हाईकोर्ट ने शाहपुरा प्रधान के प्रशासनिक कार्यों पर लगाई रोक:कहा- प्रशासनिक आदेश से बनी प्रधान, सरकार ने नहीं कराए चुनाव

हाईकोर्ट ने शाहपुरा प्रधान के प्रशासनिक कार्यों पर लगाई रोक:कहा- प्रशासनिक आदेश से बनी प्रधान, सरकार ने नहीं कराए चुनाव
हाईकोर्ट ने शाहपुरा पंचायत समिति की कार्यवाहक प्रधान पिस्ता देवी के किसी भी तरह के प्रशासनिक आदेश देने और मीटिंग लेने पर रोक लगा दी हैं। जस्टिस अशोक जैन और जस्टिस मुकेश राजपुरोहित की खंडपीठ ने यह आदेश पूर्व प्रधान मंजू देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रदीप कलवानिया ने बहस करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता पंचायत समिति के देवन वार्ड से सदस्य चुनी गई और पंचायत समिति प्रधान बनी। उसका कार्यकाल 5 साल के लिए था। लेकिन सरकार ने नगर निकायों के पुर्नगठन के नाम पर देवन वार्ड को शाहपुरा नगर परिषद में शामिल करते हुए याचिकाकर्ता की वार्ड सदस्यता ही समाप्त कर दी। वहीं 5 मई को प्रधान का कार्यभार पिस्ता देवी को सौंप दिया। पंचायतराज अधिनियम में कार्यकाल पूरा करने का प्रावधान उन्होने अदालत में बहस करते हुए कहा कि पंचायतराज अधिनियम में निर्वाचित प्रधान के पांच साल का कार्यकाल पूरा करने का प्रावधान हैं। लेकिन सरकार ने पुर्नगठन के नाम पर प्रधान के वार्ड को ही समाप्त कर दिया। जबकि उनका कार्यकाल सितम्बर 2026 तक था। उन्होने कहा कि हमारे वार्ड को गलत तरीके से नगर परिषद में शामिल किया गया हैं। ऐसे में इसके नोटिफिकेशन को रद्द किया जाए और पुन हमें प्रधान के पद पर नियुक्ति दी जाए। इस पर अदालत ने वर्तमान प्रधान के कार्यों पर रोक लगाते हुए सरकार से कहा है कि अगर कानून अनुमति देता है, तो राज्य सरकार प्रधान के चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ कर सकती है। अब जुलाई में मामले को सुनवाई के लिए रखा गया हैं।