पंचायतनामा:गागरसोली... 1754 में मराठा फौज से निर्णायक युद्ध का गवाह, कुम्हेर किले से चली तोप से खांडेराव की मृत्यु ने जाट रियासत की कीर्ति फैलाई

पंचायतनामा:गागरसोली... 1754 में मराठा फौज से निर्णायक युद्ध का गवाह, कुम्हेर किले से चली तोप से खांडेराव की मृत्यु ने जाट रियासत की कीर्ति फैलाई
कुम्हेर तहसील के अधीन ग्राम पंचायत सैंत का गांव गागरसोली तीन सौ साल से भी पुराना है। भरतपुर रियासत के शैशवकाल में आए झंझावात में विजय का भी प्रतीक है। सन 1754 में जब जाट रियासत तेजी से उभर रही थी, तब मराठा, राजपूत और दिल्ली की सल्तनत ने दमन करने की साजिश रची। दिल्ली के मीर बख्शी इमादुल्मुल्क ने मराठा पेशवा प्रतिनिधि मल्हार राव होल्कर काे उकसाया। मराठाओं ने जाट रियासत से खंडनी/चौथ के रूप में एक करोड़ रुपए की डिमांड की। क्योंकि मराठा आगरा, मथुरा, नारनौल परगना की फौजदारी चाहते थे। जाे कि उस समय भरतपुर के स्वामित्व में आ चुके थे। जाट रियासत मराठा ताकत से आमना-सामना नहीं करना चाहती थी। इसलिए वकील रूपराम कटारा ने होल्कर काे खंडनी के रूप में 4 लाख रुपए की पेशकश अन्यथा युद्ध का सामना करने की विवशता बताई। ऐसे में मल्हार राव होल्कर के पुत्र खांडेराव के नेतृत्व में राजपूत और दिल्ली की फौजों ने कुम्हेर काे 20 जनवरी 1754 काे घेर लिया और गागरसोली में कैंप डाला। कुम्हेर उस समय समृद्ध नगर था। इतिहासकार वेंडल और राजकवि सूदन ने लिखा है कि सेठ साहूकारों की 52 हवेलियां थीं। ड्योढ़ी खजाना था। कुम्हेर काे कुबेरपुर कहा जाता था। चार महीने की घेराबंदी में जाट सैनिकों का प्लस प्वाइंट कच्चा परकोटा और उस पर लगी तोपें थीं। इन्हें तोपों ने मराठाओं काे गागरसोली से आगे नहीं बढ़ने दिया। किंतु खांडेराव ने साबात/ढकी रक्षा पंक्ति काे धीरे-धीरे कुम्हेर तक विकसित कर लिया। इतिहासकार उपेंद्र नाथ शर्मा ने लिखा है कि 15 मार्च 1754 काे खांडेराव जब साबात का निरीक्षण कर रहा था, तभी कुम्हेर किले से छोटी तोपों से गोलीबारी हुई, जिसकी चपेट में आने से खांडेराव की मृत्यु हाे गई। खांडेराव की मृत्यु से क्रुद्ध मराठाओं ने भरतपुर काे धूल-धूसरित करने का प्रण लिया, लेकिन महाराजा सूरजमल की पत्नी रानी हंसिया और वकील रूपराम कटारा ने जयप्पा सिंधिया के मार्फत समझौता करने में काययाबी हासिल की। क्षतिपूर्ति में 30 लाख एक रुपया तीन साल में देना तय हुआ। इसका चुकारा हुआ अथवा नहीं इसका काेई उल्लेख नहीं है। पंचायत का लेखा-जोखा जनसंख्या : 9 हजार साक्षरता दर : 80% जिला मुख्यालय से दूरी : 16 किमी कनेक्टिविटी : बस और निजी वाहन प्रमुख उत्पादन : गेहूं और सरसों आय का प्रमुख स्रोत : कृषि परेशानी... टेंकरो से बुझाते हैं प्यास गांव में पानी का संकट है। सरपंच कलावती लोटन सिंह ने बताया कि जेजेएम में टंकी और पाइप लाइन डल चुकी है, लेकिन सप्लाई नहीं। लाेग टेंकरों से पानी मंगाते हैं। विशेष... छतरी, कुआ और रागभोग गागरसोली में खांडेराव की स्मृति में भव्य छतरी और कुआ बना है। पूर्व सरपंच मोहन सिंह ने बताया कि पहले यहां खांडेराव की प्रतिमा भी थी, जाे चोरी चली गई। अहिल्याबाई शिव उपासक थी।