CJI बोले- आर्टिकल 370 अंबेडकर के विचार के खिलाफ था:वे हमेशा एक संविधान के पैरोकार रहे; गवई फैसला सुनाने वाली बेंच का हिस्सा थे

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने शनिवार को कहा- आर्टिकल 370 बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के देश के लिए एक संविधान की सोच के खिलाफ था। उन्होंने कहा कि अंबेडकर ने देश को एकजुट रखने के लिए एक संविधान की पैरोकारी की थी। कभी किसी राज्य के लिए अलग संविधान के विचार का समर्थन नहीं किया। गवई ने आगे कहा- जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ‘एक संविधान’ के तहत अखंड भारत के अंबेडकर के दृष्टिकोण से प्रेरणा ली। चीफ जस्टिस ने शनिवार को महाराष्ट्र के नागपुर में संविधान प्रस्तावना पार्क के उद्घाटन के मौके पर यह बात कही। सीजेआई गवई तत्कालीन सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की उस संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा था। डेढ़ साल पहले SC ने जम्मू-कश्मीर से 370 हटाने का फैसला बरकरार रखा था 11 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का केंद्र सरकार का फैसला बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा था - आर्टिकल 370 अस्थायी प्रावधान था। संविधान के अनुच्छेद 1 और 370 से स्पष्ट है कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। भारतीय संविधान के सभी प्रावधान वहां लागू हो सकते हैं। केंद्र ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से 370 हटा दिया था। इसके 4 साल, 4 महीने और 6 दिन बाद आए 476 पेज के फैसले में कोर्ट ने कहा, 'हम आर्टिकल 370 को निरस्त करने के लिए जारी राष्ट्रपति के आदेश को वैध मानते हैं। हम लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखते हैं।' इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में 30 सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराने के आदेश दिए। ------------------- ये खबर भी पढ़ें... CJI बोले-अधिकारों की रक्षा के लिए अदालतों की सक्रियता जरूरी, लेकिन यह ज्यूडिशियल टेररिज्म न बने भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने शुक्रवार को कहा कि संविधान और नागरिकों के अधिकारों को बनाए रखने के लिए न्यायिक सक्रियता जरूरी है। यह बनी रहेगी, लेकिन इसे न्यायिक आतंकवाद में नहीं बदला जा सकता। पूरी खबर पढ़ें..