गर्भ में मरा बच्चा, कुछ घंटे बाद प्रसूता की मौत:हॉस्पिटल में परिजनों ने किया हंगामा, डॉक्टर को बर्खास्त करने की मांग

चित्तौड़गढ़ के महिला एवं बाल हॉस्पिटल में एक बार फिर लापरवाही का गंभीर मामला सामने आया है। लेबर पेन के दौरान हॉस्पिटल पहुंची महिला की मौत हो गई। परिजनों ने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उससे पहले उसके कोख में ही बच्चे की भी मौत हो चुकी थी। घटना के बाद परिजनों और ग्रामीणों ने हॉस्पिटल में हंगामा कर दिया। परिजनों ने डॉक्टर को बर्खास्त करने की मांग की है। मृतक महिला का नाम प्रीति (29) पत्नी नरेश कंडारा है। प्रीति मूल रूप से रतलाम (मध्यप्रदेश) की रहने वाली थी और ससुराल भीलवाड़ा में है। उसका पति नरेश कंडारा चित्तौड़गढ़ शहर में टैक्सी चलाता है। दोनों की शादी को 8 साल हो चुके थे और उनकी एक 5 साल की बेटी भी है। 'दर्द होता है-स्टाफ देख लेगा' बोल कर काटा फोन
नरेश ने बताया कि बीती रात करीब 2:30 बजे उसकी पत्नी को तेज लेबर पेन हुआ। वह प्रीति को तुरंत लेकर चित्तौड़गढ़ के सांवरिया जी महिला एवं बाल हॉस्पिटल पहुंचा। वहां नर्सिंग स्टाफ ने बताया कि हॉस्पिटल में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं है।
नरेश ने महिला डॉक्टर दीप्ति श्रीवास्तव को कई बार फोन किया, लेकिन उन्होंने पहले फोन नहीं उठाया। बाद में जब कॉल रिसीव किया तो उन्होंने यह कहकर बात काट दी कि "दर्द होता है, स्टाफ देख लेगा"। प्रसूता की तबीयत बिगड़ी तो घबरा गया स्टाफ
नर्स ने प्रीति को एडमिट तो कर लिया, लेकिन सुबह जब उसे इंजेक्शन दिया गया, तब उसकी तबीयत बिगड़ गई। स्टाफ घबरा गया और डॉक्टर को फोन किया। तब जाकर डॉक्टर दीप्ति श्रीवास्तव हॉस्पिटल पहुंचीं और महिला को आईसीयू में ले जाया गया। परिजनों का फूटा गुस्सा
डॉक्टर ने बाहर आकर परिजनों को बताया कि बच्चा गर्भ में ही मर चुका है। ऑपरेशन कर बच्चे को बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक प्रीति की हालत बहुत गंभीर हो चुकी थी और वह सांस नहीं ले पा रही थी। कुछ घंटों बाद उसकी भी मौत हो गई।
घटना के बाद गुस्साएं परिजनों और ग्रामीणों ने हॉस्पिटल में हंगामा कर दिया। सूचना पर रावतभाटा एडीएम विनोद मल्होत्रा, एसडीएम पंकज बड़गूजर, डीएसपी विनय चौधरी और सदर थाना अधिकारी निरंजन प्रताप सिंह पुलिस जाप्ते के साथ मौके पर पहुंचे और स्थिति को संभाला। पति ने पुलिस में दी रिपोर्ट, डॉक्टर को बर्खास्त करने की मांग
महिला के पति नरेश कंडारा ने पुलिस को रिपोर्ट दी और डॉक्टर दीप्ति श्रीवास्तव को बर्खास्त करने की मांग की। इसके बाद मेडिकल बोर्ड से पोस्टमॉर्टम करवाकर शव परिजनों को सौंप दिया गया।
इस मामले में जब डॉक्टर दीप्ति श्रीवास्तव से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन उठाना जरूरी नहीं समझा। इस मामले में एक बार फिर सरकारी अस्पतालों की लापरवाही और डॉक्टरों की गैर-जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं।