हडको के चेयरमैन संजय कुलश्रेष्ठ का इंटरव्यू:बोले- अगले 5 साल में देश को कुल तीन करोड़ नए आवासों की जरूरत होगी

हडको के चेयरमैन संजय कुलश्रेष्ठ का इंटरव्यू:बोले- अगले 5 साल में देश को कुल तीन करोड़ नए आवासों की जरूरत होगी
हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड यानी, हडको ने पिछले कई वर्षों में प्रधानमंत्री आवास योजना में बने दो करोड़ से ज्यादा घरों के लिए फाइनेंस उपलब्ध कराए हैं। यानी हर 16वें घर का निर्माण हडको के सहयोग से हुआ है। अगले पड़ाव पीएमएवाई-2 में प्रस्तावित तीन करोड़ घर बनाए जाएंगे। इसमें हडको की भूमिका? हाउसिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश की क्या संभावनाएं हैं? आम आदमी को इससे क्या सीधा लाभ होगा? दैनिक भास्कर के इन सभी जरूरी सवालों के जवाब कंपनी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर संजय कुलश्रेष्ठ ने दिए हैं। पढ़िए पूरा इंटरव्यू….. सवाल 1: देश में कितने नए आवास की जरूरत है, हडको कैसे इसे पूरा कर सकता है? जवाब: अगले पांच वर्षों में देश को कुल तीन करोड़ नए आवासों की आवश्यकता होगी, जिसमें एक करोड़ शहरी और दो करोड़ घर ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए जाने हैं। केवल शहरी क्षेत्रों में एक करोड़ घरों के निर्माण के लिए 10 से 12 लाख करोड़ के निवेश की आवश्यकता होगी, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा 2.30 लाख करोड़ की सब्सिडी दी जाएगी। इतने निवेश जरूरत को पूरा करना किसी एक संस्था के बस की बात नहीं है। लेकिन हडको लॉन्ग टर्म और सस्ती फंडिंग के जरिए इसके क्रियान्वयन में बहुत सक्रिय भूमिका में रहेगा। हडको अपने कम लागत वाले संसाधनों और मजबूत बैलेंस शीट के आधार पर यह सुविधा उपलब्ध करा इस लक्ष्य को पूरा करने में भागीदार बन रहा है। हडको केवल वित्त पोषण (लॉन्ग टर्म फाइनेंसिंग) ही नहीं करता, बल्कि यह एक टेक्नो-फाइनेंशियल संस्था के रूप में परियोजनाओं की परिकल्पना (कांसेप्च्युअलाइजेशन), विशेषज्ञ परामर्श (कंसलटेंसी), पर्यावरणीय अध्ययन, क्षमता निर्माण (कैपेसिटी बिल्डिंग) जैसे कार्यों में भी योगदान देता है। इसमें सिविल इंजीनियर, आर्किटेक्ट, टाउन प्लानर, पर्यावरण विशेषज्ञ, ऊर्जा परियोजना विशेषज्ञ, वित्त एवं विधिक पेशेवर शामिल हैं, जो हडको को एक 360 डिग्री समाधान प्रदाता बनाते हैं। हडको भारत के बुनियादी ढांचे के निर्माण की सबसे बड़ी जरूरत यानी लंबी अवधि का सस्ता निवेश, विशेषज्ञ सहायता और तकनीकी मार्गदर्शन को पूरा करने के लिए एक सशक्त और भरोसेमंद मंच है। सवाल 2: वर्तमान शहर नए आवासों की पेयजल, सड़क, ड्रेनेज आदि जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है? जवाब: नहीं है, पर हम समाधान कर रहे हैं। शहरों के बाहरी इलाके में अनियोजित विकास तेजी से बढ़ रहा है। जिससे अव्यवस्था, प्रदूषण और सामाजिक समस्याएं पैदा हो रही हैं। इससे निपटने के​ लिए ऐसे 100 स्मार्ट शहरों को विकसित करने का लक्ष्य है, जिनमें बेहतर अधोसंरचना, ई-गवर्नेस, स्मार्ट मोबिलिटी, ऊर्जा दक्षता और नागरिक सेवाएं हों। अमृत योजना में मौजूदा शहरों में जल आपूर्ति, सीवेज नेटवर्क, हरित क्षेत्र और परिवहन सेवाओं में सुधार किया जा रहा है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों को भी अर्ध-शहरी सुविधाओं से युक्त बनाकर शहरों पर भार को कम करने पर काम हो रहा है। सवाल 3: क्या नए शहर भी बसाए जाएंगे? जवाब: भारत में