गैंगस्टर आनंदपाल पर फिल्म बनाने के लिए घर-गहने गिरवी रखे:धमकियों से डरकर पार्टनर ने फिल्म छोड़ दी, परिवार बोला- इस फिल्म को बंद नहीं करेंगे

राजस्थानी सिनेमा के एक्टर, राइटर और डायरेक्टर अरविंद कुमार वाघेला एक बार फिर चर्चा में है। इस बार ये चर्चा उनकी 20 जून को रिलीज होने वाली मूवी 'टाइगर ऑफ राजस्थान' को लेकर है। ये मूवी गैंगस्टर आनंदपाल पर बनी है। इस मूवी को लेकर अरविंद वाघेला ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि जैसे ही रिलीज डेट आई धमकियां मिलने लगी कि इसे रिलीज नहीं करे। उन्होंने बताया कि इस मूवी के लिए घर से लेकर गहने तक गिरवी रखने पड़े। इतनी परेशानी के बाद भी परिवार ने आर्थिक रूप से साथ दिया और सारी मुसीबतों के बीच इस मूवी को पूरा किया। उन्होंने बताया कि यह फिल्म नकारात्मकता नहीं बल्कि संघर्ष में भी इंसानियत को जिंदा रखने की कहानी है। पढि़ए आनंदपाल पर मूवी बनाने वाले एक्टर और डायरेक्टर अरविंद कुमार वाघेला से बातचीत... सवाल: किस तरह की फिल्म है और कितनी अपेक्षा इससे रखते हैं?
अरविंद कुमार वाघेला: मैंने टाइगर ऑफ राजस्थान नाम से फिल्म बनाई है। यह एक ऐसे आदमी की कहानी है, जो खराब परिस्थिति में भी अपना वजूद बनाकर रखता है और वो ही टाइगर कहलाता है। जैसे जंगल में कई तरह के जानवर होते है, लेकिन टाइगर हर कोई नहीं कहलाता है। यह एक ऐसे इंसान की फिल्म है, जो बनना कुछ ओर चाहता था और सिस्टम की वजह से बन और कुछ जाता है। वह गलत रास्ते पर भी अपने एथिक्स और कमिटमेंट को भी नहीं भूलता है। इसे ही टाइगर ऑफ राजस्थान कहा गया है।
सवाल: आनंदपाल पर यह फिल्म बनाई है, यह कितना जरूरी था और कितना मुश्किल रहा इसे बनाना?
अरविंद कुमार वाघेला: जब फिल्म शुरू की तो हजारों सवाल सामने आ रहे थे। लोग कह रहे थे कि ऐसे व्यक्ति पर क्यों फिल्म बना रहे हो जिसकी कहानी फिट नहीं बैठती है और न ही अच्छा काम किया। जब मैंने ये पूछना शुरू किया कि जिसने अच्छा काम किया उसका नाम बता दो तो कोई जवाब नहीं दे पाया। मैं उन्हें यही कहता था कि एक ऐसा आदमी जो गलत रास्ते पर होते हुए अच्छाई को नहीं भूला हो वह कैसे गलत हाे सकता है। इस समाज में अच्छे लोग है। लेकिन, अच्छा काम नहीं करते है। सवाल: फिल्म रिलीज को लेकर लगातार धमकियां मिल रही है, कितनी सच्चाई है?
अरविंद कुमार वाघेला: एक महीने पहले मैंने सिनेमाघर से एग्रीमेंट कर लिए थे। अभी कुछ 8-10 दिन पहले सिनेमावालों ने कहा कि कोई हमें धमकी दे रहा है कि इस फिल्म को लगाओगे तो हम तोड़ देंगे, पर्दा फाड़ देंगे। मैंने कहा कि जब मेरा विजन सही है और मैं सही हूं तो डर नहीं लग रहा। धमकी देने वाले लोग सिर्फ बाधाएं डालने वाले है। मैं सिर्फ यही कहता हूं कि जिंदगी और मौत अपने हाथ में नहीं है।
सवाल: जब फिल्म शुरू कि तो कितनी मुश्किल आई और अब आप रिलीज कर रहे हैं तो कितनी मुश्किल आई ?
अरविंद कुमार वाघेला: शूटिंग में तो नहीं लेकिन शुरुआत में कुछ दिक्कतें थीं। जब फिल्म रिलीज की डेट मैंने शेयर की तो मेरी जिंदगी में तूफान आ गया। ये ऐसा तूफान था कि यदि मां-बाप का आशीर्वाद नहीं रहता तो मैं जिंदा नहीं होता। किसी सब्जेक्ट पर काम किया है और आप चाहते है कि उस पर आपको थैंक्स मिले, लेकिन कोई थैंक्स की जगह गुनहगार साबित कर दे तो अच्छाई से नफरत हो जाती है। मैं सिर्फ यही कहूंगा कि उनका काम उन्होंने किया है, मैंने मेरा काम कर दिया है। सिनेमा पर उस आदमी की अच्छाई का लेवल दिखा रहा हूं। सवाल: आपने इस फिल्म के लिए क्या-क्या दांव पर लगाया है?
