कृषि विभाग:प्रदेश में प्राकृतिक खेती के 1800 क्लस्टर बनेंगे, 2.25 लाख किसान 90 हजार हेक्टेयर में खेती करेंगे, सबसे ज्यादा थार में

कृषि विभाग:प्रदेश में प्राकृतिक खेती के 1800 क्लस्टर बनेंगे, 2.25 लाख किसान 90 हजार हेक्टेयर में खेती करेंगे, सबसे ज्यादा थार में
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत इस मानसून से ही प्रदेश में प्राकृतिक खेती शुरू की जाएगी। कृषि विभाग ने सभी जिलों को लक्ष्य आवंटित कर दिए हैं। प्रदेश में 2 लाख 25 हजार किसानों का चयन किया जाएगा। ये किसान 90 हजार हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती करेंगे। 41 जिलों के दस खंड बनाए गए हैं। इन्हें अजमेर, सीकर, भरतपुर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, जोधपुर, जालोर, कोटा, उदयपुर एवं भीलवाड़ा खंड में विभाजित किया गया है। सबसे ज्यादा खेती बाड़मेर व जैसलमेर जिलों में 4000–4500 हेक्टेयर में की जाएगी। जबकि कम से कम एक जिले में 1500 हेक्टेयर का लक्ष्य तय किया गया है। संयुक्त निदेशक वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने बताया कि प्राकृतिक खेती के लिए दो से तीन गांवों को मिलाकर क्लस्टर बनाए जाएंगे। प्रदेश में कुल 1800 क्लस्टर बनेंगे। हर क्लस्टर में 125 किसान शामिल होंगे। एक क्लस्टर 50 हेक्टेयर क्षेत्र में होगा। 0.4 हेक्टेयर भूमि पर प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। ज्यादा क्षेत्र में एक साथ खेती से उत्पादन प्रभावित हो सकता है। इसलिए शुरुआत कम क्षेत्रफल से की जा रही है। किसान किसी भी फसल या सब्जी की खेती कर सकेंगे। किसानों को किस्म के बीज, बायो फर्टिलाइजर और देसी खाद उपलब्ध कराई जाएगी। हर पंचायत में किसानों को समूह में प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्हें प्राकृतिक खेती के लाभ बताए जाएंगे। सोलर बेस्ड माइक्रो इरिगेशन प्रोजेक्ट से किसानों को सिंचाई में मदद मिलेगी। योजना के तहत रासायनिक खेती से छुटकारा मिलेगा। केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और राज्य सरकार 40 प्रतिशत प्रोत्साहन राशि देगी। राजस्थान में 90 हजार हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती की जाएगी। 41 जिलों में दस खंड में यह खेती की जाएगी। पहले से कम कीटनाशक यूज करने वाले जिलों पर रहेगा जोर जहां पहले से खेती में कम कीटनाशक व दवाइयों का इस्तेमाल हो रहा है, वहां प्राकृतिक खेती पर ज्यादा जोर दिया जाएगा। सर्वाधिक बाड़मेर में 4500 हेक्टेयर व जैसलमेर में 4000 हेक्टेयर में यह खेती होगी। अजमेर, दौसा, जयपुर, जोधपुर, नागौर, डीडवाना–कुचामन, बालोतरा, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर व ब्यावर जिलों में 2500-2500 हेक्टेयर में खेती की जाएगी। जबकि टोंक, कोटपूतली-बहरोड़, सवाई माधोपुर, करौली, फलोदी, जालोर, पाली, प्रतापगढ़, सलुंबर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ व राजसमंद जिलों में 2000-2000 हेक्टेयर एरिया में रसायन मुक्त फसलें उगाई जाएंगी। इसी तरह खेरतल-तिजारा, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, डीग, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, सिरोही, कोटा, बारां, बूंदी, झालावाड़ आदि जिलों में 1500-1500 हेक्टेयर व बीकानेर, सीकर, चूरू, झुंझुनूं में 3000-3000 हजार हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती की जाएगी।