लाख कोशिश के बाद भी यह लाइन पर नहीं आई। मैं दुखी होकर फिर अलग हो गया पर इस बार गांव में ही अपने बाड़े वाले मकान में 4-5 महीने इससे अलग रहकर फिर सुधरने का मौका दिया। फिर भी जब यह नहीं सुधरी बल्कि इस बार यह पति की कमाई पर कुछ ज्यादा ही हक जताने लग गई थी। तब मैंने फिर से इसकी बर्बादी की कहानी अपने हाथों से लिखनी शुरू की। क्योंकि इसने मुझे अपने भाई के सामने बोल दिया कि मुझे तेरी जरूरत नहीं, तू अभी मर जा। मैं बच्चों को पाल लूगीं। बहनों की घटिया सलाह ले डूबी मनरूप ने लिखा- इसके बाद मैंने फिर से इसको बर्बाद करने की ठान ली। मैंने लोन भी लिया ताकि यह पेंशन भी ना उठा सके। साथियों सिर्फ पैसे कमाना मेरा मकसद था ही नहीं, जो कमाया था उसकी भी इज्जत नहीं, कमाने वाले की ही घर में इज्जत नहीं तो फिर क्या करना कमा कर। साथियों यह सिर्फ पति की इज्जत करना और शांति से रहना सीख जाती तो आज यह हश्र नहीं होना था। 25-30 हजार पेंशन थी। 25-30 हजार मुझे कहीं भी मिल जाता। 50-60 हजार बहुत थे। सब ठीक हो जाता। बस इसकी जिद्द, घटिया दिमाग, बहनों की घटिया सलाह इसको ले डूबी। पत्नी से सवाल- आखिर दो दिन-रात कहां रही मनरूप ने आगे लिखा है- सज्जनों... घर से बच्चों को छोड़कर निकले हुए इसको आज दो-तीन महीने हो गए। 15 अप्रैल को शाम 4 बजे के लगभग यह घर से निकली थी। इसके घर का रास्ता मात्र एक-डेढ़ घंटे का था। पर यह तीन दिन बाद 18 अप्रैल को अपने घर पहुंची। 15 अप्रैल को यह अपने घर जाने की बजाय जोधपुर गई, फिर उस रात को वहीं रिश्तेदार के पास रुकी, पर 16-17 अप्रैल को 2 दिन-रात यह कहां थी? इसका आज तक कोई जवाब नहीं दे पाया? कभी मैंने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया सोशल मीडिया पर मनरूप ने लिखा है- जहां पहले से चोट लगी हो, वहां पर फिर से चोट लग जाए तो दर्द बहुत जोर से होता है। सहा नहीं जाता। कुछ ऐसा ही हुआ मेरे साथ। उसने एक बार भी नहीं सोचा कि उसके इस कदम से क्या गुजरेगी मुझ जैसे एक इज्जतदार इंसान पर। मुझे नहीं पता एक औरत को कैसा पति चाहिए, मैं एक अच्छा-खासा इंसान था। ईमानदार, वफादार, इज्जतदार सामाजिक इंसान था। 20 साल फौज में भी रहा, पर कभी किसी तरह का कोई भी नशा नहीं किया। जिंदगी हमेशा अपने उसूलों और सिद्दांतों से जीने वाला इंसान था मैं। मैंने कभी किसी लोभ, डर या दबाव में अपने उसूलों के खिलाफ समझौता नहीं किया। उसके इस कदम ने मुझे अंदर से झकझोर दिया। आखिर मैं दिखावा कब तक करता एक हंसने-बोलने वाला इंसान टेंशन में खामोश रहने लग गया। एक रोज अपनों से मिलने-जुलने वाला इंसान इज्जत के मारे घर में कैद होकर रहने लगा। एक मजबूत इंसान रोज टूटकर अंदर से मरता जा रहा था। दो महीने में 7 किलो वजन टेंशन में कम हो गया। फिर भी घर आकर मिलने वालों से कभी अपना दर्द साझा नहीं किया, बल्कि उनको जाहिर न हो जाए इसलिए दिखावे में जोश से बातें कर लेता था। आखिर मैं दिखावा कब तक करता। अब मुझमें बस बदले की आग जलने लगी थी। मैं रोज बस यही सोचता कि अगर इसने मेरा घर और मुझे बर्बाद करने की ही ठान ली है तो फिर अब मैं भी इसका घर बर्बाद करके ही रहूंगा। यह सोचकर आज ठोंक दिया इसके भाई को। वैसे भी यह मूर्ख घर का मुखिया था। पर इसने कभी भी अपना किरदार ठीक से नहीं निभाया। क्या जरूरत थी इस मूर्ख को बेवजह दो-तीन महीने इसको यहां बिठाने की। इसने कभी यह नहीं सोचा कि घर में इसके दो मासूम बच्चे भी हैं। मैं जिंदा पकड़ा जाना नहीं चाहता था गोली मारने का पूरा दिल इन दोनों (सालियों) के पति को था, लेकिन टारगेट दूर-दूर थे। मैं जिंदा पकड़ा नहीं जाना चाहता था, इसलिए वो बच गए। 