संस्कृत विश्वविद्यालय:किताबों में पढ़ाएंगे धार्मिक स्थलों पर भीड़ नियंत्रण कैसे करें

संस्कृत विश्वविद्यालय:किताबों में पढ़ाएंगे धार्मिक स्थलों पर भीड़ नियंत्रण कैसे करें
राजस्थान समेत देशभर में धार्मिक पर्यटन का चलन तेजी से बढ़ रहा है। खाटूश्यामजी, सांवरिया सेठ, जीणमाता, सालासर धाम, देशनोक स्थित करणी माता का मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों में श्रद्धालुओं का ग्राफ दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। ऐसे में बढ़ती संख्या से धार्मिक पर्यटन हॉट स्पॉट में बदल रहा है। छोटी काशी के नाम से विख्यात जयपुर की जगदगुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विवि ने मंदिर प्रबंधन नाम से एक नए डिप्लोमा कोर्स इसी सत्र से प्रारंभ करने जा रहा है। जिसमें न केवल देश, बल्कि विदेश के 50 छात्र-छात्रा भी प्रवेश ले सकेंगे। इसमें साइंस, कॉमर्स, कला और संस्कृत विषयों से सीनियर सेकंडरी निर्धारित योग्यता रखने वाला छात्र प्रवेश ले सकेगा। प्रवेश प्रक्रिया जुलाई से प्रारंभ होगी। सिलेबस मौजूदा स्थितियों के आधार पर बनाया है। थ्योरी क्लासेज के बाद मंदिरों में हैंडस ऑन इंटर्नशिप भी प्रस्तावित है। कोर्स पिछले साल ही लागू कर दिया था, लेकिन विवि की की लापरवाही के चलते एक भी प्रवेश नहीं हो सका। भास्कर EXPLAINER : वो सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं (भास्कर एक्सपर्ट पैनल : देवेन्द्र कुमार, सहायक आचार्य, वेद विभाग, संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर) हादसों को रोेकने में कारगर: एक्सपर्ट विशेषज्ञ के अनुसार धार्मिक स्थलों पर बढ़ रही श्रद्वालुओं की संख्या और आए दिन होने वाले हादसों को देखते हुए मंदिर प्रबंधन कोर्स न केवल अच्छी पहल है, बल्कि होने वाले हादसों को भी रोकेगा। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जिग-जैग व्यवस्था, प्रशिक्षित स्वंय सेवकों की नियुक्ति, कंट्रोल रूम बनाना, हैल्पलाइन नंबर विकसित, पुलिस व जिला प्रशासन किस तरह से भीड़ बढ़ने पर रोक सकेंगे।