जैसलमेर में UAV रुद्रास्त्र ने तबाह किए टारगेट:मिशन पूरा कर बिना दिक्कत लॉन्च पॉइंट पर लौटा; मॉडर्न कैमरा और निगरानी सिस्टम से भी लैस

जैसलमेर में UAV रुद्रास्त्र ने तबाह किए टारगेट:मिशन पूरा कर बिना दिक्कत लॉन्च पॉइंट पर लौटा; मॉडर्न कैमरा और निगरानी सिस्टम से भी लैस
भारत ने अपनी रक्षा प्रौद्योगिकी में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) की ओर से विकसित हाइब्रिड वर्टिकल टेकऑफ एंड लैंडिंग (VTOL) UAV रुद्रास्त्र का जैसलमेर में सफल परीक्षण किया गया। यह परीक्षण पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में 11 जून को हुआ। यह परीक्षण सैन्य शक्ति को मजबूत करने और क्षेत्रीय चुनौतियों, विशेष रूप से पाकिस्तान के खिलाफ एक कड़ा जवाब देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। UAV रुद्रास्त्र वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग में माहिर है। UAV रुद्रास्त्र की 170 किलोमीटर से अधिक की रेंज है और ये सटीक लक्ष्य को भेदने में कारगर है। मॉडर्न कैमरा और निगरानी सिस्टम से लैस ये UAV लगभग 1.5 घंटे की अनुमानित अवधि के साथ परीक्षण के दौरान उड़ा और अपराजेय सटीकता दिखाई। पहले 4 फोटोज में देखिए UAV रुद्रास्त्र का परीक्षण पोकरण में हुआ परीक्षण 11 जून को पोकरण फायरिंग रेंज में रुद्रास्त्र के ट्रायल्स हुए। जहां इसने भारतीय सेना की स्पेसिफिकेशंस के अनुसार प्रदर्शन किया। इसमें VTOL, लॉन्ग एंड्योरेंस, प्रिसिजन इंगेजमेंट और ऑपरेशनल वर्सेटिलिटी जैसे कैपेबिलिटीज शामिल थे। परीक्षण के दौरान रुद्रास्त्र ने 50 किलोमीटर से ज्यादा की मिशन रेडियस पर स्टेबल रियल टाइम वीडियो लिंक बनाए रखा। UAV ने मिशन पूरा किया और बिना किसी दिक्कत के लॉन्च पॉइंट पर लौट आया। इसकी कुल रेंज 170 किलोमीटर से ज्यादा है, जिसमें टारगेट-एरिया में लॉयटरिंग भी शामिल है। जासूसी के लिए किया जा सकता है इस्तेमाल ये VTOL UAVs सर्विलांस, टारगेट इंगेजमेंट और रेकॉनसेंस (जासूसी) के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं। भारतीय सशस्त्र बलों ने विभिन्न निर्माताओं से VTOL UAVs को शामिल किया है, जबकि रुद्रास्त्र लेटेस्ट टेक्नोलॉजी वाला स्वदेशी VTOL UAV है। सफल ट्रायल्स और जरूरी प्रक्रियाओं के बाद, ये UAVs भारतीय सेना में शामिल हो सकते हैं। स्वदेशी तकनीक से बना है यह ड्रोन भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो डीआरडीओ के रुस्तम कार्यक्रम के साथ मेल खाता है। जिसमें हाल ही में 180-220 हॉर्सपावर के स्वदेशी इंजनों के टैक्सी ट्रायल फरवरी 2025 में पूरे किए गए। पोकरण फायरिंग रेंज में आयोजित इस परीक्षण के दौरान रुद्रास्त्र ने अपनी मजबूत परिचालन क्षमता और विश्वसनीयता का प्रदर्शन किया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह ड्रोन न केवल सीमा सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि दुश्मन के हौसले को भी पस्त करेगा। भारत की रक्षा में निजी क्षेत्र की भूमिका रुद्रास्त्र का विकास निजी क्षेत्र की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। वीटीओएल एविएशन इंडिया जैसी कंपनियों ने 2023 में डीजीसीए प्रमाणन हासिल किया है, जो हाइब्रिड यूएवी तकनीक में नवाचार को बढ़ावा दे रहा है। यह कदम भारत को इंटरनेशनल डिफेंस मार्केट में मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, रुद्रास्त्र का सफल परीक्षण भारत की सैन्य रणनीति में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। आने वाले समय में इस ड्रोन को और उन्नत बनाकर इसे विभिन्न मिशन जैसे खुफिया, निगरानी, लक्ष्य संकेतन और सटीक हमलों के लिए तैनात किया जा सकता है।