10 राउंड लेकर गया था। चाहता तो इसे (पत्नी) भी मार देता, लेकिन ख्याल आया कि इसे अपने कर्मों की सजा का एहसास कराना जरूरी है। इसको शर्म होगी तो वैसे भी इसे एक दिन सुसाइड करके मरना पड़ेगा। साथ में इन दोनों (सालियों) को भी मरना पड़ेगा। क्योंकि इन दोनों ने अपने पति के साथ मिलकर साजिश रची और हम दोनों को मरना पड़ा। मैं इज्जत वाला बंदा था, इसलिए खुद को भी मार डाला औरत को अगर किसी और से लगाव हो जाए, तब उसके बाद वो अपना सबसे बड़ा दुश्मन अपने पति को समझने लग जाती है। अगर मैं इसके भाई को ठोंककर इसका घर बर्बाद नहीं करता तो यह लोग मुझे बर्बाद करने का प्लान तो बना ही चुके थे, फिर तो इनको कुछ फर्क नहीं पड़ना था। इनके काले कारनामे उजागर होते ना इनका घर बर्बाद होता, इसलिए मजबूर होकर दुश्मन को फौजी तरीके से उनके प्लान में सफल होने से पहले मजबूर होकर ठोंकना पड़ा। मैं इज्जत वाला बंदा था, अपराध करना ही पड़ गया तो फिर क्या मुंह दिखाना इसलिए अपने आप को भी ठोंक लिया। बहन-बेटियों से अपील- समय रहते संभल जाइए मैं उन सब बहन बेटियों से कहना चाहता हूं कि समय रहते संभल जाइए। एक मर्द अगर मरने-मारने की सोच रहा है ना तो उससे पहले वो हजारों बार चीजें ठीक करने की, रिश्ते ठीक करने की कोशिश कर चुका होता है। पर आप उसकी लाख कोशिशों के बाद भी नहीं बदलते तो फिर वो ठान लेता है सबक सिखाने की। इसलिए मर्द को एक हद तक ही आजमाना चाहिए। मत मारिए इस तरह अपने घर के 'शेर' को वर्ना बाहर के भेड़िए आपको नोचकर खा जाएंगे। किसी की रोज-रोज की वार्निंग को इतना भी नजरअंदाज मत कीजिए कि किसी दिन वो आपके सब गुनाहों का हिसाब एक बार में ही चुकता कर दे। अपने ससुराल की हर छोटी-बड़ी बात, अपने मायके में शेयर मत कीजिए। वर्ना उनकी घटिया सलाहों से आपकी बर्बादी होनी शुरू हो जाएगी। उस इंसान के साथ कभी गद्दारी मत कीजिए, जिसके साथ आपकी दुनिया बसी है। मैं टूट गया, हार गया, वो जीत गई इतना अपसेट होते हुए भी मैंने अपने बहुत कीमती अनुभव साझा किए हैं। मानवता के नाते जितना हो शेयर कर देना, ताकि किसी बहन-बेटी का घर बर्बाद होने से बच जाए। अब मैं हाथ जोड़कर अपने उन सभी चाहने वालों से माफी मांगता हूं, माफ करना मुझे। मैं जानता हूं कि आपको लगेगा कि ठीक नहीं हुआ पर मुझ पर क्या गुजर रही थी मेरे अलावा कोई नहीं जानता। मैं लगभग 18 सालों से सिर्फ औरत की वजह से बदनाम होता रहा, और पिछले दो साल से तो इसने जीना हराम कर दिया। फिर भी मैंने सबकुछ सुधारने की बहुत कोशिशें कीं। पर वो (पत्नी) नहीं सुधरी। इसलिए मैं अब टूट गया, मैं हार गया और वो जीत गई। ये सवाल छोड़ गया रिटायर्ड फौजी मैं कुछ सवाल इसके (पत्नी) लिए भी छोड़कर जा रहा हूं। तू इतने सालों में भी क्यों नहीं सुधरी, क्यूं गद्दारी की तुमने पति के साथ? क्यों तुमने पति को मरवाने के लिए घरवालों को लाठियां लेकर बुलाया? तुझे पता था मैं इज्जत वाला बंदा हूं। बदनामी वाली तेरी हरकतें सहन नही कर पाऊंगा। फिर भी तुमने दूसरों के कहने पर पति को बदनाम क्यों किया? क्यों तू मासूम बच्चों को छोड़कर घर से निकल कर गई? ससुराल से निकलने के बाद तू तीन दिन तक कहां थी? इसका जवाब तुमने मुझे फोन करके तीन महीने में भी क्यूं नहीं दिया? यहां से जाने के बाद तू मेरी मर्जी के बिना उस खजवाने वाले (--------) के पास 15 दिन खजवाना (नागौर) क्यूं रही? तेरे बच्चे और पति तो घर बैठे और तू अकेली इस (----) के घर हमारे बिना शादी में क्यों गई? तू वापस घर आने की बजाय तीन महीने से हर दूसरे दिन खजवाना और डांगावास (नागौर) क्यों जाती रही? क्यूं तुमने सैकड़ों बार गहने खोल-खोल कर फेंके, तुझे मुझसे कोई दिक्कत थी तो मुझे तलाक क्यों नहीं दिया? क्यों तुमने अपने इन दोनों बहन-बहनोइयों के साथ मिलकर पति को बदनाम व परेशान करके सुसाइड के लिए मजबूर करके मारने की साजिश रची? क्यूं तुमने दो घर बर्बाद किए? क्यों तुमने मेरे मासूम बच्चों की जिंदगी बर्बाद की? क्यों तुमने एक अच्छे-खासे इंसान को अपराध करने के लिए मजबूर किया? मेरे इतने मैसेज करके आगाह करने के बाद भी तू और तेरा घटिया परिवार इस बार क्यों नहीं समझ पाया मेरा मूड? क्यों तू हर बार अपने पति को झुकाने की जिद करके अड़ जाती? क्यों नहीं बन पाई तू एक वफादार पति की खातिर पतिव्रता पत्नी?