शहरीकरण की दर सबसे तेजी से बढ़ रही है। वर्तमान में देश की लगभग 35 फीसदी आबादी मतलब 50 करोड़ लोग शहरी क्षेत्रों में निवास करते हैं। वर्ष 2047 तक यह संख्या 60% तक पहुंच सकती है। यानी लगभग 90 करोड़ लोग शहरी क्षेत्रों में रहेंगे। यह बदलाव दर्शाता है कि हमारे मौजूदा शहरों पर आवास, बुनियादी सुविधाओं, यातायात, रोजगार, और पर्यावरणीय संतुलन को लेकर भारी दबाव पड़ेगा। विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की दिशा में कार्य करते हुए यह अनुमान लगाया गया है कि 22 सालों में शहर में लगभग 23 करोड़ नए आवास की मांग होगी। इस लिहाज से विशेषज्ञों का अनुमान है कि 100 से 150 नए शहरों की आवश्यकता होगी। हाउस फॉर रेंट मतलब जो लोग घर नहीं खरीद सकते हैं उनके लिए किराए के अफोर्डेबल हाउस का मार्केट भी डेवलप कर रहे हैं। सवाल 4: बुनियादी ढांचागत निर्माण के लिए कितने फंड की जरूरत है? जवाब: देश को आने वर्षों में 143 लाख करोड़ रुपए के इंफ्रास्ट्रक्चर कैपेक्स (कैपिटल एक्सपेंडिचर) की आवश्यकता होगी। यह राशि परिवहन, ऊर्जा, शहरी अधोसंरचना आदि क्षेत्रों में निवेश के लिए अनुमानित की गई है। इंटीग्रेडेट टाउनशिप एवं इंडस्ट्रियल कॉरिडोर्स, मेट्रो, एक्सप्रेस वे, स्मार्ट सिटी मिशन, अमृत योजना, जल जीवन मिशन, ग्रीन एवं एनर्जी ट्रांजिशन, हेल्थ और पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर आदि से बहुत बड़ा रोजगार का क्षेत्र विकसित होगा। आम आदमी की वित्तीय स्थिति में बहुत सुधार होगा। हडको की सहायता से लागू योजनाएं स्थानीय शहरी निकायों को वित्तीय और कार्यान्वयन क्षमता देती हैं। इससे योजनाएं ज़मीन पर उतरती हैं और आम लोगों को रोजगार, आवास और बेहतर जीवन गुणवत्ता मिलती है। हम अंतर्राष्टीय मार्केट में सस्ता कर्ज लेकर राज्य सरकार को मुहैया कराएंगे सवाल 5: हडको की वित्तीय स्थिति क्या है? जवाब: हाउसिंग फाइनेंस और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में काम करने वाली सरकारी एनबीएफसी हडको ने पिछले वर्ष में 32 फीसदी परिचालन आय और 28 फीसदी शुद्ध मुनाफा दर्ज किया है। साथ ही, कंपनी शून्य एनपीए की दिशा में अग्रसर है, जो उसके उत्कृष्ट प्रबंधन और सतर्क वित्तीय अनुशासन को दर्शाता है। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान हडको ने 1 लाख 27 हजार 952 करोड़ से अधिक ऋण स्वीकृति किया है, जो गत वर्ष की तुलना में 55 फीसदी अधिक है। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान हडको ने 40,038 करोड़ का ऋण वितरण किया है, जो अब तक का सबसे अधिक ऋण वितरण है और गत वर्ष की तुलना में 122 फीसदी अधिक है। सवाल 6: इन आंकड़ों और उपलब्धियों से आम आदमी को क्या फर्क पड़ता है? जवाब: हडको की सहायता से देशभर में किफायती आवासीय परियोजनाएं, सड़कें, जल-प्रबंधन, परिवहन और ऊर्जा परियोजनाएं विकसित होती हैं, जिससे आम नागरिक को बेहतर जीवन स्तर और सुविधा सम्पन्न वातावरण मिलता है। स्थानीय व्यापार और छोटे उद्योगों को बढ़ावा मिलता है। हडको की वित्तीय मजबूती और संचालन की पारदर्शिता न केवल इसे एक सशक्त संस्था बनाती है, बल्कि यह देश के आम नागरिक के सपनों को साकार करने वाली एक आधारशिला भी है। जब हाउसिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश होता है, तो उसका लाभ पूरे समाज और अर्थव्यवस्था को होता है। जिससे भारत का प्रत्येक नागरिक लाभान्वित होता है, और देश एक समृद्ध व विकसित राष्ट्र की ओर बढ़ता है।