बाड़मेर में आद्य शक्ति देवल भलियाई दिग्दर्शन पुस्तक विमोचन:जज बोले-देवल मां ने समाज सुधार और समाजवाद की पैरवी की

बाड़मेर शहर के इंद्रा नगर स्थित चारण संस्थान भवन में आद्य शक्ति देवल भलियाई दिग्दर्शन पुस्तक विमोचन समारोह हुआ। पुस्तक का विमोचन जिला सेशन एवं सत्र न्यायाधीश (ACB कोर्ट जयपुर) तन सिंह देथा ने किया। देथा ने कहा- हिंगलाज माता के अवतार के रूप में देवल मां का अवतार 15 वीं शताब्दी में हुआ। उन्होंने समाज सुधार ओर समाजवाद की परिकल्पना कर सभी को समान अधिकार की पैरवी की। रविवार को देवल मां चारण संस्थान समाज भवन इंद्रा नगर बाड़मेर में प्रोग्राम हुआ। इसकी शुरुआत देवल मां की तस्वीर के सामने दीप जलाकर की गई। साथ ही देवल मां की जीवनी के बारे में कवि कैलाश दान ने ने बताया। समाज सुधार और समान अधिकार की पैरवी की एसीबी कोर्ट के न्यायाधीश तनसिंह देथा ने कहा- हिंगलाज माता के अवतार के रूप में देवल मां ने 15 वीं शताब्दी में समाज सुधार ओर समाजवाद की परिकल्पना कर सभी को समान अधिकार की पैरवी की। इसका उदाहरण देखने को मिलता है जब उन्होंने जैसलमेर के राजा ने उनकी पीठ की पीड़ा से निजात दिलाने पर 36 गांव की जागीर देने की बात की थी। लेकिन उन्होंने जागीर लेने की बजाय उन सभी गांवों के कर माफ करने की बात कहकर सभी को सम्मान दर्जा देने की परिकल्पना की। इतना ही नहीं 15 वीं शताब्दी में ऊंच-नीच के भेदभाव को खत्म करने के लिए अपने पिता के एक ही पुत्री होने के कारण पिता की जमीन में उस समय मेघवाल समाज के युवक को भाई का दर्जा देते हुए हक दिलवाया। जिसने उनके माता पिता की सेवा की थी जो कि अभी भी बहुत दूर की कौड़ी दिखाई देता है। देवल मां ने अपने कालखण्ड में कई चमत्कारिक कार्य भी किए जिसके कारण उनकी पूजा अर्चना दो राज्यों के सभी समाज के लोग करते हैं। लेखक की सराहना देथा ने कहा- पुस्तक के लेखक महादान सिंह बारहठ हैं। जिन्होंने वर्षों की साधना व शोध से इस पुस्तक का लेखन कार्य पूरा किया है। इस धार्मिक ग्रंथ का प्रकाशन पदम दान देथा की ओर से करवाया गया है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में धर्मप्रेमी, समाजसेवी, स्थानीय बुद्धिजीवी व आमजन उपस्थित रहे। आज के कार्यक्रम में पहुंचे धर्म प्रेमी और साहित्यकारों का आभार भी जताया। पुस्तक धार्मिक परंपराओं, इतिहास को जोड़ने का सशक्त माध्यम देवल मां, जिन्हें राजस्थान और गुजरात में श्रद्धा के साथ पूजा जाता है, को 15वीं शताब्दी में हिंगलाज माता के अवतार के रूप में मान्यता प्राप्त है। विशेषकर पश्चिमी राजस्थान के चारण समाज में इनका अत्यधिक धार्मिक महत्व है। यह पुस्तक देवी के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व आध्यात्मिक स्वरूप को उजागर करती है। यह पुस्तक नई पीढ़ी को अपनी धार्मिक परंपराओं, इतिहास और देवी भक्ति से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम बनेगी। साथ ही, देवल मां की महिमा और क्षेत्रीय लोक आस्था का दस्तावेजीकरण भी इससे संभव हुआ है।