साइक्लिंग कैम्प में 10 खिलाड़ी, साइकिल सिर्फ 3, उनमें 1 पर्सनल

जयपुर के सवाई मानसिंह सिंह स्टेडियम में राजस्थान राज्य स्पोर्ट्स काउंसिल (RSSC) का कैम्प चल रहा है। इन खेलों में साइकिल भी शामिल है। साइकिल के बॉयज कैम्प में 10 बच्चे हैं। खास बात यह है कि ये सभी बच्चे बीकानेर से हैं। कोच श्रवण भाम्बू कहते हैं, ‘बीकानेर साइक्लिंग का गढ़ है। इसलिए कैम्प वगैरह में वहीं से बच्चे हिस्सा लेते हैं। कैम्प का समापन आज स्पोर्ट्स काउंसिल अध्यक्ष नीरज के पवन करेंगे। 10 बच्चों में दो नेशनल मेडलिस्ट भी कोच बताते हैं कि 10 बच्चों में 2 नेशनल मेडलिस्ट भी हैं। इनके नाम हैं शिवरतन और हरिप्रकाश सिनवार। इसके अलावा कुशाल गाट स्कूल नेशनल का गोल्ड मेडलिस्ट है। सुंदर लाल भादू और मनीष सहारण भी नेशनल खेल चुके हैं। हां, ये मेडल जीतने में सफल नहीं रहे थे। कोच भाम्बू बताते हैं कि कैम्प में 10 बच्चे हिस्सा ले रहे हैं। लेकिन साइकिल तीन ही हैं। इनमें से भी एक साइकिल तो खिलाड़ी की खुद की पर्सनल है। कुछ साइकिल खराब हैं। वैसे भी पहली बार कैम्प में हिस्सा ले रहे बच्चों को हम शुरू में वेलोड्रम पर साइकिल चलाने की इजाजत नहीं देते। इसके लिए टेक्नीकल ट्रेनिंग की जरूरत होती है। हां, रोड साइक्लिंग जरूर करते हैं ये बच्चे। {कोर, स्ट्रेचिंग और स्पीड ट्रेनिंग रेगुलर कराते हैं; कोच बोले, कैम्प में हिस्सा ले रहे बच्चों को कंडीशनिंग, जनरल ट्रेनिंग, एंड्यूरेंस, स्ट्रेंथ एंड्यूरेंस, स्पीड ट्रेनिंग, कोर, स्ट्रेचिंग, जिम और वेट ट्रेनिंग वगैरह रेगुलर कराई जाती है। एक तरह से फिटनेस पर पूरा फोकस किया जाता है। {मॉर्निंग में रोजाना 2 घंटे साइक्लिंग कराते हैं; रोज 2 घंटे सुबह साइक्लिंग करवाते हैं, फिर रिकवरी का टाइम होता है। 30 किमी साइक्लिंग हर बच्चे से करवाई जाती है। इसके अलावा ट्रैक की टेक्निक, स्टार्ट कैसे करना है, स्पीड टेक्नीक, ट्रैक बैलेंस वगैरह के बारे में बताया जाता है, जो कि आगे कॉम्पीटिशन में काम आता है। कैम्प में बच्चे आपसी तालमेल व जनरल स्किल सीखते हैं। डेली वर्कआउट डायरी मेंटेन करते हैं। सेल्फ ट्रेनिंग भी कर सकते हैं। {थ्योरी क्लास में भी डोपिंग के बारे में बताया जाता है; साइकिल स्किल के साथ थ्योरी क्लासेज भी होती हैं। इसमें काम्पीटिशन के बारे में बताया जाता है। कैसे डिसक्वालिफाई हो जाते हैं, डोप की जानकारी दी जाती है। छोटी-छोटी चीजें सीखने को मिलती हैं।