RSS महासचिव होसबाले के खिलाफ यूथ कांग्रेस की शिकायत:कहा- संविधान की प्रस्तावना से सोशलिस्ट-सेक्युलर हटाने से लोकतांत्रिक मूल्यों को नुकसान होगा

यूथ कांग्रेस ने बेंगलुरु में RSS के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि होसबाले ने प्रस्तावना में सोशलिस्ट और सेक्युलर शब्द को हटाने की बात कही है। युवा कांग्रेस लीगल सेल के चेयरमैन श्रीधर, को-चेयरमैन समृद्ध हेगड़े ने आरोप लगाया यह सिर्फ एक वैचारिक टिप्पणी नहीं है, बल्कि यह संविधान की मूल भावना को कमजोर करने का प्रयास है। श्रीधर ने पत्र में लिखा कि इस तरह के सार्वजनिक बयान लोकतांत्रिक मूल्यों को नुकसान पहुंचाते हैं और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। होसबाले ने कहा था कि मूल संविधान में सोशलिस्ट और सेक्युलर शब्द नहीं थे। इमरजेंसी के समय इन्हें जोड़ दिया गया था। तो क्या ये शब्द संविधान में रहना चाहिए। इस पर विचार होना चाहिए। होसबाले ने कहा था- आपातकाल के दौरान सेक्युलरिज्म और सोशलिज्म को जोड़ा गया 26 जून को दिल्ली में डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित कार्यक्रम और 27 जून को हैदराबाद में ‘आपातकाल के 50 साल’ कार्यक्रम में दत्तात्रेय होसबाले ने कहा था कि मूल संविधान में सोशलिस्ट और सेक्युलर शब्द नहीं थे। इमरजेंसी के समय इन्हें जोड़ दिया गया था। उन्होंने कहा था- आपातकाल के दौरान भारत के संविधान की प्रस्तावना में दो शब्द सेक्युलरिज्म और सोशलिज्म जोड़े गए। ये पहले संविधान की प्रस्तावना में नहीं थे। बाद में इन्हें निकालने की कोशिश नहीं हुई। चर्चा हुई दोनों प्रकार के पक्ष रखे गए। तो क्या ये शब्द संविधान में रहना चाहिए। इस पर विचार होना चाहिए। उन्होंने कहा था कि इमरजेंसी के समय संविधान की हत्या की गई थी और न्यायपालिका की स्वतंत्रता खत्म कर दी गई थी। इमरजेंसी के दौरान एक लाख से ज्यादा लोगों को जेल में डाला गया, 250 से ज्यादा पत्रकारों को कैद किया गया, 60 लाख लोगों की जबरन नसबंदी करवाई गई। अगर ये काम उनके पूर्वजों ने किया था तो उनके नाम पर माफी मांगनी चाहिए।' CPI (M) सांसद- संविधान की भावना को कमजोर न करें CPI (M) के राज्यसभा सांसद संतोष कुमार ने भी RSS प्रमुख मोहन भागवत को लेटर लिखकर कहा कि संगठन संविधान की भावना को माने और उसे कमजोर करने की कोशिश बंद करे। कुमार ने अपने पत्र में लिखा कि "सोशलिस्ट और सेक्युलर" जैसे शब्द भारत की विविधता और न्यायपूर्ण समाज की नींव हैं। इन्हें हटाने की बात करना आजादी के समय जनता से किए गए वादों को तोड़ने जैसा है। राहुल गांधी ने कहा था- RSS-BJP को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए दत्तात्रेय के बयान पर राहुल गांधी ने X पोस्ट में लिखा था- भाजपा-RSS बहुजनों और गरीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें दोबारा गुलाम बनाना चाहते हैं। संविधान जैसा ताकतवर हथियार उनसे छीनना इनका असली एजेंडा है।' उपराष्ट्रपति धनखड़ बोले- ये शब्द नासूर बन गए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 28 जुलाई को कहा कि आपातकाल के दौर में संविधान की प्रस्तावना में संशोधन करके जोड़े गए 'धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी' शब्द नासूर बन गए हैं। प्रस्तावना पवित्र है और इसे बदला नहीं जा सकता, जोड़े गए शब्द सनातन की भावना का अपमान हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा- आपातकाल के दौरान 1976 में प्रस्तावना में डाले गए शब्द नासूर थे और उथल-पुथल मचा सकते थे। ये बदलाव संविधान के साथ विश्वासघात का संकेत देते हैं। यह देश की हजारों सालों की सभ्यता-संपदा और ज्ञान को छोटा करने के सिवा कुछ नहीं है। शनिवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पूर्व भाजपा एमएलसी डीएस वीरैया की बुक ‘अंबेडकर के संदेश’ के लॉन्च के दौरान कही। उन्होंने कहा कि बी.आर. अंबेडकर ने संविधान पर कड़ी मेहनत की थी। उन्होंने निश्चित तौर पर इन बदलाव पर ध्यान केंद्रित किया होगा। संविधान की मूल प्रस्तावना और 42वां संशोधन, ग्राफिक्स से समझें संविधान के मुताबिक सोशलिस्ट-सेक्युलर का मतलब सोशलिस्ट (समाजवादी) : ऐसी व्यवस्था जिसमें आर्थिक और सामाजिक समानता हो, संसाधनों का समान वितरण हो और गरीबों, कमजोरों के अधिकारों की रक्षा की जाए। यानी भारत में आर्थिक और सामाजिक समानता को बढ़ावा दिया जाएगा। सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) : राज्य सभी धर्मों का समान सम्मान करता है, किसी एक धर्म का पक्ष नहीं लेता और धर्म से ऊपर उठकर शासन करता है। यानी भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र रहेगा, जहां सभी धर्मों का समान सम्मान होगा और राज्य किसी एक धर्म का पक्ष नहीं लेगा। ---------------------------------- संविधान की प्रस्तावना को लेकर विवाद की ये खबर भी पढ़ें... उपराष्ट्रपति ने संविधान से धर्मनिरपेक्ष-समाजवादी शब्द हटाने का समर्थन किया:धनखड़ बोले- ये शब्द नासूर बन गए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि आपातकाल के दौर में संविधान की प्रस्तावना में संशोधन करके जोड़े गए 'धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी' शब्द नासूर बन गए हैं। प्रस्तावना पवित्र है और इसे बदला नहीं जा सकता, जोड़े गए शब्द सनातन की भावना का अपमान हैं। पूरी खबर पढ़ें...