अरविंद कुमार वाघेला: इस बार हम खुद दांव पर लग गए। जब हमने फिल्म शुरू की तो होटल में हादसा हो गया था। मेरे पार्टनर को इतना धमका दिया कि उन्होंने फिल्म छोड़ दी और पैसा लगाने से मना कर दिया। 120 आदमियों का यूनिट जिनके लिए पूरा रिसॉर्ट 35 दिन के लिए बुक किया हुआ था, वह डिस्टर्ब हो गया। कास्टिंग में भी बड़े-बड़े नाम शामिल थे। वह समय हमारे लिए सबसे चुनौतीपूर्ण था। मैं अपने दो भाइयों के साथ मिलकर काम करता हूं। मेरे भाई, जीजाजी, सिस्टर, पापा सभी ने कहा कि टेंशन नहीं ले। भाइयों ने अपने सभी तरह की सेविंग यहां लगा दी और उधार लिया। जीजाजी और सिस्टर ने पैसा दिया और कहा- इस फिल्म को बंद नहीं करेंगे। हमने इस चुनौती के बाद अच्छे से फिल्म बनाई। फ्लेट गिरवी रखने की नौबत रिलीज के लिए आई। शूटिंग के बाद मैंने मार्केट से पैसा उठाया था। रिलीज डेट 20 अक्टूबर अनाउंस की थी। सेंसर 30 से 35 दिन में मिल जाता है। दो महीने गैप में यह किया था। अनाउंस करते ही सेंसर से नोटिस आ गया। इस फिल्म पर सिनेमा को कोर्ट में थर्ड पार्टी बनाया गया। उस वक्त हमने बहुत उधार लिया था, हम इंटरेस्ट चुकाने में भी संभव नहीं थे। वह ऐसा समय था, जब मुझे टीवी शो और ऐड फिल्म मिल रही थी, लेकिन मैं कर नहीं पा रहा था। मैं इन्हीं में उलझा हुआ था। मेरे छोटे भाई ने अपना फ्लेट कम दाम पर बैच दिया और उधार का इंटरेस्ट चुकाया। आज भी मेरे पास उस दौर के स्क्रीनशॉर्ट मौजूद है, जिसमें मैं अपना ब्रेसलेट और अंगूठी बैच रहा हूं। मेरी मजबूरी थी कि मैं इस फ़िल्म को रिलीज करना चाहता था।
सवाल: फिल्म बनाने से पहले आप आनंदपाल के परिवार से नहीं मिले थे?
अरविंद कुमार वाघेला: पहली बार किसी ने उनकी बेटी और मां से मिलवाया था। मैंने स्टोरी सुनाई, तब उन्होंने कहा कि मेरे बेटे को भगवान की तरह दिखा रहे हो। उनकी आंखों में नमी सी थी। उन्होंने इसे अच्छा ही बताया था। जब आनंदपाल के भाई बाहर आए तब भी मैंने स्टोरी डिस्कस की। उन्होंने कहा कि आप भाईसाहब की ईमेज खराब नहीं करें, इसका ध्यान रखें। यह सही भी था कि जिस व्यक्ति ने अपनी अच्छाई यों को कभी नहीं छोड़ा, उसका नाम भी खराब नहीं होना चाहिए। मैंने उनसे वादा किया था कि मैं रोबिनहुड की छवि बनाउंगा। इसके लिए वे तैयार थे। बस यह था कि मैंने यह सभी चीजें राइटिंग में नहीं ली। इसी कारण आज मेरी फिल्म काल्पनिक किरदारों के साथ एक इंसपायर्ड फिल्म है।
सवाल: आपने यह फिल्म अपने पिता को ट्रिब्यूट की है?
अरविंद कुमार वाघेला: मेरे लिए पिता ही सबकुछ थे। मैंने उनके लिए यह फिल्म पूरी की और रिलीज कर रहा हूं। वे मेरे साथ नहीं है, लेकिन उनकी यादें मेरे साथ जुड़ी हुई है। डेढ़ साल मेरा केस चला, वे उस समय बहुत तनाव पर आ गए थे। यह फिल्म उनके लिए भी खास है। उनकी ताकत की वजह से मैं जीत पाया। मैं यह कह रहा हूं कि जब मेरे पर केस किया गया, तो कुछ ऐसे भी लोग थे, मुझे और आनंदपाल के परिवार को अलग करना चाहते थे। मैं उस परिवार से आज भी नाराज नहीं हूं।
सवाल:आपकी पत्नी नीलू वाघेला राजस्थान की सुपरस्टार रही है, क्या उनको राजस्थानी सिनेमा के पिछड़ने पर दर्द नहीं होता?
अरविंद कुमार वाघेला: उनको दर्द बहुत था। वे काफी साल पहले इस इंडस्ट्री को छोड़ चुकी हैं। वह मेरी फिल्म होती थी तो जरूर कर लेती थी। उसका यह कहना था कि जब यहां बड़े-बड़े अवॉर्ड नाइट या फंक्शन होते थे तो उसमें राजस्थान सरकार ने कभी राजस्थानी कलाकारों को जगह नहीं मिलती थी। नीलू सिर्फ आर्टिस्ट नहीं थी, वह यहां के लिए लीजेंडरी रही हैं। जिसने यहां के लिए एक इतिहास बनाया है। आप देखिए एक स्टार के लिए एक रूम के लिए पूरी होटल को ब्लॉक कर दिया गया। आप डरपोक को क्यों बुला रहे हो। एक एक्टर के लिए पूरे होटल को बुक कर दिया, ऐसे को क्यों बुलाते हो। आप कला को प्रजेंट करने आ रहे हो। उससे भी वे दूर हो गई।